- ग्रीन बेल्ट और पेड़-पौधों पर चल रहा अवैध होर्डिग्स का कारोबार, नगर निगम अफसरों की सेटिंग से चलता है खेल

- बड़े-बड़े कीले ठोकने से धीमी पड़ जाती है पेड़ों के खाना बनाने की प्रक्रिया, धीरे-धीरे सूख जाते है पेड़ पौधे

- शहर में बची मात्र तीन परसेंट ग्रीनरी को बढ़ाने की बजाए अवैध कारोबार के जरिए कम करने का काम कर रहा निगम

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KANPUR : नगर निगम की वित्तीय हालत खस्ता है। अपने कर्मचारियों को सैलरी देने तक के लिए उसके पास पैसे नहीं है। योजनाएं पूरी करने के लिए उसे लोन लेना पड़ रहा है। दैनिक जागरण आज इसके पीछे के कारणों का खुलासा करने जा रहा है। अपनी जमीन पर कारोबार या प्रचार करने वालों से तरह-तरह के टैक्स वसूलने वाला नगर निगम खुद धड़ल्ले से अवैध 'कारोबार' कर रहा है। यह ऐसा कारेाबार है जो इस शहर में रहने वाले हर इंसान के लिए खतरनाक है। क्योंकि नगर निगम का यह अवैध कारोबार शहर में बची मात्र 3 परसेंट हरियाली का भी दम 'घोंट' रहा है। नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से सालों से यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। शहर की हरियाली खत्म कर अफसर खुद की जेबें गरम कर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक सालाना यह कारोबार 10 करोड़ से ज्यादा का है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है यह अवैध कारोबार और कैसे चलता है और क्यों आपके लिए घातक है ये।

बराबर के भागीदार

प्रचार-प्रसार के नाम पर कई लोग नगर निगम से ग्रीन बेल्ट को 'गोद' ले लेते हैं। ये लोग ग्रीन बेल्ट में प्रचार तो धड़ल्ले से करते हैं लेकिन पौधों को पानी देना तक जरूरी नहीं समझते हैं। पौधों की सुरक्षा के लिए लगाए गए ट्री गार्ड में विज्ञापन 'फलता-फूलता' है लेकिन ग्रीनरी दम तोड़ती रहती है। प्रचार-प्रसार की अवैध कमाई में 'निगम के अधिकारी' भी बराबर के भागीदार हैं।

ऑक्सीजन हो जाती है कम

सीएसए के वानिकी विभाग के शिक्षण प्रभारी कौशल किशोर के मुताबिक पेड़ों पर कील लगाने से पेड़ के भोजन बनाने का प्रॉसेस स्लो हो जाता है। कीलों से फंगस आदि के लगने का भी खतरा रहता है, जिससे कुछ अंतराल में पेड़ सूखने लगते हैं। जिसके बाद वो ऑक्सीजन जोकि हमारा जीवन है वो उसको उत्सर्जित करना कम करते जाते हैं। शहर के हर कोने में लगे पौधों पर यह विज्ञापन लगा दिए जाते हैं। लेकिन आज तक कभी भी कोई कार्रवाई विज्ञापनकर्ताओं पर नहीं की गई। वहीं वन विभाग ने कई बार नगर निगम को पत्र लिखकर पेड़-पौधों पर लगे विज्ञापनों को हटवाने के कहा है, लेकिन नगर निगम के अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। क्योकि उनकी सेटिंग से ही प्रचार का यह अवैध कारोबार चलता है। प्रचार करने वालों से मीटी रकम लेकर उन्हें पेडों पर प्रचार का कारोबार करने की छूट दे देते हैं।

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नहीं होती कोई कार्रवाई

कई बार मीटिंग में जोनल अधिकारियों के साथ-साथ होर्डिग बैनर से कम वसूली को लेकर भी नगर आयुक्त निर्देश दे चुके हैं। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम 'लूट' हो रही है। नगर आयुक्त अवैध पोस्टर, बैनर लगाने वालों पर भी 10 गुना जुर्माना लगाने के आदेश भी दे चुके हैं, लेकिन कर्मचारी अपने चढ़ावे के आगे उनकी भी नहीं सुन रहे हैं।

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धड़ल्ले से चल रही 'लूट'

नगर निगम के जोनल अधिकारी और विज्ञापन के प्रभारी राजीव शुक्ला ने बताया कि नए फाइनेंशियल ईयर के लिए होर्डिग एजेंसी के रजिस्ट्रेशन न होने से इन दिनों शहर में धड़ल्ले से होर्डिग लगाई जा रही हैं। इस पर नगर निगम भी कुछ नहीं कर पा रहा है। वहीं सूत्रों के मुताबिक अंदरखाने कर्मचारियों से सेटिंग कर यह कारोबार खूब फल-फूल रहा है।

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-संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त।

यहां के पेड़ों पर सबसे ज्यादा विज्ञापन

जवाहर नगर, किदवई नगर, शास्त्री चौक, नमक फैक्ट्री चौराहा, जेके टैंपल रोड, पांडव नगर, नौबस्ता हाईवे, किदवई नगर बाजार, गोविंद नगर बाजार, घंटाघर, मेस्टेन रोड, वीआईपी रोड, ग्वालटोली बाजार सहित अन्य क्षेत्र।

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आंकड़ाें की जुबानी

-5 करोड़ से ज्यादा का सलाना कारोबार है पेड़ों पर विज्ञापन का।

-750 होर्डिग प्वॉइंट शहर में कराए गए रजिस्टर्ड।

-2 गुने से ज्यादा अवैध तरीके से लगी हैं होर्डिग।

-7 करोड़ रुपए 2017-18 में होर्डिग से नगर निगम को आय।

-45 एजेंसी होर्डिग आदि के लिए देती हैं नगर निगम को टैक्स।

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विज्ञापन के लिए लगाई जाने वाली कीलों से पेड़-पौधों के भोजन बनाने की प्रक्रिया स्लो हो जाती है। कीलों से फंगस आदि के लगने का भी खतरा रहता है, जिससे कुछ अंतराल में पेड़ सूखने लगते हैं। चौड़ाई पर भी काफी फर्क पड़ता है। पेड़ों पर विज्ञापन आदि नहीं लगाने चाहिए।

-डा। कौशल कुमार, शिक्षण प्रभारी, वानिकी विभाग, सीएसए।

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पेड़ों पर होर्डिग और बैनर को लगाया जाना है अवैध है। इसे रोका जाएगा। अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि जो भी विज्ञापनकर्ता है, उस पर जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जाए।

Posted By: Inextlive