नानावती आयोग ने 12 वर्षों की जांच के बाद गुजरात दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट मंगलवार को मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंप दी. विधानसभा के अगले सत्र में इसको सदन के पटल पर रखने के बाद सार्वजनिक किया जा सकता है.


2,500 पेज की रिपोर्ट
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति जीटी नानावती और न्यायमूर्ति अक्षय मेहता ने 45 हजार शपथ पत्र व हजारों गवाहों के बयान के बाद करीब ढाई हजार पेज की रिपोर्ट तैयार की. पिछले महीने ही न्यायमूर्ति नानावती ने कहा था कि आयोग का कार्यकाल 25वीं बार बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि हमारी अंतिम रिपोर्ट तैयार है. इसे छपने के लिए भेज दिया गया है और जल्द ही हम सरकार को रिपोर्ट सौंप देंगे. बताते चलें कि इससे पहले 24 बार आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है. आयोग ने सितंबर 2008 में गोधरा कांड पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी. उस समय आयोग ने साबरमती एक्सप्रेस की बोगी संख्या-6 में आग लगाने को सुनियोजित साजिश का परिणाम बताया था. 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की घटना के बाद राज्य के कई इलाकों में दंगे फैल गए थे.क्या है नानवती आयोग


27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवकों को जलाने की घटना के प्रतिक्रियास्वरूप समूचे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे. इसकी जांच के लिए तीन मार्च 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति जीटी नानावती की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया. न्यायमूर्ति केजी शाह आयोग के दूसरे सदस्य थे. हालांकि शुरू में आयोग को साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी से जुड़े तथ्य और घटनाओं की जांच का काम सौंपा गया. लेकिन जून 2002 में आयोग को गोधरा कांड के बाद भड़की हिंसा की भी जांच करने के लिए कहा गया. आयोग ने दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी, उनके कैबिनेट सहयोगियों व वरिष्ठ अफसरों की भूमिका की भी जांच की.2008 को आई पहली रिपोर्ट आपको बताते चलें कि आयोग ने सितंबर 2008 में गोधरा कांड पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी. उस समय आयोग ने साबरमती एक्सप्रेस की बोगी संख्या-छह में आग लगाने को सुनियोजित साजिश का परिणाम बताया था. 2009 में शाह के निधन के बाद अक्षय मेहता को सदस्य बनाया गया. जांच में 7 करोड़ रुपये का खर्चा  

पिछले 12 साल में आयोग का 24 बार कार्यकाल बढ़ाया गया और एक आरटीआइ मुताबिक पूरी जांच में सात करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए. आयोग ने 45 हजार शपथ पत्र व हजारों गवाहों के बयान के बाद करीब ढाई हजार पेज की रिपोर्ट तैयार की और इसे 18 नवंबर 2014 को मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंप दिया गया. अब इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा. आयोग के अध्यक्ष जीटी नानावटी का कहना है कि, 'मैंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें क्या है, इस बारे में मैं कुछ नहीं बताऊंगा. यह राज्य सरकार पर है कि वह इसे सार्वजनिक करती है या नहीं.'Hindi News from India News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari