शोक रोग एवं भय से मुक्ति देना सिद्धिदात्री देवी का प्रधान कार्य है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार शिव जब तारक मन्त्र देते हैं तो देवी सिद्धिदात्री मन्त्र धारक को मोक्ष प्रदान करती हैं।

देव गणों को भी कार्य सिद्धि प्रदान करने वाली देवी का नवरात्रि के नवें दिन पूजन-अर्चन होता है। काशी में इनकी सिद्ध मंदिर सिद्धमाता गली-गोलघर, मैंदागिन में स्थित है।

शोक, रोग एवं भय से मुक्ति

शोक, रोग एवं भय से मुक्ति देना इस देवी का प्रधान कार्य है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, शिव जब तारक मन्त्र देते हैं तो देवी सिद्धिदात्री मन्त्र धारक को मोक्ष प्रदान करती हैं। इनकी आराधना का मन्त्र पुराण में इस प्रकार प्राप्त होता है –

अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

भक्तों को देती हैं सिद्धी


कमल पर विराजमान माता सिद्धदात्री शेर की सवारी भी करती हैं और भक्तों को सिद्धी देती हैं। भक्तों को ब्रह्म महूर्त में इस देवी की पूजा करनी चाहिए।

मंत्र— 

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

इनकी कृपा से भोलेनाथ कहलाए अर्धनारीश्वर


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने सिद्धियों की प्राप्ति के लिए सिद्धिदात्री देवी की आराधना की थी, तभी भोलेनाथ को सभी सिद्धियां मिली थीं। तभी महादेव का आधा शरीर पुरुष का और आधा महिला का हो गया, तब महादेव का अर्धनारीश्वर स्वरूप प्रत्यक्ष हुआ।

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Posted By: Kartikeya Tiwari