PATNA : शिक्षा विभाग का नियम है, स्कूल को तभी मान्यता दी जाएगी जब खेल का मैदान होगा। यह नियम इसलिए बनाया गया था जिससे बच्चों का सर्वागीर्ण विकास होगा। अब आपको हकीकत बताते हैं। पटना में कुल 4193 सरकारी स्कूल हैं। इसमें 2826 स्कूल ऐसे हैं जहां कोई खेल का मैदान नहीं है। यही नहीं, कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पाठ्यक्रम से खेल शिक्षा ही गायब है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना मैदान के इन स्कूलों को मान्यता कैसे दे दी गई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल किया तो पता चला कि इंटर स्तरीय दो स्कूल ऐसे भी मिले जहां न तो खेल शिक्षक हैं और न ही खेलने के लिए कोई संसाधन। पढि़ए, स्कूलों में खेल शिक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ की यह रिपोर्ट।

निर्देश का हो रहा है उल्लंघन

खेल को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने हर स्कूल में खेल की एक पीरियड निश्चित करने को कहा था। मगर संसाधन और खेल मैदान के अभाव में स्कूल प्रशासन ने खेल पीरियड को पाठ्यक्रम से गायब कर दिया है। नाम न छापने की शर्त पर बीएन कॉलेजिएट के एक कर्मी ने बताया कि यहां के बच्चे खेलने के हमेशा तत्पर रहते हैं मगर खेल की उचित व्यवस्था नहीं रहने के चलते उन्हें सही मंच नहीं मिल पा रहा है।

19 स्कूल चल रहे किराए पर

सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पटना में ऐसे 19 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं जो किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में यहां खेल मैदान कहां से होगा? ऐसे में सवाल ये उठता है। जहां सरकार स्कूल की मान्यता के लिए भूमि अनिवार्य होने की बात करती है वहीं, जिला स्कूल किराए के भवन में कैसे चल रहा है?

5 सालों से नहीं हुई बहाली

राज्य के 20 हजार माध्यमिक, उच्च माध्यमिक व मध्य विद्यालयों में खेल शिक्षक नहीं है। शिक्षकों की नियोजन की अगर बात करें तो पिछले पांच सालों से खेल शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है। पटना में ऐसे 50 से अधिक स्कूल हैं जहां खेल मैदान और पर्याप्त संसाधन हैं मगर स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देने के लिए शिक्षक कई सालों से नहीं है।

स्पो‌र्ट्स टीचर की नियुक्ति नहीं

बीएन कॉलेजिएट हाई स्कूल में खेल मैदान और संसाधन नहीं होने के चलते खेल की कोई गतिविधियां कई सालों से बंद है। इसका मुख्य वजह खेल शिक्षक के रिटायर्ड होने के बाद नई बहाली नहीं हुई।

शिक्षा विभाग पड़ा सुस्त

पीएन एंग्लों उच्च माध्यमिक विद्यालय में खेल शिक्षक और खेल मैदान नहीं होने के चलते खेल से संबंधित गतिविधियां बंद हैं। कई बार शिक्षा विभाग को पत्र भेजा गया लेकिन इस संबंध में कार्रवाई नहीं हुई।

Posted By: Inextlive