सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई को गुजरात के नरोदा पाटिया में हिरासत में लिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेद्र मोदी ने उनके वकीलों को रिश्वत देने की कोशिश की ताकि सुप्रीम कोर्ट में दायर उनकी जनहित याचिका पर होने वाली सुनवाई में बाधा डाली जा सके.

नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में उपवास कर रहे है और सोमवार को उनके उपवास का आखिरी दिन है। सारभाई ने गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में ये जनहित याचिका डाली थी। अपनी याचिका में साराभाई ने दावा किया था कि साल 2002 में हुए दंगों में राज्य सरकार और मोदी शामिल थे।

उन्होंने आरोप लगाया,"मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य खुफ़िया ब्यूरों प्रमुख आरबी श्रीकुमार और उप अधिकारी संजीव भट्ट को मेरे वकील को दस लाख रुपए रिश्वत के तौर पर देने को कहा था कि ताकि सुप्रीम कोर्ट में जो जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी उसमें बाधा पहुँचाई जा सके। " साराभाई ने इस सिलसिले में मीडिया को हलफ़नामें की फ़ोटोकॉपी भी दी है।

हिरासत

इस बीच नरेंद्र मोदी के उपवास के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की योजना करने वाले कुछ लोगों के साथ-साथ मल्लिका साराभाई को हिरासत में ले लिया गया है। नरोदा पाटिया में पीड़ित एक धरना करना चाह रहे थे लेकिन उसके शुरु होने से पहले ही पुलिस ने इन लोगों को घेर लिया।

इस धरना में शामिल वकील मुकुल सिन्हा का कहना है,"यहाँ जो भी पीडित थे वे मुख्यमंत्री को एक खुला पत्र लिखकर ये पूछना चाह रहे थे कि उनके लिए सदभावना का अर्थ क्या है। लेकिन धरना शुरु होने से पहले ही पुलिस ने कार्रवाई की और मेरे साथ 14 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है."

मल्लिका का कहना था कि उन्हें नहीं पता कि क्यों पकड़ा जा रहा है और ये सदभावना नहीं है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जहाँ एक तरफ़ शांति और सद्भावना के लिए तीन दिन का अनशन कर रहे हैं वहीं उनके विरोध में कई स्वर उठने लगे हैं।

एनडीए की सहयोगी पार्टी जनता दल(यू) ने भी आरोप लगाया है कि नरेद्र मोदी राजधर्म को निभाने में असफल रहे है। जेडी(यू) के प्रवक्ता शिवआनंद तिवारी का कहना था,"जब वे राज्य के पाँच करोड़ लोगों को न्याय नहीं कर पाए तो वह 125 करोड़ की आबादी वाले देश की जनता को क्या न्याय दिला पाएगे। "

भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के उपवास को ऐतिहासिक बता रही है लेकिन कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं। इस उपवास के बदले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वघेला भी साबरमति आश्रम के बाहर उपवास पर बैठे हैं।

Posted By: Inextlive