reality check

-कोचिंगों में फायर के सुरक्षा मानकों का नहीं होता पालन

-सूरत जैसी आग लगी तो खतरे में पड़ जाएगी स्टूडेंट्स की जान

PRAYAGRAJ: बेशुमार दौलत बटोरने की मशीन बन चुके तमाम कोचिंग सेंटर्स में आग से बचाव के इंतजाम नदारद हैं. हैरत की बात यह है कि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन का रुख भी उपेक्षात्मक ही है. शुक्रवार को सूरत के कोचिंग सेंटर में हुई घटना को देखते हुए दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने कोचिंग में आग से बचने के उपायों की पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

एसबीजे: फायर इंस्टिग्यूशर तक नहीं

रिपोर्टर सिविल लाइंस स्थित एसबीजे कोचिंग पहुंचा. ग्राउंड फ्लोर पर स्थित कोचिंग में एंट्री करते ही ऑफिस है. यहां बने चैंबर में एक महिला कर्मचारी बैठी हुई थी. उन्होंने बगल में बनी केबिन की तरफ जाने का इशारा करते हुए प्रबंधक डा. सुनील त्रिपाठी से मिलने की बात कही. मुलाकात होते ही प्रबंधक ने आने का उद्देश्य पूछा. सवालों का जवाब देते हुए कोचिंग के हॉल को दिखाने की रिपोर्टर ने गुजारिश की. इस पर उन्होंने कहा कि हॉल क्यों दिखाऊं? ज्यादातर क्लासेस संस्था की कटरा स्थित शाखा में चलती हैं. जबकि हकीकत में हॉल तो दूर उनकी ऑफिस तक में फायर इंस्टिग्यूशर नजर नहीं आए. जिस हॉल में क्लास चलने की बात कही उसमें जाने का सिर्फ एक गलीनुमा रास्ता है. यहां करीब 100 बच्चों की क्लास चलती है. बाकी बच्चे कटरा में क्लास लेते हैं. पूछने पर दबी-जुबान एक दो लोगों ने कहा कि कटरा हो या यहां के हॉल, कहीं पर भी आग से बचाव के इंतजाम नहीं है.

संदेश एकेडमी: यहां भी नहीं कोई सेफ्टी

बालसन चौराहे से पहले स्थित संदेश एकेडमी में भी आग से बचाव के इंतजाम नहीं हैं. एकेडमी की ऑफिस से आगे एक बड़ा सा हॉल है. इस हॉल में एंगल पर लगी प्लाईवुड की सैकड़ों बेंच रखी हुई है. हॉल तक पहुंचने के लिए एक ही गलीनुमा संकरा रास्ता है. पीछे से भी एक दरवाजा है, जिसे प्रयोग में नहीं लाया जाता. हॉल में चार से पांच सौ बच्चे एक साथ बैठ सकते हैं. एकेडमी के तीन हॉल रोड के पार दाहिने साइड भी है. छात्रों से पूछने पर पता चला कि वहां प्रथम, द्वितीय व तृतीय तल पर एकेडमी की क्लास चलती है. नाम न छापने की शर्त पर वह बोले कि इन तीनों हॉल तक सीढि़यों से होकर ही जाना और आना पड़ता है. किसी भी हॉल में फायर इंस्टिग्यूशर, वाटर पाइप, स्मोक अलार्म जैसी चीजें नहीं हैं. हालांकि, मैनेजर अरुण सिंह ने दावा किया कि आग से बचाव के सारे उपकरण मौजूद हैं.

एक्सीड: हाथी दांत हैं यहां इंतजाम

कर्नलगंज स्थित एक्सीड कोचिंग फ‌र्स्ट फ्लोर पर संचालित होती है. प्रवेश करते ही बड़े से हॉल में कर्मचारियों के बैठने व वेटिंग आदि की व्यवस्था है. संकरी गली से अंदर जाने पर चार हॉल हैं. इसी हॉल में कोचिंग की क्लास चलती है. कहने के लिए निकास के दो दरवाजे हैं, लेकिन प्रयोग सिर्फ सामने वाले गेट का ही किया जाता है. यहां करीब 300 से 400 बच्चों को कोचिंग दी जाती है. गर्मियों की छुट्टी के चलते बच्चों की संख्या कम है. यहां सामने वेटिंग हॉल में फायर इंस्टिग्यूशर दिखाई दिया, अब उसमें आग बुझाने वाली गैस है या नहीं यह कह पाना मुश्किल है. क्योंकि वह देखने से काफी पुराना लग रहा था. हालांकि पड़ताल में मालूम चला कि जिस हॉल में क्लास चलती है वहां फायर इंस्टिग्यूशर नहीं हैं. वाटर पाइप की भी व्यवस्था नहीं की गई है. हालांकि मैनेजर आशुतोष ने बताया कि संस्थान में आग से निपटने की सारी सुविधाएं मौजूद हैं.

वर्जन

फायर सुरक्षा को निर्धारित मानकों के आधार पर चेकिंग की जाएगी. सिर्फ फायर इंस्टिग्यूशर लगाने मात्र से कुछ नहीं होता. इसे चलाने का तरीका भी आना जरूरी है. अभियान में हर एक बिन्दु को बारीकी से देखा जाएगा.

-आरएस मिश्र, सीएफओ

Posted By: Vijay Pandey