शिक्षा के क्षेत्र में सुधार को लेकर सहोदया सम्मेलन में मंथन किया गया। बड़े बदलाव से ही शिक्षा के स्तर में सुधार की बात कही गर्इ। 2021 में पीसा की मीटिंग से पहले सीबीएसई स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता पर रखा गया है। 2020 से नई एग्जाम पॉलिसी लार्इ जाएगी।


lucknow@inext.co.inLUCKNOW : देश में लगातार शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बात कही जा रही है। आज से एक दशक पहले भारत ने अपनी बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की स्थिति को जानने के लिए इंटरनेशनल लेवल पर होने वाली एक बौद्धिक परख परीक्षा में हिस्सा लिया था। यह एग्जाम प्रोग्राम ऑफ  इंटरनल स्टूडेंट्स असेस्मेंट (पीसा) के नाम से जाना जाता है। हमारे देश से आखिरी बार जब इस एग्जाम में हिस्सा लिया था तब हमारी रैकिंग केन्या व वियतनाम जैसे देशों से भी काफी पीछे थी। सीबीएसई बोर्ड इसी इसे सुधारने पर लगा है। यह जानकारी सीबीएसई बोर्ड की चेयरमैन अनीता करवाल ने अंबेडकर यूनिवर्सिटी के अटल सभागार में आयोजित सहोदया सम्मेलन में दी।शुरू की जाएगी टीचर्स की ट्रेनिंग
अनीता करवाल ने कहा कि सीबीएसई के स्कूल अपना बेस्ट परफॉर्मेंस नहीं दे रहे हैं। आगामी वर्ष से सीबीएसई एग्जामिनेशन रिफॉर्म की दिशा में बड़े बदलाव करने जा रहा है, जिसमें एग्जाम से लेकर असेस्मेंट तक का तरीका बदलेगा। सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि सीबीएसई ने अपने बायलॉज में बदलाव किया है। अब सीबीएसई स्कूलों को इंफ्रास्ट्रक्चर की जगह एकेडमिक पार्ट पर अधिक ध्यान देगा। स्कूल की मान्यता के समय सीबीएसई स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर राज्य सरकार से जारी एनओसी के बाद, अलग से जांच नहीं कराएगा। उन्होंने बताया कि बायलॉज बदलने के बाद अब देश के सभी सीबीएसई स्कूल्स के टीचर्स की ट्रेनिंग कराई जाएगी। मौजूदा समय में सीबीएसई स्कूलों में लाखों टीचर ऐसे हैं जो बीएड और बीटीसी की डिग्री तो ले आए हैं, लेकिन उनकी टीचिंग क्षमता में कमी है। ऐसे टीचर्स की टीचिंग स्किल को बढ़ाने के लिए दो, तीन और पांच दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया गया है, जिसमें बोर्ड से संबंधित सभी स्कूलों के शिक्षकों को हिस्सा लेना अनिवार्य है। वहीं बोर्ड के सभी स्कूल ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए टीचर्स की इंट्री भेजेंगे। स्टूडेंट्स को क्रिएटिव बनाने में मिलेगा लाभ


अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि हमारा एजुकेशन सिस्टम अंग्रेजों के जमाने का है। हम अभी क्लर्क ही बना रहे हैं जबकि दूसरे देशों में शिक्षा व्यवस्था काफी आगे है। अब बच्चों को क्या आता है इससे ज्यादा फोकस उनकी नॉलेज को दिया जाता है। हम ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षकों को यह बताया जाएगा कि क्लास में बैठे आखिरी बच्चे तक को जो पढ़ाया जा रहा है वह ठीक से उस तक पहुंचा या नहीं। इसके लिए मौजूदा टेक्नोलॉजी के प्रयोग का पूरा सहारा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग को शुरू करने का सबसे बड़ा लाभ यह मिलेगा कि स्टूडेंट्स लकीर का फकीर नहीं बनेगा बल्कि वह कुछ खुद से करने का इच्छुक होगा। इसके अलावा इस प्रक्रिया के शुरू होने से स्टूडेंट्स को खुद के टैलेंट का भी पता चलेगा। पीसा का एग्जाम इंटरनेशनल स्तर पर 90 भाषाओं में होता है। भारत में यह एग्जाम हिंदी और इंग्लिश भाषा में होगा, जिसमें स्टूडेंट्स अपनी पसंद से मीडियम का चयन कर सकते हैं। बेहतर परफॉर्मेंस पर मंथन अनीता ने बताया कि एक बार फिर से हम वर्ष 2021 में इस एग्जाम में हिस्सा लेने जा रहे हैं। बोर्ड की कोशिश है कि हमारे स्कूल इस एग्जाम में बेहतर परफॉर्मेंस दे, जिससे देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके। यूपी में पहली बार आयोजित सहोदया सम्मेलन में सीबीएसई चेयरपर्सन, सचिव, परीक्षा नियंत्रक समेत अन्य अधिकारी और देशभर के स्कूल प्रिंसिपल, टीचर शामिल हुए हैं। सम्मेलन में सहोदया लखनऊ के चेयरमैन डॉ. जावेद आलम खान भी मौजूद रहे। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने सूफी गीत पर कथक की प्रस्तुति दी। यह सम्मेलन 24 नवंबर तक चलेगा।सिंगापुर है टॉप पर

अनीता करवाल ने बताया कि पीसा का मुख्यालय पेरिस में है। भारत ने साल 2009 में अंतिम बार इसमें भाग लिया था, जिसमें हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के बच्चों ने भाग लिया था। उसके बाद भारत की तरफ  से एग्जाम में भाग लेना छोड़ दिया गया। उन्होंने बताया कि एजुकेशनल सिस्टम के मूल्यांकन के लिए 2009 के पीसा असेस्मेंट में विश्व के 74 देशों ने हिस्सा लिया, जिसमें से भारत को 72वां स्थान मिला था। यहां तक के केन्या व वियतनाम जैसे देश भारत से कहीं बेहतर रहे थे। वहीं सिंगापुर लगातार इसमें टॉप कर रहा है। अनीता करवाल ने बताया कि शिक्षा में सुधार लाने के उद्देश्य से एग्जाम में दोबारा वर्ष 2021 में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है ताकि हम बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इसके लिए सीबीएसई अपने एजुकेशनल सिस्टम में जरूरी बदलाव कर रहा है।इसलिए सिंगापुर हमेशा रहता है नबंर वन
पीसा मूल्यांकन में अभी तक सिंगापुर हमेशा टॉप पर रहता है। पीसा की ओर से जारी रिपोर्ट में सिंगापुर के टॉप में होने की कई वजह बताईं हैं। इसमें पहली वजह यह है कि सिंगापुर गवर्नमेंट की ओर से वहां पर ग्रेजुएशन पास करने वाले टॉप पांच प्रतिशत लोगों को ही शिक्षक बनने का मौका दिया जाता है, जिससे वहां की शिक्षा व्यवस्था में बेहतर शिक्षक ही आ सकें ताकि स्टूडेंट्स को बेस्ट क्वालिटी एजुकेशन मिल सके। इसके अलावा सभी शिक्षकों को पढ़ाने के लिए एक समान ट्रेनिंग की प्रक्रिया से गुजरना होता है, जो देश की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन द्वारा दी जाती है, जिसे सभी टीचर्स में पढ़ाने के लिए एक समान टेक्निक का प्रयोग करें। रिपोर्ट में कहा गया कि सिंगापुर गवर्नमेंट इस प्रक्रिया को लगातार कई दशकों से प्रयोग में ला रहा है।तथ्य एक नजर में- 21 हजार देश में सीबीएसई स्कूलों की संख्या- 110 के करीब राजधानी में - 2।5 लाख के करीब स्टूडेंट्स की संख्या शहर में - 6 हजार के करीब स्कूलों में टीचर्स की संख्या- 2009 में आखिरी बार भारत ने पीसा में भाग लिया था- तमिलनाडू और हिमाचल प्रदेश के बच्चों ने लिया था भाग- 74 देशों ने उस समय लिया था हिस्सा- 72 वीं रैंकिंग आई थी भारत की  - 90 भाषाओं में होता है एग्जाम- 2021 में फिर से भारत पीसा में लेगा हिस्सा

Posted By: Satyendra Kumar Singh