RANCHI : सुबह-सुबह स्कूल बस स्टॉप पर बच्चों की लाइन। अचानक बस के हॉर्न की आवाज आती है और सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को ड्राइविंग सीट पर बैठीं 'आंटी' के जिम्मे छोड़कर बेफिक्र घर लौट जाते हैं। जी हां, इस स्कूल बस के ड्राइवर कोई अंकल नहीं, बल्कि आंटी हैं। हम बात कर रहे हैं हजारीबाग के शिवदयालनगर की नंदिनी चक्रवर्ती की, जो अपने शहर में 'बस वाली आंटी' के नाम से मशहूर हैं। बच्चे इन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। इस नाम से पूरे शहर में नंदिनी का पता आपको कोई भी बता देगा। आफ्टरऑल, नंदिनी पहली लेडी बस ड्राइवर जो हैं। फिर चाहे पैर की हड्डियां टूटी हों या हाई फीवर, इन सब सिचुएशंस में नंदिनी आपको बस ड्राइविंग की ड्यूटी डटकर करतीं नजर आएंगी।

हर दिन तय करती हैं 60 किमी की दूरी

संस्कृत में एमए तक की पढ़ाई कर चुकीं नंदिनी चक्रवर्ती ने पिछले साल से स्कूल बस चलाना शुरू किया है। इस एक साल में हर रोज सुबह साढ़े सात बजे और साढ़े आठ बजे नंदिनी की बस हजारीबाग के डिफरेंट रूट्स से होकर निकलती है। कनहरी हिल के पास स्थित डीएवी स्कूल में बच्चों को ड्रॉप करने के बाद बस की दूसरी ट्रिप दोपहर 12.30 बजे और 1.30 बजे चलती है। यह वक्त बच्चों के घर लौटने का होता है। पूरे दिन नंदिनी खुद बस को ड्राइव करते हुए 60 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। स्कूल बस के बच्चों के बीच नंदिनी जितनी पॉपुलर और फेवरेट हैं, उतनी ही पेरेंट्स के बीच भी। बच्चों ने नंदिनी के डिफरेंट और केयरिंग होने की वजह से ड्राइविंग करते वक्त वीडियो भी बनाया और उसे सोशल नेटवर्किग साइट पर वायरल भी किया।

बच्चों की पढ़ाई के लिए शुरू की ड्राइविंग

नंदिनी चक्रवर्ती बताती हैं कि साल 2004 में वह अपने दोनों बच्चों का एडमिशन डीएवी स्कूल में कराना चाहती थीं, लेकिन उस वक्त उनके पास उतने पैसे नहीं थे। नंदिनी के पति माणिक चक्रवर्ती आकाशवाणी में कैजुअल अनाउंसर हैं। पैसे पूरे नहीं हो पाने की वजह से नंदिनी ने स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। वहीं, सरकारी नौकरी में रिटेन टेस्ट पास करने के बाद भी पैसे मांगे जाने लगे। इस दौरान नंदिनी ने कुछ खुद का करने की ठान ली। इसकी शुरुआत उन्होंने वैन खरीदकर की। बैंक से लोन लेकर नंदिनी ने वैन खरीदी। वैन को स्कूल की पिक एंड ड्रॉप फैसिलिटी के लिए रखा। लेकिन, अचानक ही ड्राइवर की तबीयत बिगड़ गई। 15 दिन ही हुए थे नंदिनी को ड्राइविंग सीखे कि उन्हें खुद ही स्कूल के बच्चों को वैन से स्कूल ड्रॉप करना पड़ा और यहीं से शुरू हुई नंदिनी चक्रवर्ती की ड्राइविंग की यात्रा।

शहर की पहली फोर्स मोटर ट्रेवलर ओनर

गाड़ी खुद से ड्राइव करने के जुनून की वजह से नंदिनी चक्रवर्ती ने बैंक से लोन लेकर फोर्स मोटर ट्रेवलर की गाड़ी ली। इसे मिनी बस के रूप यूज करने के लिए उन्होंने चेन्नई से खासकर मंगवाया। हजारीबाग में पहली बार नंदिनी ने ही इस गाड़ी को मंगवाया, जिसके लिए उन्होंने बैंक से दस लाख रुपए लोन लिए। इस गाड़ी के शोरूम के नहीं होने की वजह से उन्होंने चेन्नई से ऑनलाइन ऑर्डर कर इसे मंगवाया था।

शुरू में मजाक उड़ाते थे लोग

पहली लेडी बस ड्राइवर होना हजारीबाग के लोगों के लिए अटपटा था। नंदिनी बताती हैं कि खासकर उन्हें मेल बस ड्राइवर्स और कुछ लोगों की ओर से कमेंट्स झेलने पड़े। लोग मजाक उड़ाते, तो कभी अटपटी बातें कहकर चिढ़ाते। इसके बावजूद नंदिनी ने इन बातों की परवाह नहीं की और ड्राइविंग को अपना पेशा बना लिया।

गरीब बच्चों की ली जिम्मेदारी

साल 2004 के बाद नंदिनी ने अपने बल पर पांच वैन खरीदीं। इनमें दो वैन, एक टाटा मैजिक और दो मिनी बस शामिल थीं। इन्हें नंदिनी ने पिछले दस साल की कमाई के बूते खरीदा। फिलहाल उन्होंने पांच ड्राइवर्स को जॉब भी दे रखी है। इसके अलावा अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद नंदिनी शाम के वक्त गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन भी देती हैं। इन बच्चों के पेरेंट्स के अनपढ़ होने की वजह से डीएवी स्कूल में इनका एडमीशन नहीं हो पाया। नंदिनी बताती हैं कि उन्होंने इन बच्चों की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें पढ़ाने और गाइड करने की रिटेन गारंटी लेते हुए डीएवी स्कूल में एडमीशन दिलाया। इन बच्चों में ज्यादातर लड़कियां हैं, जो गरीब परिवार से हैं। नंदिनी इन सभी बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन दे रही हैं।

Posted By: Inextlive