भारत के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के तीन दोषियों की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल देने के निर्णय पर पुनर्विचार करने से मना कर दिया है. यह याचिका केंद्र सरकार ने दायर की थी.


समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम की पीठ ने याचिका को ख़ारिज किया.सुप्रीम कोर्ट ने फ़रवरी में राजीव गांधी की हत्या के लिए फांसी की सज़ा पा चुके तीन दोषियों पेरारिवलन, संथन और मुरुगन को सज़ा देने में 11 साल की देरी होने के कारण सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मई, 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में हत्या की गई थी. उनके साथ कम से कम अन्य 14 लोग मारे गए थे.विचार योग्य नहींकेंद्र सरकार की पुनर्विचार पर न्यायालय ने कहा कि यह पुनर्विचार याचिका विचार योग्य नहीं है.न्यायालय ने कहा है कि राष्ट्रपति के पास लंबे समय तक पुनर्विचार के लिए पड़े रहने का कोई ठोस आधार नहीं.


हालांकि न्यायालय को अभी तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मामले पर फ़ैसला देना है. केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच इस बात को लेकर तक़रार है कि मौत की सज़ा पा चुके दोषियों की सज़ा बदलने का अधिकार किसे है.

उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले के बाद तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी की हत्या के मामले के सात दोषियों की रिहाई की घोषणा की थी. ये सात अभियुक्त हैं, पेरारिवलन, संथन और मुरुगन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन.केंद्र सरकार तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय गई कि राज्य सरकार को इन दोषियों की सज़ा माफ करने का क़ानूनी अधिकार नहीं है.

Posted By: Subhesh Sharma