RANCHI: पढ़ने-लिखने की उम्र में किस तरह बचपन खत्म हो जाती है और बच्चे अपनी जिंदगी संवारने के बजाय हथियार चलाने का मजबूर हो जाते हैं, इसकी बानगी सोमवार को देखने को मिली। जब दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आईजी एमएस भाटिया के समक्ष नक्सली एरिया कमांडर कुंदन पाहन के दस्ते की दो लड़कियों ने सरेंडर किया। प्रस्तुत है सेक्शन कमांडर नैती कुमारी उर्फ प्रमिला और कैडर पोस्ट पर रही यशोदा कुमारी उर्फ उर्मिला की दर्द भरी उन्हीं की जुबानी कहानी।

12 साल की उम्र में नैती बन गई नक्सली

नक्सली संगठन में सेक्शन कमांडर नैती कुमारी उर्फ प्रमिला ने पुलिस को बताया कि वह बारीगढ़ा स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढ़ी है। वर्ष 2007 में जब उसकी उम्र 12 साल की थी, तो वह भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हुई। झारखंड ए-वन एवं महिला समिति की कमांडर प्रभा के संपर्क में आने के बाद उसे सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नाच-गाने के लिए उसे ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद वह पार्टी के ही गिरिडीह से आए अनूप और निरंजन के साथ डिंगडीह, कारूडीह, गितिलबेड़ा एवं सोसोकुटी के कैंपों में रह कर सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने लगी। घर वापस आने पर माओवादी श्याम पाहन द्वारा परिजनों को धमकाने के बाद माओवादी कुंदन पाहन, किशोर, राजेश, चांद महतो, पवन, अनिल एवं मार्शल टुटी की टीम में रहने लगी। चांडिल में सांस्कृतिक कार्यक्रम में पीटी, ड्रील एवं हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली। बुंडू, तमाड़, अड़की, मुरहू, चांडिल, कोल्हान, सरायकेला इत्यादि के क्षेत्रों में कई उग्रवादी घटनाओं को अंजाम देने एवं पुलिस के साथ मुठभेड़ में भी मैं भागीदार रही।

नैती ने बताया कि उसने सरेंडर पॉलिसी से प्रभावित होकर, भाकपा माओवादियों की गलत नीतियों एवं शारीरिक मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर मुख्यधारा से जुड़ने के लिए पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। वह नामकुम थाना कांड संख्या- 253/11 के तहत 27 आ‌र्म्स एक्ट, 17 सीएलए एक्ट कांड की आरोपी है।

नैती ने बताया कि ममईल मुठभेड़, राबो मुठभेड़, केदलाकोचा मुठभेड़, मारंगबुरू मुठभेड़ तीन बार, मोसंगा मुठभेड़ के बाद जोखेड़ा मुठभेड़, खूंटी-मुरहू मुठभेड़, कुरमादा मुठभेड़, हेसो मुठभेड़, पोड़ाहाट मुठभेड़, चांडिल के पोड़ोकोचा मुठभेड़, चतनीबेड़ा मुठभेड़, गंजड़ा मुठभेड़ व शंकरा मुठभेड़ व जोजेबेड़ा मुठभेड़ आदि में शामिल रही है।

8वीं में पढ़ाई छोड़ कर नक्सल संगठन में शामिल हुई यशोदा

नक्सली संगठन में कैडर के पोस्ट पर रहने वाली यशोदा कुमारी उर्फ उर्मिला बारीगढ़ा की रहनेवाली है। वह वर्ष 2008 में आठवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान ही भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ी। उर्मिला बताती है उसने कुंदन पाहन की टीम के साथ चेतराबेड़ा, सेरेंगडीह, पोड़ैयाहाट, सारंडा, चांडिल, चतनीबेड़ा, कुरमादा के जंगलों में घूमते हुए पुलिस के साथ 13 मुठभेड़ में शामिल रहीं। ममईल मुठभेड़, राबो मुठभेड़, केदलाकोचा मुठभेड़, मारंगबुरू मुठभेड़ तीन बार, मोसंगा मुठभेड़ के बाद जोखेड़ा मुठभेड़, खूंटी-मुरहू मुठभेड़, कुरमादा मुठभेड़, हेसो मुठभेड़, पोड़ैयाहाट मुठभेड़, चांडिल के पोड़ोकोचा मुठभेड़, चतनीबेड़ा मुठभेड़, गंजड़ा मुठभेड़ व शंकरा मुठभेड़ में वह शामिल रहीं।

उर्मिला नामकुम थाना कांड संख्या 253/11 के तहत 27 आ‌र्म्स एक्ट व तमाड़ थाना कांड संख्या 61/10 के तहत 17 आ‌र्म्स, 17 सीएलए व 13 यूएपी एक्ट की आरोपी है।

Posted By: Inextlive