MEERUT : किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान बहुत हद तक उसमें होने वाले रिसर्च वर्क पर निर्भर है. सेशन समय से शुरू होना. समय से परीक्षा और मूल्यांकन होने के बाद स्टूडेंट्स के हाथ में रिजल्ट पहुंचना ये सारी चीजें विश्वविद्यालय की साख बनाती हैं.

कैंपस में चलने वाले कोर्सेज में दाखिले के लिए लगने वाली लाइन खुद बता देती है कि इसका ग्रेड क्या है। इसके लिए किसी नैक ग्रेडिंग की जरूरत नहीं है। इन सभी बिंदुओं पर सीसीएसयू की ग्रेडिंग जेड प्लस प्लस कही जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। सीसीएसयू में नए सत्र के दाखिलों का दौर शुरू होने वाला है। स्टूडेंट्स खुद फैसला करें क्या ये यूनिवर्सिटी वाकई पढ़ाई के काबिल है?

1. यूनिवर्सिटी कैंपस में शोध की गुणवत्ता
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि सीसीएस यूनिवर्सिटी पिछले तीन सालों से शोध के नाम पर शून्य है। रिसर्च एलिजिबिल्टी टेस्ट हुआ। छात्र पास हुए पर शोध आज तक शुरू नहीं हुआ। बहुत जोर लगाने के बाद आरईटी और नेट/जेआरएफ क्वालीफाइड छात्रों की आरएबी (रिसर्च एडवाइजरी बोर्ड) की बैठक हो पाई है। हद तो तब हो गई जब आगामी सत्र के लिए होने वाली शोध पात्रता परीक्षा टाल दी गई। 29 अप्रैल को ये परीक्षा होनी थी। जिसे समय से तैयारी न हो पाने के चलते टालना पड़ा। हालांकि इसमें अकेले सीसीएसयू का दोष नहीं है। दरअसल पूरे प्रदेश में बीएड की प्रवेश परीक्षा ज्यादा अहम समझी जाती है (शायद इसलिए क्योंकि ये सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है.) बीएड प्रवेश परीक्षा को कराने के बाद सभी यूनिवर्सिटीज का प्रशासनिक अमला थकान महसूस कर रहा था। सीसीएसयू ने भी यही कारण लिखकर फैजाबाद यूनिवर्सिटी को भेज दिया। और आरईटी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया। अब आप खुद ही सोचिए इस बिंदु पर सीसीएसयू को क्या ग्रेडिंग दी जाए।

2. कैंपस में संचालित कोर्सेज का हाल
सीसीएस यूनिवर्सिटी कैंपस में संचालित कोर्सेज का हाल बुरा है। यहां कोई दाखिला लेने को ही तैयार नहीं है। आधा दर्जन से ज्यादा कोर्स यूनिवर्सिटी इस सत्र से बंद करने जा रही है। ये ऐसे कोर्स हैं जिनमें पिछले सत्र में आवेदन तक नहीं आए थे। सोचिए ये हाल कैंपस में चल रहे पाठ्यक्रमों का है। यहां एमसीए, एमबीए जैसे बिकाऊ प्रोफेशनल कोर्सेज में भी दाखिलों का टोटा रहता है। 20 सीटों के लिए बमुश्किल आवेदन आ पाते हैं। कुलपति बदलने में व्यस्त सिस्टम शायद इन हालातों पर कभी ध्यान भी न दे। हालांकि एमफिल और पीजी कोर्सेज में दाखिले के लिए अब भी छात्रों में क्रेज है। लेकिन यह भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

3. सेशन की रेगुलेरिटी और रिजल्ट
सीसीएसयू की सत्र 2011-12 की परीक्षाएं पूरे एक से डेढ़ महीना देरी से शुरू हुईं। अभी तक यूनिवर्सिटी में दिसंबर-जनवरी में हुई सेमेस्टर, प्रोफेशनल और बीएड सत्र 2010-11 की परीक्षाओं का मूल्यांकन जारी है। बीएड सत्र 10-11 की परीक्षाएं तो जैसे-तैसे हो गईं लेकिन कई कॉलेजों में प्रैक्टिकल अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। बीएड के छात्र सरकारी नौकरियों में आवेदन के लिए रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। मूल्यांकन इतनी धीमी गति से चल रहा है कि रिजल्ट तय समय से कम से कम डेढ़ महीने देरी से घोषित हो पाएगा। इसका सीधा असर लाखों छात्रों को आगे पढ़ाई के वक्त पड़ेगा। वैसे अगले सत्र के दाखिले के लिए यूनिवर्सिटी ने कुछ तैयारियां शुरू कर दी हैं। यूनिवर्सिटी प्रेस प्रवक्ता डॉ। पीके शर्मा का कहना है कि उत्तर पुस्तिकाओं पर बार कोडिंग की वजह से मूल्यांकन में समय लग रहा है। अगले सत्र के लिए कैंपस एंट्रेंस टेस्ट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पाठ्यक्रमों को बंद करने के विषय में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। तय किया गया है कि पहले आवेदन मंगाए जाएं। इसके बाद तय किया जाए।

4. छात्रों की समस्याओं का निराकरण
यूनिवर्सिटी छात्रों से है। छात्रों के लिए है। लेकिन यहां छात्र ही प्राथमिकता में सबसे नीचे हैं। कहने को छात्र समस्या निवारण प्रकोष्ठ है। लेकिन अब ये निष्क्रिय कर दिया गया है। अब छात्र सीधे गोपनीय, परीक्षा आदि विभागों में पहुंचते हैं और अपना काम कराते हैं। डिग्री, माइग्रेशन, प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेने के लिए फिर पुरानी व्यवस्था शुरू कर दी गई है। परीक्षा में अनुपस्थिति, मार्कशीट में करेक्शन आदि के लिए आज भी छात्रों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। एक उत्तरपुस्तिका निकलवाने के लिए छात्रों को हफ्तों इंतजार करना पड़ता है। अगर सुविधा शुल्क दे दिया जाए तो ये काम तुरंत कर दिया जाता है।

5. प्लेसमेंट और अन्य गतिविधियां
प्लेसमेंट और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में सीसीएसयू की ग्रेडिंग शून्य है। इस यूनिवर्सिटी के छात्र रिकॉर्ड संख्या में नेट/जेआरएफ और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं पास कर रहे हैं तो इसका श्रेय छात्रों को ज्यादा जाता है। यहां के पूर्व कुलपति प्रो। एचसी गुप्ता की जुबानी सीसीएसयू के छात्रों की छवि कुछ यूं थी। ज्यादा पुरानी बात नहीं है। एक साल भी नहीं हुआ जब उन्होंने कहा था कि एक पेट्रोल पंप पर साफ अक्षरों में लिखा था कि यहां सीसीएसयू के छात्र आवेदन न करें। ये स्याह सच है। वास्तव में सीसीएसयू के छात्रों को कुछ इसी तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। कंपनियां यूनिवर्सिटी के छात्रों को हेय दृष्टि से देखती हैं। कैंपस और सर छोटू राम इंस्टीट्यूट में प्लेसमेंट सेल का नामोंनिशान नहीं है। बीटेक के छात्रों को अपने एफर्ट से नौकरी मिल जाए तो मिल जाए, कैंपस के छात्रों के लिए ये भी मुश्किल है।

संसाधन और फंड कम नहीं हैं
- सीसीएसयू से साढ़े चार सौ से ज्यादा प्रोफेशनल कॉलेज एफिलिएटेड हैं। इनसे करोड़ों की कमाई होती है।
- यूजीसी से करोड़ों की फंडिंग होती है। छात्रों की फीस आदि से ही करोड़ों रुपए की कमाई।
- अकेले बीएड के 280 कॉलेजों को एफिलिएशन दी गई है। इस यूनिवर्सिटी के सबसे ज्यादा बीएड कॉलेज हैं।
- शिक्षकों की कमी जरूर है। कैंपस में प्राध्यापकों के दर्जनों पद खाली हैं।

Posted By: Inextlive