गोवा में पिछले दिनों एक नाइजीरियाई व्यक्ति की चाक़ू मारकर हत्या कर दी गई. हत्यारे को पकड़ने के लिए गोवा में नाइजीरियाइयों ने प्रदर्शन भी किया था.


गोवा में नाइजीरियाइयों के प्रदर्शन और भारत में ड्रग्स के धंधे के लिए नाइजीरियाई लोगों को कथित तौर पर ज़िम्मेदार ठहराने पर नाइजीरिया के लोगों का क्या कहना है यही जानने के लिए बीबीसी संवाददाता विनित खरे ने दिल्ली और नोएडा में प्रॉपर्टी का काम करनेवाले और टूटी-फूटी हिंदी बोलनेवाले लेखक किंग्सले ओकाकोफो से बात की.भारत में नाइजीरियाई लोगों द्वारा किए जाने वाले ड्रग के कारोबार के आरोप पर आपका क्या कहना है?मुझे यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि कई  नाइजीरियाई भारत में ड्रग्स इम्पोर्ट करते हैं. लेकिन कई भारतीय भी ड्रग्स के कारोबार में शामिल हैं.दो तीन साल पहले एक इसराइली ड्रग माफ़िया को पुलिस ने पकड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया और अब वो फिर इसराइल में हैं.लेकिन इसके बाद पुलिस नाइजीरिया के लोगों के पीछे ही पड़ गई.


क्या आपको नहीं लगता कि भारत में ड्रग्स को नाइजीरियाई लोगों ने बढ़ावा दिया है?भारत में कुल्लू, मनाली, पंजाब जैसे कई इलाक़ों के लोग गोवा में ड्रग्स की तस्करी करते हैं.पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान सहित कश्मीर की सीमाओं से भारत में ड्रग्स की तस्करी होती है.कुल्लू-मनाली के अलावा यूपी, एमपी जैसे प्रदेशों में भी बड़ी मात्रा में ब्राउन शुगर और कोकीन जैसे ड्रग्स का कारोबार होता है.

इसलिए ये कहना कि भारत में होने वाले ड्रग्स के व्यापार के लिए सिर्फ़ नाइजीरियाई ही ज़िम्मेदार हैं, पूरी तरह से ग़लत है. मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूँ.एक अन्य नाइजीरियाई नागरिक जैक्सन चीका ने भी इस मामले पर बीबीसी संवाददाता ज़ुबैर अहमद से बात की.जैक्सन कई सालों से भारत में रह रहे हैं और फ़िलहाल वे दिल्ली में हैं.भारत के गोवा में नाइजीरियाई नागरिक की हत्या के बाद नाइजीरिया में रह रहे भारतीयों के साथ बुरा बर्ताव होने की आशंका है?मुझे लगता है कि नाइजीरिया में भारतीयों के साथ किसी तरह का बदला नहीं लिया जाएगा. नाइजीरिया में भारतीय वहाँ के नागरिकों से ज्यादा सुरक्षित हैं.नाइजीरिया में विदेशियों को पूरी सुरक्षा दी जाती है. वहाँ विदेशियों को अल्पसंख्यक के तौर पर देखा जाता है और उनकी पूरी देखभाल की जाती है.भारत में बात अलग है. यहाँ ऐसा नहीं है, यहाँ विदेशियों को किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी जाती.भारत के कुछ लोगों में डर है कि नाइजीरियाई नागरिक की हत्या के बदले भारतीयों को प्रतिघात का सामना करना पड़ सकता है. इस पर आपका क्या कहना है?

मुझे नहीं लगता कि  नाइजीरिया में भारतीयों को किसी तरह के प्रतिघात का सामना करना पड़ेगा.हाँ ये बात अलग है कि जिस नाइजीरियाई युवक की हत्या हुई है, उसके परिवार में रोष है.लेकिन नाइजीरिया में किसी विदेशी पर कोई हमला करता है तो पुलिस उसकी पूरी सुरक्षा करती है.नाइजीरिया में भारतीयों पर किसी तरह का हमला तभी संभव है जब बहुत सारे लोग इकट्ठे होकर किसी भारतीय पर हमला करे और पुलिस उसे रोकने में सक्षम न हो.सिर्फ एक परिवार किसी भारतीय को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा सकता.आप काफ़ी लम्बे समय से भारत में रह रहे हैं. मुंबई और दिल्ली में रहने के दौरान नाइजीरियाई और अफ़्रीक़ी नागरिकों को किस तरह की दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है?यहाँ हमारा स्वागत नहीं किया जाता है. भारत में हर क़दम पर हमें दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है. हर जगह हमें अपराधियों की तरह देखा जाता है.दो सप्ताह पहले की ही बात है मैं एक जगह खड़ा था और एक महिला से बात कर रहा था तभी कुछ लड़कों ने आकर मेरे साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया.एक महिला के साथ बात तक कर लेने पर हमें अपराधी समझा जाता है.क्या भारत में आपको रंगभेद का सामना भी करना पड़ता है?
भारत में रंगभेद की समस्या से हर रोज़ हमारा सामना होता है. बस, ट्रेन में जाने पर लोग हमें सीट नहीं देते. वे हमारे पास नहीं बैठना चाहते.हमारा रंग काला है इस कारण लोग हमें पसंद नहीं करते, लेकिन ये तो प्राकृतिक है.जगह होने के बावजूद हमें खड़े रहना पड़ता है. लोग हम पर ग़ुस्सा करते हैं. मेरा अनुभव इन बातों को लेकर बहुत ख़राब रहा है.हमारे सीट पर बैठने पर कई दफ़ा लोग खड़े हो जाते हैं या अपनी सीट छोड़ देते हैं. इन बातों को लेकर मेरे मन में ग़ुस्सा भी है.

Posted By: Subhesh Sharma