Allahabad: बॉलीवुड के मेलोडी किंग कहे जाने वाले सुपरहिट सिंगर कुमार शानू को इलाहाबाद में थे. सिटी उन्‍हें बहुत पसंद आई. खासकर यहां के लोगों की खुशमिजाजी और उनका को-ऑपरेशन. बातचीत में उन्‍होंने रियलिटी शोज की जो हकीकत बयान की उसे आप सुनकर दंग रह जाएंगे. पढि़ए उन्‍होंने इन शोज के बारे में क्‍या कहा...


यहां टैलेंट बचा ही कहां


जहां तक मैं समझता हूं आजकल चल रहे रियलिटी शोज में रियलिटी नहीं दिखाई जा रही है। इन शोज में रिजल्ट तो चैनल वाले और शोज के स्पॉन्सर ही तय करते हैं। सवाल है कि अगर रिजल्ट व्युअर्स के एसएमएस से ही डिक्लियर होने हैं तो आम आदमी को कैसे पता चलेगा कि एक्चुअली किस पार्टिसिपेंट के फेवर में कितने एसएमएस आए। मैन्युपुलेशन तो यहीं से शुरू हो जाता है। क्योंकि मोबाइल कंपनियों को हर स्टेट से एसएमएस मंगवाने हैं इसलिए वे हर बार अलग-अलग स्टेट के पार्टिसिपेंट्स को जिताती हैं। फिर यहां टैलेंट बचा ही कहां। शोज के जजेस को भी ज्यादा पावर नहीं होती है। दूसरी बात यह कि इससे टैलेंट क्रिएट भी तो नहीं होता। पार्टिसिपेंट्स हमारे ही गाए हुए सांग्स को कॉपी करके नंबर वन, टू या थ्री बन जाते हैं। लेकिन इसके बाद उनका क्या फ्यूचर होता है। क्योंकि उनमें क्रिएटिविटी आती ही नहीं। इसीलिए मैं रियलिटी शोज में जज बनने से बहुत बचता हूं।Children are loosing chilhood

यह सही है कि रियलिटी शोज बच्चों को एक प्लेटफॉर्म देते हैं। इससे बच्चों को कम एज में ही पब्लिसिटी मिल जाती है। लेकिन यह नुकसानदेह भी है। आज हम कितने ऐसे बच्चों को जानते हैं जो इस तरह से कामयाब हुए। सच तो यह है कि इससे उनका चाइल्डहुड छिन जाता है। कम एज में पब्लिसिटी से मिली कामयाबी को वह संभाल नहीं पाते और जल्द ही फिर से वे लाइमलाइट से बाहर हो जाते हैं। उनकी स्टडी भी डिस्टर्ब हो जाती है। इससे उनमें नेगेटिव फीलिंग्स आने लगती है।Item songs are like fast food

चेंज इज द नीड ऑफ द डे। लेकिन यह चेंज पॉजिटिव होना चाहिए। आज फिल्मों और गानों में जो चेंज आया है वह खतरनाक है। शीला, मुन्नी जैसे गानों से लोगों की मानसिकता दूषित हो रही है। ऐसे ही वल्गर सांग्स से इम्प्रेस होकर लोग दिल्ली गैंगरेप जैसे क्राइम करते हैं। पहले के आइटम सांग वल्गर नहीं होते थे। मैं तो रस्ते पे जा रहा था। भी आईटम सांग है लेकिन इसमें वल्गैरिटी नहीं थी। आजकल के आइटम सांग तो फास्ट फूड की तरह हैं। वर्ष 2000 तक तो एक फिल्म में एक आइटम सांग होता था। अब तो फिल्म में सिर्फ सारे आइटम सांग ही होते हैं। आज अच्छी लिरिक्स और अच्छे सिंगर की कमी हो गई है। जो ये कहते हैं कि पब्लिक यही देखना चाहती है, मैं उनके सख्त खिलाफ हूं। अगर ऐसा होता तो मेरा कोई भी सांग चलता ही नहीं। क्योंकि मैं अश्लील गाने नहीं गाता। दशहरा फिल्म में मेरा एक आईटम सांग आ रहा है लिख दिया है नाम तेरा दिल के साइन बोर्ड पे.लेकिन यह वल्गर नहीं है।Artists never turn oldआप आशिकी टू का कोई एक गाना बता दीजिए जो आपकी जुबान पर चढ़ा हो। लेकिन आशिकी के गाने आप आज भी गुनगुनाते हैं। 23 साल बाद भी। आशिकी में मुझे गाने का मौका नहीं मिला इसका मतलब यह नहीं कि मैं बूढ़ा हो गया। उन्हें (डायरेक्टर को) नए सिंगर की जरूरत रही होगी तो उसे मौका दिया। लेकिन क्या आप लता मंगेशकर, अनुराधा पोडवाल या जगजीत सिंह को किसी से कंपेयर कर पाएंगे। सिंगर कभी बूढ़ा नहीं होता। मैं किसी को अपना राइवल नहीं मानता। किसी को फॉलो करना बुरा नहीं है लेकिन एक लिमिट तक। मैं भी किशोर दा को फॉलो करता था। लेकिन आशिकी से मैने अपनी एक नई पहचान बनाई जो अब भी कायम है। मैं 18000 गाने गा चुका हूं और 60 फिल्में अब भी मेरे पास हैं।संजय दत्त का अपराध काफी गंभीर है
संजय दत्त ने जो अपराध किया वह काफी गंभीर है। लेकिन उन्होंने पिछले 20 सालों में बहुत कुछ झेला है। अब उन्हें माफ कर देना चाहिए। यह सजा अगर उन्हें क्राइम करने के बाद ही दे दी गई होती उन्हें इतने साल तक तनाव न झेलना पड़ता। उन्हें तो खराब सिस्टम का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें माफी दे देनी चाहिए।

Posted By: Inextlive