-लंबी वेटिंग लिस्ट होने के बावजूद नहीं मिल रही डायलिसिस मशीन लगाने की इजाजत.

-शासन से मांगी गई है परमिशन, काल्विन हॉस्पिटल में खुला है डायलिसिस सेंटर

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PRAYAGRAJ: किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए एक-एक पल काफी कीमती होता है. गरीब मरीज महंगा इलाज नहीं कर पाता इसलिए अभाव में उसकी जान चली जाती है. ऐसे में उन्हें सस्ते और नि:शुल्क इलाज की जरूरत होती है. खासकर डायलिसिस के लिए ऐसे मरीजों को सरकारी तंत्र से काफी उम्मीदें रहती हैं. लेकिन वर्तमान में यही तंत्र उन्हें धोखा दे रहा है. काल्विन हॉस्पिटल में डायलिसिस की मशीनें आने के बावजूद उन्हें इंस्टाल करने की परमिशन सरकार नहीं दे रही है. इससे जरूरतमंद मरीजों को दिक्कत हो रही है.

लंबी वेटिंग में फंसे हैं मरीज
काल्विन हॉस्पिटल में कुछ माह पहले डायलिसिस यूनिट की शुरुआत हुई है. जहां किडनी के मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. फिलहाल डीसीडीसी किडनी केयर सर्विसेज संस्था की ओर से शुरुआत में छह डायलिसिस मशीनें लगाई गई थीं. इसके बावजूद वेटिंग लिस्ट 100 पहुंच गई. हॉस्पिटल प्रशासन की अपील पर स्वास्थ्य मंत्री ने चार नई मशीनें लगाने का आदेश संस्था को दिया. मशीनें आ चुकी हैं लेकिन अभी कि नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की ओर से इन्हें इंस्टाल करने की परमिशन नहीं दी गई है. इससे मरीजों को नि:शुल्क इलाज का फायदा नहीं मिल पा रहा है.

यह होगा फायदा

03 मरीजों का एक मशीन से हर दिन होती है डायलिसिस.

18 मरीजों की डायलिसिस हो रही है हर रोज फिलहाल लगी छह मशीनों से.

30 मरीजों की डायलिसिस हो सकेगी हर रोज, चार नई मशीनें लग जाने से.

इतना पड़ता है खर्च

2.5 से 3 हजार रुपए लेते हैं प्राइवेट हॉस्पिटल प्रत्येक डायलिसिस में.

02 से 03 बार डायलिसिस होती है एक मरीज की सप्ताह में दो से तीन बार

काल्विन हॉस्पिटल में यह डायलिसिस पूरी तरह फ्री आफ कास्ट होती है

किडनी ट्रांसप्लांट, डेथ या दूसरे शहर में जाने की दशा में वेटिंग लिस्ट में शामिल दूसरे मरीजों को इलाज का मौका मिलता है

क्या होती है डायलिसिस
डायलिसिस रक्तशोधन की एक कृत्रिम विधि होती है. इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के किडनी यानी गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं. गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है. इसके जरिए खून में मौजूद हानिकारक पदार्थो को निकाल दिया जाता है.

तेजी से बढ़ रहे हैं मरीज
देश में किडनी ट्रांसप्लांट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वर्तमान में सालाना 6 हजार ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. डायलिसिस के मरीजों की संख्या में 20 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है. इसके कई कारण हैं. तमाम तरह की बीमारियों की वजह से किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. दौड़-भाग भरी जिंदगी और महंगा इलाज भी मरीजों के बढ़ती संख्या का बड़ा कारण है. ऐसे में सरकार द्वारा इलाज की नि:शुल्क सुविधाओं की उपलब्धता महत्वपूर्ण विषय बन चुका है.

डायलिसिस कराने वालों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है. इसलिए चार मशीनों को मंगाया गया है. लेकिन इनको शुरू करने की परमिशन अभी तक एनएचएम से नहीं मिल सकी है. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है. अनुमति मिल जाए तो जरूरतमंद मरीजों को नि:शुल्क इलाज मिल सकता है.
-डॉ. वीके सिंह, एसआईसी, काल्विन हॉस्पिटल

Posted By: Vijay Pandey