- एनसीईआरटी की बुक्स से पूरी हो रही डिमांड

- उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रिंटेड एनसीईआरटी बुक्स का अब भी टोटा

देहरादून, समर वैकेशन के बाद स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर एनसीईआरटी सिलैबस की उत्तराखंड प्रिंटेड बुक्स का टोटा अभी भी बना है। ऐसे में बुक सेलर्स अब अपने स्तर से सीधे वेंडर के जरिए बुक्स मंगा रहे हैं। सरकार द्वारा प्रिंट कराई गई बुक्स अवेलेबल न होने के कारण बुक सेलर के पास दूसरा ऑप्शन भी नहीं है। हालांकि, एनसीईआरटी बुक्स के लिमिटेड स्टॉक के कारण बुक सेलर्स की डिमांड अब भी पूरी नहीं हो पा रही।

सरकारी बुक्स का अब तक टोटा

गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद सरकारी स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में अब बच्चे बुक्स की डिमांड करने लगे हैं। राज्य सरकार द्वारा सीधे एनसीईआरटी से बुक्स खरीदने और यूपी से एमओयू को लेकर हुए निर्णय पर फिलहाल विभाग की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। ऐसे में बुक सेलर अपने स्तर से ही बुक्स सीधे एनसीईआरटी के वेंडर्स से मंगा रहे हैं। बुक सेलर का दावा है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रिंट करवाई गई एनसीईआरटी की बुक्स वेंडर के पास भी उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा जो बुक्स उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रिंट करवाई गई थी, उनके दाम और एनसीईआरटी की बुक्स के दाम मे अंतर है। ऐसे में बुक सेलर सीधे वेंडर से बुक्स मंगा रहे हैं।

दून में 5 बुक वेंडर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने पटेलनगर, कारगी रोड और कोतवाली में बुक सेलर से बात की तो सभी ने इस बात पर हामी भरी कि एनसीईआरटी के वेंडर से ही सीधे बुक मंगाई जा रही हैं। ये बुक अच्छी क्वालिटी की और सस्ती भी हैं। हालांकि एनसीईआरटी की बुक्स की सबसे बड़ी समस्या है यह है कि इनकी डिमांड के लिए हर महीने इन्डेड भेजना होता है, इसके बाद ही बुक्स अवेलेबल कराई जाती हैं। दून में एनसीईआरटी बुक्स के 5 वेंडर हैं।

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जिन बुक्स की सबसे ज्यादा डिमांड-

क्लास 1- मैथ

क्लास 4, 5- इंग्लिश

क्लास 6, 7, 8- मैथ

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एनसीईआरटी की बुक्स को सीधे वेंडर से ही मंगाया जा रहा है। जो भी डिमांड है उसे एनसीईआरटी के माध्यम से दूर करने की कोशिश की जा रही है।

राजेश बहुगुणा, साहित्य व‌र्ल्ड

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जिन भी बुक्स की डिमांड आ रही है, उनको सीधे डीलर के जरिए एनसीईआरटी की बुक्स मंगाई जा रही है। ये बुक्स सस्ती और अच्छी क्वालिटी की हैं।

राकेश कुमार, भगवती बुक डिपो

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अब छोटी क्लास की बुक्स की डिमांड ज्यादा है, ऐसे में सीधे डीलर से ही लेने में फायदा है। बड़ी क्लास की बुक्स की डिमांड ना के बराबर हैं।

राजेश, जनता पुस्तक भंडार

Posted By: Inextlive