RANCHI: केंद्र के आदेश पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय के एडॉप्शन सेंटर का लाइसेंस 2015 में ही रद कर दिया गया था। फिर भी बच्चा रखने का अधिकार मनमाने ढंग से था। केंद्र सरकार ने कहा था कि अब बच्चे के एडॉप्शन की प्रक्रिया निर्मल हृदय नहीं करेगी। ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी नहीं करने के कारण लाइसेंस रद किया गया था।

2014 से 2017 तक घपले

एडॉप्शन लाइसेंस रद होने के बावजूद बिना दस्तावेज के बच्चे शेल्टर होम में भेजे जाते थे। इसका कोई हिसाब वगैरह नहीं लिया जाता था। 2014 से लेकर 2017 तक घपले हुए थे।

पूर्व एमएलए की पत्‍‌नी थी मैनेजर

जेएमएम विधायक दीपक बिरुवा की पत्‍‌नी बबिता हेम्ब्रम को मैनेजर के पद पर रखा गया था। लेकिन बीमारी के बाद उनका प्रभार नीरज सिन्हा को दे दिया गया था।

सीसीआई नही करती थी मॉनिटरिंग

सीसीआई द्वारा भी इन शेल्टर होम की विधिवत जांच नहीं की जाती थी। इनलोगों द्वारा शेल्टर होम कहां खुले हैं, कितने हैं, इन सब की जानकारी सीडब्ल्यूसी को भी नही दी जाती थी।

क्या है नियम

नियम यह है कि एनजीओ जहां पर बेस्ट चाइल्ड केयर यूनिट लेती है, वहां पर उनके उपस्कर, कमरा, जमीन आदि के बारे में पूरी जानकारी देती है। इस बाबत समाज कल्याण से आदेश मिलता है। फिर उनके आवेदन को सीडब्ल्यूसी और डीसीपीओ रजिस्टर्ड करती है। फिर, उस आवेदन को डीसी के पास भेजा जाता है। डीसी की ओर से मंतव्य देने के बाद ही उस एनजीओ को सीसीआई दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन समाज कल्याण विभाग खुद ही डीसी बन जाता था, खुद सीडब्ल्यूसी, डीएसडब्ल्यू व डीसीपीओ बनकर एनजीओ को लाइसेंस देता था

Posted By: Inextlive