बीस रमजान मगरिब की नमाज के बाद लोग बैठे ऐतेकाफ पर

अब सिर्फ अल्लाह की इबादत ही करेंगे ईद का चांद दिखने तक

>BAREILLY : रोजे का दो अशरा गुजर गया। दूसरे अशरे के आखिरी दिन बीस रमजान वेडनसडे को लोग मगरिब की नमाज के बाद ऐतेकाफ पर बैठ गए। इस दौरान लोग सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत ही करेंगे। इस इबादत का सिलसिला ईद के चांद दिखने के साथ ही थमेगा। शहर की तकरीबन सभी मस्जिदों में लोग ऐतेकाफ के लिए दाखिल हो गए हैं।

क्या है ऐतेकाफ की इबादत

जैसे का आला हजरत दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि ऐतेकाफ के लिए कोई भी मुस्लिम बीस रमजान को मस्जिद में दाखिल होता है। इसके बाद उस शख्स का एक ही मकसद होता है। सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत करना। वह दुनिया से खुद को अलग कर लेता है। दुनियादारी से कोई मतलब नहीं रहता है। ईद का चांद दिखने की जानकारी मिलने पर ऐतेकाफ खत्म होता है। इस दौरान ऐतेकाफ करने वाला शख्स कम खाता है और कम सोता है। उसका ध्यान सिर्फ इबादत करने पर होता है।

कुरानख्वानी और नमाज से नाता

ऐतेकाफ के दौरान मस्जिद में दाखिल होने वाला शख्स दिन और रात कुरान की तिलावत करता है। कजा नमाजे, सुन्नत नमाजे और नफिल नमाजे अदा करता है। इसके अलावा अल्लाह की तस्बीह पढ़ता है। उसका मकसद सिर्फ अल्लाह की इबादत करना होता है। नासिर कुरैशी के मुताबिक ऐतेकाफ करने वाले की इबादत कुबूल हो जाए तो सिर्फ उसकी ही नहीं पूरे शहर की अवाम को अल्लाहताला बख्श देता है।

हजरत अली की शहादत पर जुलूस

पहले इमाम हजरत अली की शहादत पर वेडनसडे रात आगा साहब के इमामबाड़े में मजलिस शमशुल हसन खां ने खेताब की। मजलिस में उन्होंने हजरत अली पर हुए मसाएब को बयान किया तो वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू आ गए। थर्सडे को इमामबाड़ा दीवानखाना ने फज्र की नमाज के बाद ताबूत का जुलूस उठेगा। जुलूस काला इमामबाड़ा तक जाएगा। इस दौरान अंजुमने नौहाख्वानी और सीनाजनी करेंगी। यह जानकारी गौहर रिजवी ने दी।

Posted By: Inextlive