RANCHI: राज्य में जितने भी एकलव्य, आश्रम, अनुसूचित जनजाति प्राथमिक विद्यालय, अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय व आदिम जनजाति प्राथमिक विद्यालय हैं, उनका संचालन अब एनजीओ द्वारा करवाया जाएगा। पहले इसका संचालन राज्य सरकार का कल्याण विभाग करता था। इन स्कूलों के संचालन के लिए योग्य कंपनियों और स्वयंसेवी संस्थाओं से आवेदन मांगा गया है। जो एनजीओ और कंपनी इन स्कूलों का संचालन करेंगी, उन कंपनियों और संस्थानों के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड की योग्यता और अर्हता के आधार पर आवेदन देना होगा। मालूम हो कि झारखंड सरकार की तरफ से राज्य के अति पिछड़े इलाकों में ये स्कूल चलाए जा रहे हैं।

क्या हैं शर्ते

-आवेदन करने वाली कंपनियों या स्वयंसेवी संस्थाओं के तीन वषरें का वित्तीय रिकार्ड बेहतर हो

-कंपनियों या स्वयंसेवी संस्थाओं को एक करोड़ रुपए का वित्तीय कारोबार करने का कागजात प्रस्तुत करना होगा।

-स्कूल चलाने के लिए शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मियों की संख्या भी बतानी होगी।

-आवेदन के साथ तकनीकी व शैक्षणिक विशेषताओं का जिक्र करना होगा।

फ्-भ् साल संचालन का जिम्मा

चयनित कंपनियों या संस्थाओं को तीन से पांच वर्ष तक के लिए स्कूलों के संचालन, पठन-पाठन, रख-रखाव व गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए संस्थानों के साथ सरकार समझौता करेगी। जानकारी के अनुसार, एकलव्य व आश्रम स्कूलों में कक्षा छह से लेकर कक्षा क्ख्वीं तक की पढ़ाई होती है। सरकार की ओर से इन स्कूलों में ब्00 बच्चों के पठन-पाठन की सुविधा दी जा रही है।

नक्सल इलाकों के हैं स्कूल

कल्याण विभाग की तरफ से बच्चों के लिए आवासीय सुविधाएं भी दी गई हैं। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से लेकर कक्षा पांचवीं तक की पढ़ाई अनिवार्य की गई है। राज्य भर में एकलव्य व आश्रम विद्यालयों की स्थापना सभी उग्रवाद प्रभावित जिलों में की गई है। केंद्र सरकार द्वारा इन स्कूलों की स्थापना के लिए राज्य सरकार को अनुदान दिया गया है।

Posted By: Inextlive