इंटरलॉकिंग टाइल्स पर निगम में घालमेल का घमासान जारी

शासन की ओर से नियुक्त कमेटी की ओर से अब तक जांच नहीं

विवादित सड़कों का पेमेंट कराने वाले ही परखेंगे क्वालिटी की जांच

BAREILLY: नगर निगम में इंटरलॉकिंग टाइल्स पर चल रहा विवाद भले ही शासन स्तर तक पहुंच गया हो, लेकिन इसके फर्जीवाड़े की जड़ों पर से मिट्टी का हटना अब भी बाकी है। घटिया टाइल्स का मामला खुलने पर भले ही निगम की ओर से ठेकेदारों का पेमेंट रोक दिया गया हो, लेकिन इस घोटाले की जांच में अब तक कोई भी सिरा नहीं तलाशा जा सका है। फर्जीवाड़े की असलियत शासन स्तर तक पहुंची तो जांच के लिए एक टीम भी गठित कर दी गई। मगर यह टीम पड़ोस में आकर वापस लौट गई और बरेली की टाइल्स सड़कों का पुरसाहाल एक बार फिर नहीं लिया जा सका। वहीं निगम की ओर से भी घोटाले की जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही।

बरकरार जांच टीम का इंतजार

टाइल्स रोड के निर्माण में हो रहे घोटाले और फर्जीवाड़े में शासन ने नगर निगम को जमकर फटकार लगाई। शासन ने टाइल्स रोड में दुबारा भुगतान करने और घटिया क्वालिटी की टाइल्स यूज होने को गंभीर अनियमितता करार दिया था। इस पर इंटरलॉकिंग सड़कों व टाइल्स की जांच के लिए शासन ने चार सदस्यीय एक जांच कमेटी गठित की। कमेटी पर नगर आयुक्त की मौजूदगी में वीडियोग्राफी टाइल्स की जांच करने और उनका सैंपल सीलबंद करने और पूरी कवायद की वीडियोग्राफी करने की जिम्मेदारी है। कुछ दिन पहले शाहजहांपुर में यह टीम अपनी जांच कर लौट गई और बरेली के टाइल्स घोटाले की असलियत शासन तक फिर न पहुंच सकी।

विवाद में शामिल ही करेंगे जांच

शासन की ओर से जांच कमेटी में शामिल एक मेंबर के होने पर भी सवाल उठने लगे हैं। दरअसल घटिया टाइल्स वाली सड़क की जांच में जुटे यह मेंबर पहले निगम में अपनी नियुक्ति के दौरान ही विवादित टाइल्स रोड का पेमेंट करा चुके हैं। अपनी नियुक्ति के दौरान इन्होंने ख्0क्0 में बतौर कार्यवाहक नगर आयुक्त करीब ख्8 टाइल्स रोड के अटके पेमेंट को मंजूरी दे दी थी। निगम से जुड़े कुछ जानकारों का कहना है कि निगम की हालिया बनी टाइल्स रोड की जांच की जिम्मेदारी तो इन अधिकारी को सौंप दी गई है, लेकिन इनके आदेशों पर जिन टाइल्स रोड का पेमेंट किया गया और जो खराब निकली उसकी जांच कौन करेगा।

मानक पर नहीं क्वालिटी

ख्0 साल की उम्र वाली इंटरलॉकिंग टाइल्स का महज दो साल में टूटना करप्शन के साथ ही निगम की मशीनरी की भी पोल खोलता है। नगर निगम की ओर से टाइल्स की क्वालिटी परखने के मानकों को पूरा नहीं किया जाता रहा। निगम के मानक में 80 सेमी। से कम की टाइल्स को यूज नहीं किया जा सकता। लेकिन कई बार बिना मानकों के ही ठेकेदारों को टाइल्स रोड का ठेका मिला और काम की क्वालिटी परखने को कभी जांच भी नहीं हुई। टाइल्स की क्वालिटी में फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर निगम प्रशासन की ओर से इस साल की शुरुआत में टाइल्स की क्वालिटी जांचने वाली एक मशीन खरीदकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली गई। लेकिन विभाग में इसका यूज भी खानापूर्ति ही साबित हाेता रहा।

मेयर के निर्देश भी भूलें

इंटरलॉकिंग रोड कंस्ट्रक्शन में घटिया टाइल्स के यूज को रोकने और गड़बडि़यां पकड़ने को मेयर ने निगम को सुझाव निर्देशित किए थे। जिसमें निर्माण विभाग को टाइल्स की टेस्टिंग करने और इनकी क्वालिटी परखने को कहा गया था। साथ ही क्वालिटी पर खरी उतरी टाइल्स का सर्टिफिकेट जारी किए जाने की भी बात कही गई। इस टेस्ट में सर्टिफिकेट पाने वाले ठेकेदारों और टाइल्स बनाने वाली कंपनीज को ही रोड कंस्ट्रक्शन का ठेका दिए जाने की भी शर्त शामिल थी। लेकिन मेयर से मिले इन निर्देशों के बावजूद निर्माण विभाग में पुरानी परंपरा पर ही काम चलता रहा। खुद मेयर का कहना है कि निगम में इन निर्देशों का पूरी तरह अनुपालन नहीं ि1कया गया।

दो साल में पांच करोड़ बर्बाद

नगर निगम में साल ख्0क्0 के अंत में सीसी रोड की जगह टाइल्स वाली सड़कों को बनाए जाने का प्रपोजल पास हुआ। शहर भर में किफायती लागत में ख्0 साल तक बेहतरीन रोड देने के मकसद से योजना में करोड़ों रुपए भी लगाए गए। लेकिन दो साल के अंदर ही जगतपुरी, बिहारीपुर, शाहबाद, मॉडल टाउन, संजयनगर, एजाज गोटिया, स्वालेह नगर, राजेन्द्र नगर और सुभाष नगर सहित कई और एरियाज में फ्ख् से ज्यादा टाइल्स रोड उखड़ गई। एक के बाद एक कई एरियाज में कई साल का दम भरने वाली इन सड़कों के टूटने से निगम को पांच करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ।

तो निगम बनाएगा अपनी टाइल्स

ठेके पर दिए गए इंटरलॉकिंग रोड में निकल कर आए इतने बड़े घोटाले के बाद निगम ने भी सबक ले लिया है। खुद शासन के इस मामले में संज्ञान लेने और नगर निकायों के काम की जांच कराने के बाद निगम अगली बार के लिए सावधान हो गया है। शहर में उम्दा इंटरलॉकिंग रोड बनवाने के लिए निगम खुद ही टाइल्स की सप्लाई किए जाने पर विचार कर रहा है। जिससे कि ठेकेदारों के घटिया टाइल्स लगाने पर रोक लगाई जा सके। मेयर ने बताया कि ऑटोमेटेड टाइल्स बनाने वाली एक कंपनीज की जानकारी मिली है। फ्यूचर में सीवर लाइन पाइप की तर्ज पर ही निगम टाइल्स भी खुद ही बनवाने की प्लांनिंग कर रहा है। ठेकेदारों को निगम की ओर से ही टाइल्स सप्लाई की जाएगी। वहीं इस तरह की टाइल्स बनवाने की अथॉरिटी एक ही कंपनी को मिलेगी, जिससे कोई और इनकी डुप्लीकेसी न कर सके।

घटिया टाइल्स की जांच भले ही सुस्त हो रही हो लेकिन यह चल रही है। इसी वजह से ठेकेदारों के पेमेंट पर रोक लग गई है। टाइल्स की परख और सर्टिफिकेट के निर्देश दिए गए थे, जिनका पूरी तरह अनुपालन नहीं हो पा रहा। निगम खुद की टाइल्स बनवाने पर विचार कर रहा है जिससे घटिया काम पर रोक लग सके।

- डॉ। आईएस तोमर, मेयर

Posted By: Inextlive