Jamshedpur : 2001 से लेकर 2011 के दौरान सिटी में हर रोज जेनरेट होने वाले सॉलिड वेस्ट में 173 टन का इजाफा हुआ. इस मामले में जमशेदपुर रांची चंडीगढ़ ग्वालियर सहित कई कंट्री के बड़े शहरों से कहीं आगे है लेकिन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए इतने सालों में खास इंप्रूवमेंट दिखायी नहीं देता.

Per capita 44 gm बढ़ा
सिटी के लोग अब पहले से ज्यादा कचरा जेनरेट कर रहे हैं। पिछले दस सालों में सिटी में पर कैपिटा वेस्ट जेनरेशन में 44 ग्र्राम का इजाफा हुआ। 2011 के आंकड़ों के अनुसार सिटी में प्रति व्यक्ति प्रति दिन .354 केजी वेस्ट जेनरेट होता है, वहीं  2001 में ये आंकड़ा .310 केजी था। बात टोटल सॉलिड वेस्ट जेनरेशन की करें तो इसमें भी इजाफा दिखता है। 2001 में सिटी में जहां 342 टन प्रति दिन म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट का जेनरेशन होता था, 2011 में वेस्ट जेनरेशन बढक़र 515 टन प्रति दिन हो गया।
कचरा फैलाने मेें आगे
पॉपुलेशन के आधार पर क्लास ए सिटी में शामिल जमशेदपुर पर कैपिटा वेस्ट जेनरेशन के मामले में देश के कई शहरों से आगे है। अगर बात सिर्फ क्लास ए सिटीज की करें, तो सिटी में पर कैपिटा वेस्ट जेनरेशन इस क्लास में शामिल लखनऊ, नागपुर, वड़ोदरा, मदुरई, नासिक, जबलपुर, राजकोट जैसी सिटीज से काफी ज्यादा है।

बढ़ रहा है waste generation
सिटी में वेस्ट जेनरेशन साल दर साल बढ़ रहा है। 2031 तक सिटी में प्रति दिन 686.2 मीट्रिक टन सॉलिड वेस्ट जेनरेट होने का अनुमान है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के इस्टीमेट के मुताबिक 2006 में सिटी में सॉलिड वेस्ट जेनरेशन 319.61 मीट्रिक टन था। अर्बन डेवलपमेंट प्लान्स फॉर्मूलेशन एंड इंप्लीमेंटेशन की गाइडलाइन्स के आधार पर लगाए गए इस्टीमेट के अकॉर्डिंग 2031 में सिटी में वेस्ट जेनरेशन 686.2 मीट्रिक टन और सेंट्ल पŽिलक हेल्थ एंड इन्वॉयरमेंट इंजीनियरिंग ऑर्गनाइजेशन की गाइडलाइन्स के आधार पर 576.41 मीट्रिक टन हो जाएगा।


25 परसेंट वेस्ट आता है घरों से
जेएनएनयूआरएम के तहत बनाए गए सिटी डेवलपमेंट प्लान के अनुसार सिटी में करीब 60 परसेंट वेस्ट इंडस्ट्रीज से जेनरेट होता है। उसके बाद नंबर आता है हाउसहोल्ड्स का। अनुमान के मुताबिक सिटी में 25 परसेंट वेस्ट घरों से जेनरेट होता है। बाकी के पंद्रह परसेंट वेस्ट का जेनरेशन कॉमर्शियल और मार्केट एरियाज से होता है।

नहीं है व्यवस्था
सिटी में वेस्ट जेनरेशन भले ही तेजी से बढ़ रहा हो पर वेस्ट मैनेजमेंट के मामले में कोई खास इंप्रूवमेंट नहीं दिखता। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रिकॉर्ड के अनुसार सिटी में कचरे की डंपिंग के लिए 4.1 हेक्टेयर एरिया के दो लैैंडफिल साइट है। पर ये दोनो लैैंडफिल साइट सिटी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। जेएनएसी के डेजिगनेटेड हेल्थ ऑफिसर धनंजय पांडे ने कहा कि सिटी में तीन डंपिंग ग्र्राउंड मौजूद है, जिनमें दो में कचरा डाला जाता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये दो डंपिंग ग्र्राउंड भी पूरी तरह भर चुके हैं। सिटी में फिलहाल जुस्को का दस मीट्रिक टन क्षमता वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है, जो सिटी की जरूरतों को पूरा करने में नाकाफी है।

Ground में ही फेंका जाता है waste
सिटी में वेस्ट डिस्पोजल को लेकर कई तरह की समस्याएं हैं। सबसे बड़ी प्रॉŽलम है वेस्ट कलेक्शन की अपर्याप्त सुविधा। सिटी में डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन और कम्यूनिटी डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से ज्यादातर कचरा सडक़ों और गलियों में पहुंचता है। इसके अलावा ओपन गारबेज डंपिंग साइट्स भी बड़ी परेशानी है। सिटी में न तो वेस्ट सेग्र्रिगेशन की व्यवस्था है और न ही वेस्ट डिस्पोजल के लिए साइंटिफिक तरीके का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा हजाड्र्स वेस्ट के आईडेंटिफिकेशन और प्रॉपर डिस्पोजल की व्यवस्था भी नहीं है।


नहीं start हुआ plant
वेस्ट की समस्या से निजात दिलाने के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत 300 मीट्रिक टन क्षमता वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण किया जाना है। लेकिन एक के बाद एक कई रुकावटों की वजह से ये प्रोजेक्ट एक साल से ज्यादा लेट हो चुका है। अभी भी कई ऐसी रुकावटें हैं, जिसके चलते इस प्रोजेक्ट की मुश्किल बढ़ती जा रही है। प्रोजेक्ट के इंचार्ज विपुल कुमार ने कहा कि पहले जमीन को लेकर मुश्किल हुई उसके बाद देश भर में चल रहे ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए गवर्नमेंट द्वारा हायर की गई अमेरिकी कंसलटेंसी एजेंसी टेट्रा टेक द्वारा सिंतबर में कंट्री में काम बंद कर दिए जाने से देरी और भी बढ़ गई। फिलहाल प्रोजेक्ट का काम इन्वॉयरमेंट क्लीयरेंस की वजह से रुका है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सैटरडे को उन्होंने डीसी से मुलाकात कर इन्वॉयरमेंट क्लीयरेंस की प्रक्रिया को जल्द करवाने का रिक्वेस्ट किया है।


जुस्को द्वारा रोज दो सौ से 220 मीट्रिक टन वेस्ट कलेक्शन होता है। वेस्ट के डिस्पोजल के लिए इंतजाम किए गए हैं।

-राजेश राजन, चीफ, कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन एंड अफेयर्स, जुस्को


प्रोजेक्ट एक साल से ज्यादा लेट हो चुका है। फिलहाल इन्वॉयरमेंट क्लियरेंस लेने की प्रक्रिया चल रही है।
-विपुल कुमार, प्रोजेक्ट इंचार्ज, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट


दो ओपन डंपिंग ग्र्राउंड्स में कचरा डंप किया जाता है, लेकिन ये डंपिंग ग्र्राउंड पूरी तरह से भर चुके हैं। ऐसे में किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
-धनंजय पांडे, डेजिगनेटेड हेल्थ ऑफिसर, जेएनएसी

Report by :abhijit.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive