RANCHI: रिम्स की व्यवस्था सुधारने को लेकर अधिकारी बैठक पर बैठक कर रहे हैं। लेकिन इसका फायदा मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। लाख कोशिशों के बावजूद व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है। अब तो सेंट्रल कलेक्शन सेंटर में बायोकेमिस्ट्री की जांच भी बंद हो गई है। इससे हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। जांच नहीं होने के कारण उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। साथ ही उनकी जेब पर भी चार गुना बोझ बढ़ गया है। इसके बावजूद स्टोर से कुछ जरूरी सामानों की सप्लाई कलेक्शन सेंटर में नहीं की जा रही है। इसे लेकर कलेक्शन सेंटर की ओर से स्टोर प्रभारी को पत्र भी लिखा जा चुका है। लेकिन विभागों की आपसी लड़ाई में नुकसान मरीजों को हो रहा है।

इंडेंट के बाद भी सप्लाई नहीं

लैब में टेस्ट के लिए कलेक्शन सेंटर में मरीजों का सैंपल लेने के बाद कंटेनर में रखा जाता है। इसके बाद सैंपल टेस्ट करने के लिए कुछ केमिकल और साल्यूशन की जरूरत पड़ती है। लेकिन इंडेंट करने के बाद भी स्टोर से सप्लाई नहीं होना लापरवाही को दर्शाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टोर प्रभारी को मरीजों की परेशानी से कोई मतलब नहीं है। अगर प्रभारी चाहे तो इंडेंट के बाद तत्काल सामान की सप्लाई सेंटर में की जा सकती है। लेकिन जबतक उनके पास गुहार न लगाई जाए वो सामान की सप्लाई भी नहीं करते।

हर दिन लौट रहे थायरॉइड के 60 मरीज

हॉस्पिटल के ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 1500 से अधिक है। उसमें से 60-70 मरीजों को डॉक्टर थायरॉइड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। लेकिन सेंट्रल कलेक्शन सेंटर में एक दर्जन से अधिक मरीजों का सैंपल ही नहीं लिया जाता। इससे बाकी मरीजों को सेंट्रल कलेक्शन सेंटर से लौटा दिया जा रहा है। पिछले एक महीने से थायरॉइड टेस्ट की यही स्थिति है। इस चक्कर में मरीज प्राइवेट सेंटरों में जाने को मजबूर हैं। थायरॉइड टेस्ट के लिए रिम्स में जहां 180 रुपए लगते हैं। इसी टेस्ट के लिए प्राइवेट सेंटरों में 6-7 सौ रुपए वसूले जा रहे हैं।

Posted By: Inextlive