मिस्र में प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड ने देश के संविधान के नए मसौदे को खारिज कर दिया है.


मंगलवार को इस मसौदे को देश के अंतरिम राष्ट्रपति एदली मंसूर के समक्ष पेश किया जाना है. ब्रदरहुड का कहना है कि पिछले साल उनकी सरकार के समय मंजूर संविधान अब भी वैधानिक है.नया संविधान अगले महीने जनमत संग्रह के लिए रखा जाने वाला है, जिसमें सेना को और ताकत हासिल हो सकती है.इस साल जुलाई में मोहम्मद मोर्सी को राष्ट्रपति पद से अपदस्थ किए जाने के बाद से मिस्र में अंतरिम सरकार और विपक्ष का टकराव जारी है.मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े रहे मोर्सी को पिछले साल मिस्र में देश का राष्ट्रपति चुना गया था.मिली जुली प्रतिक्रियाएंनए  संविधान के मसौदे के अनुसार देश का रक्षा मंत्री सेना का एक अधिकारी ही होगा और सेना पर हमले के अभियुक्तों का मामला सैन्य अदालतों में चल सकता है.


मसौदे में इस्लामी शरिया को कानून बनाने का आधार बनाया गया है. हालांकि ये अपेक्षा भी की गई है कि राजनीतिक दल धर्म, नस्ल और लिंग के आधार पर नहीं बनाए जा सकेंगे.इस मसौदे से संबंधित निर्णायक दस्तावेज को 50 सदस्यीय कमेटी ने अपनी मंजूरी दे दी है.  मिस्र् में नए संविधान के मसौदे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.

मिस्र के अखबारों में आमतौर पर इसकी सराहना की गई है. अखबारों के संपादकीय और विश्लेषण में इसके समर्थन की अपील की गई है.वहीं  मुस्लिम ब्रदरहुड से जुडे ट्विटर अकाउंट रब्बीया हीरोज में लोगों से अपील की गई है कि वो जनमत संग्रह के दौरान संविधान पर 'नहीं' का वोट दें.ट्विटर संदेश में कहा गया है, ''हम जनता को बताएंगे कि वो सविंधान पर 'नहीं' का वोट करें, जिससे सेना को पता चल जाए कि समर्थकों की संख्या किस कदर है.'' ये ट्वीट अरबी भाषा में किया गया.एक अखबार में छपे एक लेख के अनुसार, नए संविधान में राष्ट्रीय स्वामित्व वाले अखबारों के स्वतंत्र होने की गारंटी है. साथ ही पत्रकारों को भी पूरी आजादी हासिल होगी.50 सदस्यीय संविधान समिति के सदस्य प्रोफेसर अल हिलाली ने कहा कि मानवता के लिहाज से संविधान को यथासंभव बेहतर बनाने की कोशिश की गई है.

Posted By: Subhesh Sharma