अरुणाचल प्रदेश के नीडो तनियम की नई दिल्ली में दुकानदारों के साथ कथित झड़प के बाद मौत की ख़बर से उनके दोस्त और परिजन सदमे में हैं.


दिल्ली में मौजूद पूर्वोत्तर राज्यों के लोग 'नीडो के लिए इंसाफ़ की मांग' के साथ सड़कों पर आ चुके हैं जबकि तनियम के पिता नीडो पवित्रा और उनकी पत्नी की तबियत बेटे की मौत की ख़बर के बाद से ही ख़राब है.एक और व्यक्ति हैं जिन्हें नीडो की मौत से गहरा धक्का पहुंचा है, वो हैं उनके बचपन के सबसे ख़ास दोस्त लोकम लूलू. वो इस मामले के चश्मदीद भी हैं.बुधवार को जब तनियम और लूलू अपने घरों से लाजपत नगर बाज़ार की तरफ़ गए थे तो शायद उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि अगले कुछ घंटों में उनके साथ क्या होने वाला है.'शांत प्रवृति का लड़का था नीडो'बीबीसी के साथ बातचीत करते हुए लूलू कई बार भावुक हुए और कहते रहे, “नीडो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था और वो अब नहीं रहा... वो हमेशा मेरा सबसे अच्छा दोस्त रहेगा.”


"दुकान के पांच-छह लोगों ने हम पर हमला कर दिया. हम दोनों को चोटें लगीं लेकिन नीडो को ज़्यादा मारा गया. हमसे करीब दस हज़ार रुपए मुआवज़ा भी लिया गया. इसके बाद पुलिस बुलाई गई और वो नीडो को लेकर चले गए. मुझे घर जाने को कहा गया."-लोकस लूलू, नीडो के दोस्त और चश्मदीद गवाह

लूलू कहते हैं, “नीडो को मैं बचपन से जानता था, वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था. शुरू से ही वो काफ़ी शांत था. अब वो चला गया है, मैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं.”उनके मुताबिक़ 18 वर्षीय नीडो तनियम जालंधर के एक निजी कॉलेज में बीए-सोशल के प्रथम वर्ष के छात्र थे और वो दिल्ली में छुट्टियों पर अपनी दीदी के घर घूमने आए थे.लूलू का कहना है कि बुधवार को नीडो, वो ख़ुद और दो अन्य दोस्त लाजपत नगर में किसी दोस्त से मिलने के लिए गए थे.लूलू के अनुसार, निडो एक दुकान पर पता पूछने के लिए रूके और इसी दौरान वहां खड़े लोगों ने उनके रंगे हुए बालों का मज़ाक़ उड़ाया, जिसका निडो और साथियों ने विरोध किया.क्या हुआ था उस दिन?उस दिन को याद करते हुए लूलू बताते हैं, “नीडो ने दुकान पर खड़े लोगों से कहा कि वो मज़ाक न उड़ाए और पता बताकर उसकी मदद करें. इसी बीच बातचीत बहस में बदल गई और नीडो ने दुकान के काउंटर का शीशा घूंसा मारकर तोड़ दिया.”

लूलू आगे बताते हैं, “शीशा टूटते ही दुकान के पांच-छह लोगों ने हम पर हमला कर दिया. हम दोनों को चोटें लगीं लेकिन नीडो को ज़्यादा मारा गया. हमसे क़रीब दस हज़ार रुपए मुआवज़ा भी लिया गया. इसके बाद पुलिस बुलाई गई और वो नीडो को लेकर चले गए. मुझे घर जाने को कहा गया.”पूर्वोत्तर राज्यों के लोग शनिवार को दिल्ली की सड़कों पर उतरे और लाजपत नगर के उसी बाज़ार में पैदल विरोध मार्च किया जिसमें वो कथित जानलेवा झड़प हुई थी.अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने भी शुक्रवार रात दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी पी करुणाकरण की गाड़ी रोककर अपना विरोध जताया.

Posted By: Subhesh Sharma