दून में 55 जर्जर स्कूल भवनों को किया जा चुका चिन्हित

मानसून सीजन शुरू, सरकारी स्कूलों के हाल जानलेवा

देहरादून,

मानसून सीजन शुरू हो गया है और कई सरकारी स्कूलों के भवन वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए जानलेवा बने हुए हैं। समर वेकेशन्स में भी इन भवनों की रिपेयरिंग करने की शिक्षा विभाग की ओर से कोई पहल भी नहीं की गई है। राजधानी देहरादून में 55 स्कूलों को चिन्हित किया जा चुका है जिनमें स्कूल भवन जर्जर है या क्लास रुम में कोई समस्या है। दून में 189 हाईस्कूल और इंटर कॉलेज और 12 सौ से ज्यादा बेसिक और जूनियर स्कूल हैं। भवन जर्जर होने का खामियाजा सैटरडे को विकासनगर स्थित राजकीय प्राइमरी स्कूल कुंजा में स्कूल की दो छात्राओं को भुगतना पड़ा। छत पर चढ़ने वाली सीढ़ी टूटने से ये छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गई। इस घटना के बाद एक बार फिर जर्जर सरकारी स्कूलों के हालातों को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।

गिर रही छत, हर तरफ सीलन

सरकारी स्कूलों के हालात किसी से भी छिपे नहीं है, मानसून सीजन में जर्जर भवनों के नीचे बच्चों की पढ़ाई किसी हादसे को बुलावा देने से कम नहीं है। इसके कई उदाहरण देहरादून में ही नजर आ जाएंगे। जहां एक ही बारिश से स्कूलों के भवनों में सीलन और दीवारों का प्लास्टर झड़ना शुरू हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम दून के रिहायशी इलाके रेसकोर्स स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय आराघर-1 पहुंची। जहां 54 बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। इस भवन को कुछ ही समय पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने दुरुस्त कराया था। लेकिन, एक बरसात में ही भवन मरम्मत मांगने लगी है। स्कूल की बिल्डिंग के चारों और सीलन से बुरे हाल हो गए हैं। छत गिरने लगी है, कमरों में जुगाड़ करके क्लास रुम चलाई जा रही है। पानी की टंकी और शौचालय के हाल बदहाल हैं।

शिफ्ट करने के निर्देश

देहरादून की सीईओ आशारानी पैन्यूली ने बताया कि स्कूलों में जर्जर भवनों और आपदा से निपटने को सभी प्रिंसिपल को निर्देश दिए हैं कि स्कूल परिसर में जो भी ऐसे भवन या क्लास रूम हैं उन पर नोटिस चस्पा कर दिए जाएं साथ ही जिन क्लास रूम में ज्यादा परेशानी है उनको शिफ्ट करने को कहा गया है। जर्जर भवनों और क्लास रूम की मरम्मत और हालात सुधारने को जो भी बजट चाहिए, उसकी पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।

पहाड़ों में भी बुरे हालात

पहाड़ों में बच्चे पढ़ाई सिर्फ सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों के भवन इस तरह जर्जर हो चुके हैं कि इन स्कूलों में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसा ही एक स्कूल है, पौड़ी गढ़वाल में राजकीय इंटर कॉलेज द्वारी विकासखंड रिखणीखाल का जहां स्कूल की छत को प्लास्टिक की पन्नी से ढका गया है। जगह-जगह छत टपक रही है। जगह-जगह दीवारों में छेद भी हो गए हैं। जो कि किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रहें हैं। इस स्कूल में 250 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। जिनकी जान को खतरे में डालकर शिक्षा विभाग आंख मूंदकर सोया हुआ है।

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आज खुल जाएंगे सभी स्कूल

समर वेकेशन्स खत्म होने के बाद सीबीएसई और आईसीएसई के अधिकतर मंडे से खुल रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर निजी स्कूलों में स्टूडेंट्स को दी जाने वाली सुविधाएं और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कई निजी स्कूलों की बाल आयोग और शिक्षा विभाग में फीस बढ़ोतरी से लेकर बुक्स और अन्य जरूरी सुविधाओं को लेकर कम्पलेन की गई है। जिसकी जांच शिक्षा विभाग की ओर से आज से शुरू होगी। दून के 10 से अधिक ऐसे स्कूल हैं जिनकी जांच होनी है इधर करीब 2 माह के बाद निजी स्कूल खुले हैं तो पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चे की सुविधाओं और सुरक्षा को लेकर स्कूल कैंपस में जरूर जाएं और स्कूल की स्थिति का निरीक्षण करेंँ

इन बातों पर ध्यान दें पैरेंट्स

- स्कूल की पानी की टंकी को चेक करें, उनकी प्रॉपर सफाई हुई है या नहीं।

-स्कूल कैंपस में पीने का साफ पानी है या नहीं।

-घर से बच्चे को पानी की बोतल जरूर दें।

-कैंपस में सुरक्षा को लेकर जानकारी लेना जरूरी है।

-स्कूल बस में सुरक्षा के इंतजाम चेक करें।

- स्कूल गेट पर सुरक्षा को लेकर जानकारी लें।

- स्कूल के टॉयलेट और क्लास रूम में साफ सफाई को चेक करें।

Posted By: Inextlive