नेशनल कैंसर सर्वाइवल डे : कैंसर को ऐेसे पहचानिए, बच जाएगी जान
नेशनल कैंसर सर्वाइवल डे स्पेशल
-हजारों नए मरीज हर साल देते हैं दस्तक, अभी और जागरुकता की जरूरतprayagraj@inext.co.inPRAYAGRAJ: कैंसर के मरीजों की जान बचाने में डॉक्टरों को अधिक सफलता मिलने लगी है. इसका कारण इलाज की सुविधाओं में तरक्की के साथ मरीजों में जागरुकता का बढ़ना भी है. लेकिन, इसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता. अभी भी बड़ी संख्या में लोग कैंसर के चलते काल के गाल में समा जा रहे हैं.
सेहत के प्रति जागरुक हैं मरीज
कैंसर जैसी बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है. यह तभी संभव होगा जब हम समय रहते डॉक्टर के पास जाएं. पहले बीमारियों को लेकर लोग लापरवाह थे लेकिन अब डॉक्टर के पास पहुंचने वालों की संख्या बढ़ी है. ऐसे में कैंसर को पहचानने में आसानी हो जाती है. डॉक्टर्स का कहना है कि अर्ली स्टेज पर आने वाले 80 फीसदी मरीजों को बचा लिया जाता है. अगर सभी मरीज शुरुआती दौर में आ जाएं तो कैंसर से मरने वाले अधिकतर मरीजों को बचाया जा सकता है.
40 फीसदी को मिलता है जीवनदान
आंकड़ों पर जाएं तो जिले में हर साल 6 से 8 हजार कैंसर के नए मरीज आते हैं. इनमें से 30 से 40 फीसदी की जान बचा ली जाती है. इसका सीधा सा कारण शहर में इलाज की सुविधाओं का बढ़ जाना है. खासकर मेडिकल कॉलेज, कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल और कुछ अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल्स में प्रयागराज साहित आसपास के जिलों के लोगों का इलाज आसानी से उपलब्ध है. इससे प्राइमरी लेवल पर उनकी बीमारी डायग्नोस हो जाती है.
-डॉॅ बीके मिश्रा, कैंसर रोग विशेषज्ञ, कृति कैंसर इंस्टीट्यूट