Jamshedpur : सिटी का लॉ एंड ऑर्डर बेहतर करने के लिए विभिन्न एरिया में पुलिस बूथ बनाए गए थे लेकिन अब ये बूथ केवल हाथी के दांत बन कर रह गए हैं. लाखों रुपए की लागत से बनाए गए ये बुथ अब लोगों की सहायता के लिए कम कॉमशर््िायल एडवर्टीजमेंट सेंटर के रुप में ज्यादा काम कर रहें हैैं. पुलिस के लिए इन बुथो का कोई यूज नहीं रह गया है. अब न तो यहां जवानों की तैनाती होती है और न ही पŽिलक यहां किसी कम्प्लेन के लिए आती है.

डॉ अजय ने बनवाया बुथ
सिटी के तत्कालीन एसपी और प्रेजेंट में एमपी डॉ अजय कुमार द्वारा इन पुलिस बूथ का कंस्ट्रक्शन करवाया गया था। इसका मकसद यहां जवानों की तैनाती करना था, ताकि हर एरिया में होने वाली क्रिमिनल एक्टिविटी पर पुलिस की नजर रहे, साथ ही लोग यहां किसी तरह की कम्प्लेन भी कर सकें। कुछ सल तक तो सारी व्यवस्था दुरूस्त रही, लेकिन धीरे-धीरे इन पुलिस बूथ की अहमियत खत्म होती गई और आज ये खंडहर बन चुके हैं। अब तो सिचुएशन यह है कि क्रिमिनल इन बूथों के सामने ही घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

20 places में police booth
ये पुलिस बूथ सेलेक्टेड प्लेस पर बनाए गए थे। इनमें से कुछ तो सिटी के मेन प्वाइंट्स पर बनाए गए हैैं, तो कुछ इंटिरयर एरियाज में भी हैैं, ताकि वहां भी लोगों को सेफ्टी व सिक्योरिटी का अहसास हो, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। कई ऐसी घटनाएं हैैं जो पुलिस बूथ एक्टिव होने की स्थिति में नहीं होती और अगर होती भी तो उन्हें पकड़ा जा सकता था। सिटी में लगभग 20 जगहों पर पुलिस बुथ का कंस्ट्रक्शन करवाया गया था।

कुछ का हो रहा बेहतर use
हालांकि सिटी में कुछ पुलिस बूथ का बेहतर यूज भी हो रहा है। इनमें से गोलमुरी, बिष्टुपुर और गोलमुरी चौक के पास स्थित पुलिस बूथ ट्रैफिक थाना काम कर रहा है। यहां इंस्पेक्टर की तैनाती रहती है।

25 लाख में हुआ था construction
सिटी के विभिन्न एरिया में पुलिस सहायता केन्द्र के कंस्ट्रक्शन पर लगभग 25 लाख रुपए का खर्च आया था। लेकिन कुछ को छोडक़र इनका कोई यूज नहीं रह गया है। सिटी के लगभग सभी पुलिस सहायता केन्द्र की दीवारों पर विज्ञापन देखने को मिल जाएंगे। इसके लिए पुलिस विभाग को या नोटिफाइड एरिया को कोई फंड भी नहीं मिलता है।

Tata Steel की help से construction
इन पुलिस बूथ का कंस्ट्रक्शन डिस्ट्रिक्ट के तत्कालीन एसपी डॉ अजय कुमार की पहल पर टाटा स्टील द्वारा कराया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इन पुलिस सहायता केन्द्र का ऑफिशियली कोई रिकार्ड नहीं है। यही कारण है कि पुलिस भी इस दिशा में कोई इंट्रेस्ट नहीं ले रही है।


ये पुलिस काफी पहले के बने हुए हैैं। उस वक्त का सोशियो-इकोनॉमिक सिचुएशन और आज में काफी डिफरेंस है। लेकिन इन्हें फिर से फंक्शनल करने की दिशा में काम चल रहा है।
-कार्तिक एस, एसपी (सिटी)

Report by : goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive