JAMSHEDPUR: शहर की सेहत सुधारने वाले नर्सिग होम्स और गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स जानलेवा बीमारियों को न्योता दे रहे हैं। यकीन नहीं आता तो महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल आकर देखिए। यहां बायो मेडिकल वेस्ट जहां-तहां बिखरा पड़ा है। यहां पर रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं, लेकिन हॉस्पिटल मैनेजमेंट को इसकी थोड़ी भी फिक्र नहीं है। एमजीएम हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही इस कदर बढ़ी हुई है कि वहां पर खुलेआम बायो वेस्ट मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। नाले से लेकर जगह-जगह पर खाली पड़े जगहों पर मेडिकल वेस्ट कचरा दिखाई देगा। एमजीएम हॉस्पिटल में बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए इंसीनरेट मशीन है। इसके बावजूद बायोमेडिकल वेस्ट जहां-तहां फेंका जा रहा है।

यहां हैं इंसीनरेटर

सिटी में टीएमएच, टिनप्लेट अस्पताल, मर्सी अस्पताल, राजस्थान सेवा सदन, कांति लाल गांधी अस्पताल के पास बायोमेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए इंसीनरेटर है। बाकी नर्सिग होम्स, पैथोलॉजी क्लिनिक, मेडिकल क्लिनिक जैसे-तैसे काम चला रहे हैं।

भ्0 को मिला है ऑथराइजेशन

पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का आदित्यपुर स्थित रीजनल ऑफिस बायोमेडिकल वेस्ट को ऑथराइजेशन देता है। बेड कैपिसिटी के आधार पर यह ऑथराइजेशन दिया जाता है। बोर्ड के रीजनल ऑफिसर आरएन चौधरी ने बताया कि क् से फ् साल तक की अवधि के लिए ऑथराइजेशन लेटर जारी किया जाता है। शहर के भ्0 क्लिनिक, लैब, नर्सिंग होम और हॉस्पिटल्स को बोर्ड से ऑथराइजेशन मिला है।

रामगढ़ में है कॉमन इंसीनरेटर

सिविल सर्जन डॉ एसके झा ने बताया कि ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट में बायोमेडिकल वेस्ट उठाने का काम रामगढ़ की एक प्राइवेट एजेंसी करती है। यही एजेंसी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल समेत जिले के अन्य अस्पतालों व लैबों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को रोजाना अलग-अलग रंग वाले डिब्बों में भरकर निस्तारण करती हैं, हालांकि यह होता है कि नहीं इसकी जांच कभी नहीं की जाती। यहां के सरकारी डिपार्टमेंट्स ने उनकी साइटों की कभी जांच नहीं की है।

जानलेवा है डिस्चार्ज निडिल

हॉस्पिटल्स के आसपास फेंके गए डिस्चार्ज निडिल सहित अन्य मेडिकल वेस्ट कई तरह के संक्त्रमित मरीजों में इस्तेमाल किए गए होंगे। इनमें एड्स पॉजिटिव, हेपेटाइटिस सहित अन्य बीमारियां शामिल हैं। डॉक्टरों की मानें तो एड्स व हेपेटाइटिस मरीजों के निडिल काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। सिरिंज के यूज के बाद उसकी निडिल को तोड़ कर या टेढ़ी कर फेंकने का प्रावधान है, लेकिन सिटी के मैक्सिमम हॉस्पिटल्स और नर्सिगहोम्स में ऐसा नहीं किया जा रहा है।

क्या हैं बायोमेडिकल वेस्ट के नियम

- हॉस्पिटल मैनेजमेंट को हॉस्पिटल से निकलने वाले कूड़े को फ् हिस्सों में बांटना होता है

बागुनहातू और पारडीह के आसपास डंप होता है बायो वेस्ट

बायोमेडिकल वेस्ट उठाने वाली एजेंसियों ने हॉस्पिटल, नर्सिंग होम समेत मेडिकल संस्थानों में तीन रंग वाले बिन (डब्बे) रखे हैं। लाल रंग वाले डस्टबिन में मेडिकल के प्लास्टिक वेस्ट रखे जाते हैं। पीले रंग के बिन में इनसिनिरेट (जलाने वाले) वेस्ट को रखा जाता है। ब्लड बैग, मांस के हिस्से, सर्जरी के दौरान निकलने वाले वेस्ट को इनमें रखा जाता है। वहीं, कांच आदि वेस्ट को नीले रंग के बिन में रखा जाता है। प्लास्टिक वेस्ट को ऑटो क्लेव कर छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर री साइकलिंग के लिए भेजा जाता है, जबकि पीले रंग वाले सर्जरी वेस्ट को इनसिनिरेट (बगैर हवा के जलाना) किया जाता है। वैटनरी (जानवरों का इलाज करने वाले) क्लिनिक वेस्ट का ऑथराइजेशन नहीं ले रही हैं। इसके अलावा काफी संख्या में बगैर ऑथराइजेशन के चल रहे क्लिनिक और नर्सिंग होम अवैध रूप से वेस्ट को खुले कचरे में डाल रही हैं। इसकी जानकारी डिस्ट्रिक्ट हेल्थ डिपार्टमेंट को है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। सिविल सर्जन कहते हैं कि जल्द ही डीसी के साथ बैठक होने वाली है। इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश को सख्ती से पालन कराया जाएगा।

बायो मेडिकल वेस्ट जानलेवा साबित हो सकता है। इसके प्रति हॉस्पिटल मैनेजमेंट और आम लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। मेडिकल वेस्ट कचरा को डिस्पोजल करने का प्रावधान है।

- डॉ। बलराम झा, फिजिशियन

एमजीएम हॉस्पिटल में इंसीनरेटर है। वहीं पर सारे वेस्ट को डिस्पोजल किया जाता है। किसी तरह के बायो वेस्ट बाहर नहीं फेंका जाता है।

-आरवाई चौधरी, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम

मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि हॉस्पिटल बाहर खुले में बायोमेडिकल वेस्ट डाल रहे हैं। सभी हॉस्पिटल को बायोमेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए सर्टिफिकेट चैक किया जाएगा। अगर सर्टिफिकेट नहीं मिला तो उन हॉस्पिटल के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।

-आरएन चौधरी, रीजनल ऑफिसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

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बिना लाइसेंस चल रहे हॉस्पिटल्स

हाईकोर्ट ने बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदूषण बोर्ड को प्रदेश में बगैर एनओसी के चलने वाले निजी अस्पतालों को चौबीस घंटे में बंद करने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी निजी अस्पतालों और नर्सिग होम की सूची भी मांगी है और पूछा है कि इनमें से कितने बगैर लाइसेंस के चल रहे हैं। ईस्ट सिंहभूम में देखा जाए तो क्लिनिक इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत एक भी हॉस्पिटल को लाइसेंस नहीं दिया गया है। वजह यह है कि यह एक्ट अभी तक कागज तक ही सीमित है। सिविल सर्जन डॉ। श्याम कुमार झा का कहना है कि क्लिनिक इस्टैब्लिसमेंट एक्ट को लेकर विभाग गंभीर है और सभी मेडिकल प्रतिष्ठानों से ऑनलाइन जानकारी मांगी गई है, ताकि कमेटी जांच-पड़ताल करने के बाद ही उसे एनओसी दे सके। इस एक्ट के तहत ही जिले के सभी मेडिकल प्रतिष्ठानों को संचालित करना है। इलाज की सुविधा और योग्यताधारी डॉक्टरों की समुचित व्यवस्था किए बगैर नर्सिग होम संचालित नहीं होंगे।

क्लिनिक इस्टैब्लिसमेंट एक्ट को लेकर ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सभी अस्पतालों से इससे संबंधित पूरी जानकारी मांगी गई है। कुछ अस्पतालों ने जानकारियां भी उपलब्ध कराई हैं।

-डॉ। श्याम कुमार झा, सिविल सर्जन, ईस्ट सिंहभूम

- ब्लड , मानव अंग जैसी चीजों को रेड डिब्बे में डालना होता है

- कॉटन , सिरिंज , दवाइयां को पीले डिब्बे में डाला जाता है

- मरीजों के खाने की बची चीजों को ग्रीन डिब्बे में डाला जाता है

- इन डिब्बे में लगी पॉलिथीन के आधे भरने के बाद इसे पैक करके अलग रख दिया जाता है, जहां इंफेक्शन के चांस न हों।

बायो-मेडिकल वेस्ट से नुकसान

-वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर सहित अन्य कीड़े-मकोड़े) के जरिए इंफेक्शन और गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। साथ ही आस-पास के लोगों को भी प्रभावित करता है।

- निडिल, ब्लेड्स से इंज्यूरी होने पर इंफेक्शन का खतरा।

-हाइोडर्मिक निडिल्स, ट्यूब्स, ब्लेड्स, बॉटल्स जैसे डिस्पोजेबल सामग्री से इंफेक्शन फैलने का खतरा।

-डिस्कार्डेड मेडिसिन्स के यूज से रिएक्शन।

-कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स हर्जाडस होते हैं। इनसे इनटॉक्सिकेशन का खतरा रहता है।

पांच साल की हो सकती जेल

बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-क्98म् के अनुसार आरोपियों पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपए तक का फाइन या फिर दोनों एक साथ देने का प्रावधान है।

बागुनहातू और पारडीह के आसपास कूड़ा उठाने वाले कबाडि़यों ने बताया कि यहां तो लोग कूड़ा डालते ही हैं साथ ही हॉस्पिटल से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट भी डाला जाता है। रोजाना सुबह-शाम यहां हॉस्पिटल की गाडि़यां आती हैं और वेस्ट डालकर चली जाती हैं। हॉस्पिटल की तरफ से डाले जाने वाले बायोमेडिकल वेस्ट में दवाईयां, ब्लड, कॉटन, सिरींज, गंदे कपड़े होते हैं।

तीन चरणों में होता है डिस्पोजल

Posted By: Inextlive