GORAKHPUR : गोरखपुर पुलिस में नारकोटिक्स सेल अब कागजों पर चल रहा है. कुछ दिन पहले तक नारकोटिक्स सेल का वजूद हुआ करता था. पुलिस ऑफिस की दूसरी मंजिल पर एक कमरे से नारकोटिक्स सेल ऑपरेट किया जाता था लेकिन अब सेल का वजूद दम तोड़ रहा है. जिस कमरे से सेल चलता था वहां एसआईएस स्पेशल इनवेस्टिगेशन सेक्शन सेल चल रही है.


पुलिस में 18 विंग होती है। इनके सबके अलग अलग काम होते हैं। विंग में स्पेशलिस्ट पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग होती है। कुछ दिनों से गोरखपुर के पुलिस डिपार्टमेंट से एक स्पेशल विंग लापता हो गई। विंग का नाम है नारकोटिक्स सेल। नेपाल बॉर्डर से जुड़े होने के चलते गोरखपुर मादक पदार्र्थों की बिक्री का बड़ा सेंटर है, लेकिन लगता है गोरखपुर पुलिस को इस विंग की जरूरत नहींहै। पहले भी नाम की थी सेल


भले ही कुछ दिन पहले  नारकोटिस सेल का वजूद रहा हो लेकिन उसकी हैसियत भी हाथी दांत जैसी ही थी। इतना महत्वपूर्ण सेल केवल दो कांस्टेबल के सहारे ही चलता था। सेल में न तो फोर्स थी और न ही उसके पास कुछ करने के लिए थे। यह सेल कितनी दयनीय हालत में थी इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि उसके पास अपनी व्हीकल तक नहीं थी। दोनों कांस्टेबल साइकिल पर चलते थे और थाने में पकड़े जाने वाले मादक पदार्थ की केवल लिखा-पढ़ी की जाती थी। सेल के एक्टिवेट न होने और फोर्स की कमी को देखते हुए दोनों का ट्रांसफर दूसरे विंग में हो गया और रिकॉर्ड बनाने की जिम्मेदारी डीसीआरबी विंग के हवाले कर दी गई।क्राइम ब्रांच के पास नारकोटिस सेल  

पहले से कई विंग की जिम्मेदारी उठाने वाली क्राइम ब्रांच के पास नारकोटिक्स सेल का भी भार है। क्राइम ब्रांच के पास मादक पदार्र्थों की धरपकड़ के साथ सिटी में क्राइम रोकने की भी जिम्मेदारी है। नारकोटिक्स की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। इसके तहत अब पुलिस एक्टिव होकर वर्क कर रही है.परेश पांडेय, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive