RANCHI: झारखंड में स्लीपर बसों को फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं मिलने से नई परेशानी खड़ी हो गई है। परिवहन विभाग के नए आदेश के बाद करीब 300 नई स्लीपर बसों को फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं मिल रहा है। इन सभी बसों को अगर फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं मिलता है तो जाहिर है कि पुरानी बसें भी सड़कों और बस स्टैंड पर ही खड़ी हो जाएंगी। मतलब साफ है कि नीतियों में बदलाव का खामियाजा बस मालिकों को भुगतना होगा। साथ ही बसों से सफर करने वाले यात्रियों पर भी इसका व्यापक असर होगा।

नई गाइडलाइन से बढ़ी समस्या

5 जुलाई 2018 को झारखंड सरकार के परिवहन आयुक्त ने सभी जिलों के डीटीओ और एमवीआई को निर्देश दिया कि केंद्रीय मोटरगाड़ी नियमावली 1989 की अधिसूचना जीएसआर 905 ई के अनुसार तय गाइडलाइन का अनुपालन अनिवार्य है। जो इन गाइडलाइन को फॉलो नहीं करेंगे उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट इश्यू नहीं किया जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर इश तरह के कदम उठाए गए हैं। इस बाबत ही ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने बसों के सर्टिफिकेट इश्यू के लिए नए गाइडलाइन तय किए हैं।

बसों के लिए ये है गाइडलाइन

1-- बस की बॉडी का निर्माण बस बॉडी कोड एएसआई आरईवी-1 के अनुसार किया गया हो।

2-केंद्रीय मोटरयान नियममावली, 1989 के नियम 126 के तहत भारत सरकार की एजेंसी से स्लीपर बस की बॉडी के प्रोटोटाईप को स्वीकृत व प्रमाणित किया गया हो।

3-केंद्र सरकार के नए गजट के अनुसार बस की बॉडी निर्माण से जुड़ी सभी तरह की जानकारी 1ड्डद्धड्डठ्ठ.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ/द्वड्डद्मद्गह्मद्वश्रस्त्रद्गद्य साइट पर अपलोड करनी है।

4-ं अपलोड करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा एजेंसी बस की बॉडी डिजाइन और नियमों के पालन को प्रूव करते हुए निर्मित बस की बॉडी को स्व-अभिप्रामिण करेगी।

वर्जन

सामान्य और स्लीपर दोनों तरह की बसों को फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं दिया जा रहा है जिस वजह से सैकड़ों बसें खड़ी कर दी गई हैं। जिस तरह से मापदंड निर्धारित किए जा रहे हैं, उसके हिसाब से कोई भी कंपनी बस तैयार करने में सक्षम नहीं है।

- किशोर मंत्री, मंत्री बस

Posted By: Inextlive