हाहाप गांव की सीमा पर अपना बोर्ड लगवा कर विकास की बात भूल गए रांची के सांसद

हेल्थ सेंटर की शिकायत प्रशासन के साथ सांसद भी सुनने में कर रहे आनाकानी

क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रांची-टाटा नेशनल हाईवे से पांच किलोमीटर अंदर नामकुम ब्लॉक का गांव हाहाप स्थित है. इसे सांसद रामटहल चौधरी ने गोद लिया है. लेकिन, कई महीनों बाद भी इस गांव में विकास का कोई काम नहीं दिख रहा है. यहां के लोग जिस तालाब में नहा रहे हैं, उसी का पानी पीने को मजबूर हैं. टंकी लगवाई गई है, लेकिन बिजली नहीं रहने के कारण उसमें कभी पानी भरा ही नहीं गया. पूरे गांव में एक सरकारी हेल्थ सेंटर तो है, लेकिन वह 15 दिन में सिर्फ एक ही दिन खुलता है, वह भी सिर्फ दो घंटे के लिए. शिक्षा के नाम पर एकमात्र दो कमरे का स्कूल है, जिसमें पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हादसे को दे रहे निमंत्रण. आई नेक्स्ट की टीम ने इस गांव के विकास का लिया जायजा.

पोस्टर में सांसद का आदर्श गांव हाहाप

हाहाप गांव जाने के लिए हाईवे से नीचे उतरते ही बड़ा-सा बोर्ड दिखाई देता है. इसमें लिखा है सांसद रामटहल चौधरी के आदर्श ग्राम हाहाप में आपका स्वागत है. यह बोर्ड बताता है कि पांच किलोमीटर अंदर जाने पर सांसद का आदर्श ग्राम हाहाप है. इस गांव में पहुंचने से थोड़ी दूर पहले ही भगवान बिरसा मुण्डा की प्रतिमा नजर आती है. पूछने पर पता चला है कि यह बिरसा चौक है और यहीं से हाहाप गांव शुरू होता है. गांव के प्रवेश द्वार पर एक बार फिर आदर्श ग्राम का बोर्ड दिखाई पड़ता है. यहीं पर मुलाकात होती है सुभाष स्वांसी से. पति-पत्नी साप्ताहिक बाजार में खरीदारी के लिए रामपुर हाट जा रहे हैं. यह पूछने पर कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आपके गांव को रांची के सांसद ने गोद लिया है. गांव में विकास के क्या काम हुए है. यह दंपति बताता है कि विकास सिर्फ पोस्टर में हुआ है. सांसद एक बार सिर्फ योजना के शुरुआत के समय आए उसके बाद आज तक इधर का रूख नहीं किया. गांव में एक नहीं, बल्कि सैकड़ों समस्याएं हैं. लेकिन सबसे बड़ी समस्या पानी-बिजली की है. इसके लिए कोई काम ही नहीं हुआ है.

दो कमरों का स्कूल, क्लास वन से एट

हाहाप गांव में शिक्षा की भी स्थिति दयनीय है. इस गांव में शिक्षा के लिए मात्र एक सरकारी स्कूल है, जहां पर दो टीचर के भरोसे मात्र दो कमरों में एक से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. साथ ही इस गांव के आसपास कोई कॉलेज भी नहीं है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई लिए नामकुम और रांची आना पड़ता है.

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Posted By: Prabhat Gopal Jha