छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: सीबीआई की जांच में नेशनल हाईवे (एनएच)-33 के निर्माण में हुई अनियमित्ता का मामला धीरे-धीरे खुल रहा है। ठेका कंपनी मधुकॉन द्वारा एनएच निर्माण के लिए मिले फंड को कहीं और खर्च करने की बात भी सामने आ रही है। सीबीआइ की जांच में पता चला है कि एनएच की बदहाली के लिए न सिर्फ मधुकॉन के ही अधिकारी बल्कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के भी कई पूर्व अधिकारी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार एनएच-33 फोर लेन निर्माण के मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने एनएचएआइ के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से एनएच-33 से संबंधित कई जानकारियां हासिल की हैं। इसके निर्माण के लिए मधुकॉन से हुए एग्रीमेंट के अलावा, उन अधिकारियों की सूची भी ली है जो निर्माण के दौरान रांची स्थिति क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात रहे हैं।

सीबीआई करेगी पूछताछ

सूत्रों की मानें तो जांच के दायरे में आए तकरीबन आधा दर्जन अधिकारी अभी दिल्ली हेडक्वार्टर के अलावा एनएचएआइ के अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों में तैनात हैं। सीबीआइ इन सभी अधिकारियों से पूछताछ करेगी। ये अधिकारी कौन हैं, सीबीआइ के अधिकारी इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। सीबीआइ डीएसपी राजेश सिंह सोलंकी ने एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एके सिन्हा के साथ शनिवार को रांची से महुलिया तक एनएच-33 का जायजा लिया और देखा कि मधुकॉन ने कितना काम किया है। सूत्र बताते हैं कि जितना काम कागज पर दिखाया गया है उतना मौके पर हुआ नहीं। एनएचएआइ के पूर्व अधिकारियों पर शक की वजह यही है।

सीएम ने 24 को बुलाई है बैठक

एनएच-33 के निर्माण के लिए अब सरकार गंभीर हो गई है। रांची-टाटा फोरलेन को बनाने में आने वाली रुकावटें दूर करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 24 सितंबर को रांची में एनएच के निर्माण में आने वाली बाधाओं को हल करने के लिए बैठक बुलाई है। इसमें मुख्य सचिव, एनएचएआइ के अधिकारी, राजस्व विभाग व वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव, जिला भू अर्जन अधिकारी, वन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी आदि शिरकत करेंगे। इस बैठक में एनएच से संबंधित भूमि अधिग्रहण और वन विभाग की एनओसी के मामले की समीक्षा होगी और अड़चनों को दूर किया जाएगा।

भूमि अधिग्रहण का है पेंच

इसके पहले मुख्य सचिव ने रांची में एनएचएआइ समेत अन्य अफसरों की बैठक बुला कर भूमि अधिग्रहण का काम हर हाल में अगस्त में पूरा करने का आदेश दिया था। लेकिन, भूमि अधिग्रहण के पेच हल नहीं हो सके। मुख्य सचिव के आदेश का असर नहीं हुआ तो अब मुख्यमंत्री को मोर्चा संभालना पड़ा है। यही नहीं, दलमा वन्य अभ्यारण्य के इलाके में एनएच-33 को दी गई वन विभाग की जमीन के मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी भी अब तक नहीं मिल सकी है।

Posted By: Inextlive