बचपन में एक पंक्ति को पढ़ते हुए खूब हंसी आती थी.. जिस तरह बंदरों को पूंछ प्यारी होती है उसी तरह मर्दों को अपनी मूंछ प्यारी होती है.

पता नहीं ये प्यार बंदरो और मर्दों का अपनी पूंछ और मूंछ से बरक़रार है या नहीं लेकिन एक व्यक्ति के अपनी मूंछों से प्यार पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है.

 

54 साल के राम सिंह चौहान.

गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्डस में इनका नाम दर्ज है दुनिया में सबसे लंबी मूंछ के लिए.

उनकी मूंछ की लंबाई है 4.29 मीटर या 14 फुट.

उन्हें ये पुरस्कार 2010 में दिया गया था.

मूंछो की कहानीराम सिहं जयपुर के एक व्यस्त इलाके में अपने भरे पूरे परिवार के साथ रहते हैं.

यूं तो आम शर्ट पैंट में देखकर वे किसी भी तरह के रिकार्ड होल्डर नहीं दिखते लेकिन उनके गले में पतले कपड़े में लिपटी मूंछों की लड़िया उनकी शोहरत की कहानी बयां करती है.

राम सिंह राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग में काम भी करते हैं और इस विभाग के ब्रैंड एमबैस्डर भी हैं.

उनके घर की हर दीवार उनकी मूंछो की दास्तां से पटी पड़ी है. बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.

मैं पिछले तीस सालों से मूंछे बढ़ा रहा हूं. जवानी में तो जल्दी जल्दी बढ़ी पर जैसे जैसे उम्र बढ़ रही है, इसकी रफ्तार कम हो गई है.’

राम सिंह चौहान कहते हैं कि उन्हें मूछें बढ़ाने की प्रेरणा राजस्थान के ही कर्णाभील नामक व्यक्ति से मिली जिनकी मूंछे भी मशहूर थीं.

राम सिंह को इस बात का दुख ज़रूर सालता है कि जवानी के दिनों में उनकी मूछों को लेकर इज्जत तो बड़ी होती थी लेकिन लड़किया थोड़ा उनसे बच कर ही चलती थी.

उनकी पत्नी उनके मूंछो से नाराज़ नहीं होती हैं ? राम सिंह हंसते हुए कहते है कि इसका जवाब उनकी पत्नी से ही लिया जाना चाहिए.

मूंछो का रख-रखावआशा चौहान शर्माते हुए कहती है कि शादी के बाद उन्हें बड़ी परेशान होती थी राम सिंह की मूंछो से.

सबसे ज्यादा परेशानी इस बात से होती थी कि वे तैयार होने में काफी समय लगाते थे. धोने, सुखाने में बहुत समय लगता था.

लेकिन अब वे मानती हैं कि जब इन मूंछों से राम सिंह का नाम होने लगा तो इनकी शोहरत से परिवार की शोहरत भी हुई है.

अब आशा को अच्छा लगता है. कहती हैं, मूंछे तो शान है और अब ये हमारे परिवार का हिस्सा है.

राम सिंह बताते हैं कि हर रोज़ मूंछो को तैयार करने में एक घंटा लगता है. हर दिन तेल से मालिश और फिर कपड़े में बाधंना.

हर दस दिनों में 14 फुट लंबी मूंछ की धुलाई भी की जाती है. इन सबमें इनकी पत्नी बहुत सहयोग करती हैं.

राम सिंह को इस बात का अफसोस है कि उनके परिवार में किसी भी मर्द को मूंछो को शौक नहीं है और अब नए जमाने में मूंछ की पूछ भी नहीं होती.

पर अगर मूंछे राम सिंह चौहान जैसी हों, ठसक लिए, तो पूछ कैसे न होगी.

कहना होगा मूंछे हों तो राम सिंह चौहान जैसी हों वरना न हों.

Posted By: Garima Shukla