नक्सली नहीं हैं सरकार के लिए प्रॉलम !
Preventive mode में रहती है सरकार
कंट्री में पार्लियामेंट्री इलेक्शन के लिए फेज वाइज वोटिंग स्टार्ट हो चुकी है। झारखंड में भी चार पार्लियामेंट्री सीट पर थर्सडे को वोट पड़े। इसके बाद 17 अप्रैल को झारखंड में सेकेंड फेज के लिए वोटिंग होनी है। स्टेट पुलिस के साथ ही नक्सलियों से सरकार भी डरी हुई है। यही कारण है कि इलेक्शन के दौरान बूथ को सेंसेटिव व हाईली सेंसेटिव डिक्लियर किए जा रहे हैं। कोई नुकसान न हो, इसके लिए लाखों रुपए खर्च कर सिक्योरिटी फोर्स का डेप्यूटेशन किया जा रहा है, लेकिन इस प्रॉलम को कैसे जड़ से खत्म किया जाए, इसपर कोई विचार ही नहीं हो रहा।
स्टेट सरकार झामुमो को भी नक्सल प्रालम से नहीं है कोई सरोकार
नेशनल पॉलिटिकल पार्टी में चाहे कांग्र्रेस हो या बीजेपी, किसी ने भी अपनी घोषणापत्र में नक्सल प्रॉलम या आतंकवाद के खात्मे की बात नहीं कही है। बात अगर झारखंड गवर्नमेंट की करें, तो यहां यूपीए समर्थित सरकार चल रही है और रिजनल पार्टी व खुद को आदिवासियों का रहनुमा बताने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सरकार है, इसके बावजूद झामुमो के घोषणा पत्र में नक्सल प्रॉलम से निपटने, इससे स्टेट के लोगों को सिक्योरिटी देने का कोई जिक्र नहीं है।
एक्शन लेने से डरती है government
नक्सलियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से गवर्नमेंट डरती रही है। चाहे सेंट्रल गवर्नमेंट हो या स्टेट गवर्नमेंट, कोई भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहता। इन्हें मेन स्ट्रीम में लाने के प्लान बनते हैं, लेकिन मौका मिलते ही नक्सली कोई बड़ी घटना को अंजाम देने से नहीं चूकते हैं। इसके बाद सरकार और पुलिस का एक बयान आता है, फिर सब कुछ शांत हो जाता है। इन बातों से यह लगता है कि सरकार भी इनके खिलाफ कोई एक्शन लेने से डरती है। कई बार इलेक्शन में नक्सलियों के सपोर्ट की भी बात आती रही है।
-अनुराग गुप्ता, आईजी, प्रोविजन कम स्पोक्सपर्सन, झारखंड पुलिस Report by: jamshedpur@inext.co.in