40 रु। में पंचर कौन बनवाए, इसलिए 4 करोड़ के ऑटो टिपर को फेंक दिया कबाड़ में

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PATNA : एक पंचर नई गाड़ी को भी कबाड़ बना सकता है। यह बात पटना नगर निगम ने चरितार्थ कर दिया। चारों अंचलों में 57 ऑटो टिपर कबाड़ में सड़ रहे हैं। जब इनके कबाड़ में सड़ने की वजह जानी गई तो सामने आया एक चौंकाने वाला सच। 40 रुपए खर्च कर पंचर कौन बनवाए, सिर्फ इस वजह से ऑटो टिपर को कबाड़ में सड़ने के लिए फेंक दिया गया। इस मामले में निगम का जवाब भी लाजबाव है। निगम का कहना है कि जब एजेंसी से गाड़ी खरीदी गई थी तब उससे यह टाइअप किया हुआ था कि गाड़ी में कोई भी खराबी आएगी तो उसे एजेंसी ही बनवाएगी। इसलिए पंचर बनवाने की जिम्मेदारी भी एजेंसी की है। चारों अंचलों में ऐसे ही छोटी-छोटी तकनीकी खराबियों के कारण 57 ऑटो टिपर कबाड़ में सड़ रहे हैं। जिनकी कीमत 4 करोड़ 56 लाख रुपए है।

'कचरा' बन रही ट्राई साइकिल

शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए नगर निगम ने 200 करोड़ की लागत से वर्ष 2018 में ऑटो टिपर, ट्राई साइकिल, जेटिंग मशीन, प्लेसर, डंफर आदि की खरीददारी की थी।

कचरा कलेक्शन के लिए 82 लाख रुपए से 205 ट्राई साइकिल खरीदी

गई। हर वार्ड में 4 से 6 ट्राई साइकिल दी जानी है। लेकिन अभी तक 90 प्रतिशत वार्डो में इस ट्राई साइकिल का वितरण ही नहीं हुआ है। आलम यह है कि अंचलों में खुद कचरा बनती जा रही है।

हर वार्ड को मिले थे ऑटो टिपर

शहर को साफ करने के लिए निगम ने व्यवस्था बनाई थी कि ट्राई साइकिल से कचरा उठाया जाएगा और ऑटो टिपर से डंपिंग यार्ड भेजा जाएगा। हर वार्ड को 5-5 ऑटो टिपर दिए गए थे। चंद दिनों बाद ही व्यवस्था की हवा निकल गई। हर वार्ड में एक-दो ऑटो टिपर में पंचर जैसी छोटी-छोटी खराबियां आने लगी। जिन्हें महज 50-100 रुपए ही सही करवाया जा सकता था। लेकिन अधिकारियों ने कबाड़ में फेंक दिया।

साफ हो गया आपका पैसा

आपके दिए हुए टैक्स से ही शहर को स्मार्ट बनाने का संकल्प निगम ने लिया। स्मार्ट के पहले कदम में निगम ने शहर की सफाई को रखा। इसके लिए निगम ने मौर्या मोटरएजेंसी से ऑटो टीपर की खरीददारी की। शुरूआत से ही कुछ गाडि़यां खराब थी। कुछ गाडि़यों में बैट्री व रेडिएटर में खराबी, ब्रेक और स्टेयरिंग जैसी प्रॉब्लम आने लगी। एजेंसी को कई बार निगम ने कॉल किया लेकिन इन गाडि़यों की मरम्मत नहीं की गई। पंचर हुई गाडि़यों के बगल में यह वाहन भी खड़े कर दिए गए है।

ऑटो टीपर में आने वाली तकनीकी खराबी ठीक कराने की जिम्मेदारी अंचलों के ईओ की है। इसके लिए नगर निगम कमिश्नर ने निर्देश दे रखा है। हालांकि अब निगम ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनवा रहा है। जिससे गाडि़यों के लोकेशन और उसकी स्थिति की जानकारी ऑनलाइन हो जाएगी।

हर्षिता, पीआरओ नगर निगम पटना

जिस एजेंसी से गाड़ी खरीदी गई है, उसे ही बनवाना है। हमारे पास गाडि़यों की मरम्मत या पंचर बनवाने के लिए बजट नहीं है। खराब गाडि़यों की जानकारी एजेंसी को दे दी है।

शैलेष कुमार, ईओ, एनसीसी

Posted By: Inextlive