- 90 बीघा कृषि भूमि पर 9 मेगावाट सोलर पावर प्लांट लगाने की थी निगम की योजना

- मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल इनर्जी को भेजा था अप्रूवल के लिए प्रपोजल

- कृषि भूमि और निगम द्वारा तय बिजली की दरें बनी रिजेक्शन का कारण

देहरादून, सोलर पावर प्लांट लगाकर मोटी कमाई का सपना देख रहे नगर निगम की योजना मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल इनर्जी ने खारिज कर दी है। निगम द्वारा शेरपुर में अपनी खाली पड़ी 90 बीघा जमीन पर 9 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने की स्कीम थी, इससे बिजली पैदा कर उसे बेचकर निगम मुनाफा कमाना चाहता था। स्वीकृति से पहले ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी निगम ने तैयार करवा दी थी। लेकिन, निगम की इस पूरी प्लानिंग पर पानी फिर गया। केंद्रीय मंत्रालय द्वारा प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया गया। हालांकि नगर निगम प्रशासन का कहना है कि प्रपोजल संशोधित कर दोबारा केंद्र को भेजा जाएगा।

2016 में भेजा था प्रस्ताव

नगर निगम द्वारा वर्ष 2016 में सोलर पावर प्लांट का प्रस्ताव भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल इनर्जी को भेजा गया था। बाकायदा प्लांट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर)भी तैयार की गई।

रिजेक्शन के दो कारण

मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल इनर्जी द्वारा नगर निगम के प्रोजेक्ट को खारिज करने के दो कारण बताए गए हैं। पहला 90 बीघा कृषि भूमि का उपयोग सोलर प्लांट के लिए नहीं किया जा सकता और दूसरा नगर निगम द्वारा प्लांट से पैदा होने वाली बिजली की दरें काफी ज्यादा रखी गई थीं।

यहां हुई चूक

नगर निगम द्वारा कृषि भूमि पर प्लांट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। जबकि, योजना में रूफ टॉप सोलर पावर प्रोडक्शन को ज्यादा तरजीह दी जाती है, ताकि जमीन का अधिग्रहण न करना पड़े। ऐसे में सरकारी भवनों की छतों का ही उपयोग इस तरह के पावर प्लांट लगाने के लिए किया जा सकता है। कृषि भूमि पर प्लांट लगाना फिजिबल नहीं माना जाता क्योंकि प्लांट लगाने से कृषि भूमि बेकार हो जाती है उससे कृषि उपज नहीं ली जा सकती। ऐसे में निगम का प्रस्ताव ही खोखला साबित हुआ।

डीपीआर में 6 माह की मेहनत बेकार

डीपीआर उरेडा द्वारा बनाई गई जिसमें 6 माह का समय लगा। आखिरकार 6 माह की ये मेहनत बेकार गई। हालांकि, निगम द्वारा बताया गया कि डीपीआर के लिए उरेडा को किसी तरह का भुगतान नहीं किया गया था।

3 और जगह प्लांट की थी तैयारी

नगर निगम की ओर से सोलर पावर प्रोडक्शन के लिए तीन जगह और जमीन चिन्हित की गई थी। इनमें सेलाकुई, हरिद्वार बाईपास और धोरणखास में प्लांट लगाने का प्लान तैयार किया गया था। निगम की ओर से सेलाकुई, हरिद्वार बाईपास, धोरणखास में प्लांट लगाया जाना था। निगम को उम्मीद थी कि शेरपुर का प्लांट पास हो जाएगा, लेकिन केंद्रीय मंत्रालय द्वारा उसे खारिज कर दिया गया। ऐसे में निगम की यह दूरगामी स्कीम पहले कदम पर ही समाप्त हो गई।

पीपीपी मोड पर संचालन की थी योजना

केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलते ही प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड पर संचालित करने की निगम ने योजना बनाई थी। प्रोजेक्ट को लेकर निगम देशभर की कंपनियों से संपर्क करने में जुटा था। प्लांट को 15 वर्ष के लिए लीज पर दिया जाना था।

निगम के पास दो छोटे प्लांट

नगर निगम द्वारा अपने कैंपस (10 केवी)और वर्कशॉप (20 केवी)में पहले से दो सोलर प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। ये पर्सनल यूज के लिए लगाए गए हैं और बेहतर काम कर रहे हैं। इनको इंस्टॉल करने में करीब 12 लाख रुपए खर्च हुए थे। अब निगम कॉमर्शियल प्लांट के लिए कवायद में जुटा था। हालांकि, वह कामयाब नहीं हो पाई।

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प्रपोजल संशोधित कर भेजेंगे दोबारा

प्रपोजल संशोधित कर दोबारा से अप्रूवल को भेजा जाएगा। निगम द्वारा तय की गई बिजली की दरों में कुछ कटौती की जाएगी साथ ही प्लांट लगाने के लिए किसी अनुपयोगी जमीन की तलाश की जाएगी।

सुनील उनियाल गामा, मेयर

दो वजह से हुआ प्रस्ताव खारिज

केंद्र सरकार ने दो चीजों को लेकर आपत्ति जताई है, एक तो कृषि भूमि पर प्लांट नहीं लगाया जा सकता, दूसरा निगम द्वारा तय बिजली के रेट ज्यादा बताए गए।

विनोद चमोली, पूर्व मेयर। वर्तमान विधायक धर्मपुर

Posted By: Inextlive