VARANASI : बनारस की आधी आबादी की सेफ्टी के लिए बहुत से प्लैन बन चुके हैं। एक प्लैन वूमेन स्पेशल बस सर्विस स्टार्ट करने को लेकर भी है। मगर ये प्लैन अब तक साकार नहीं हो सका है। जिसे ये सर्विस शुरू करनी है, वो खुद को बेबस बता रहा है। नतीजा बनारस की आधी आबादी यानि महिलाएं भी अब तक बे'बस' हैं। वूमेन स्पेशल बस सर्विस क्यों नहीं स्टार्ट हो पा रही, इसकी वजह भी कम इंटरेस्टिंग नहीं

'सखी' की राह में टै्रफिक डाल रहा रोड़ा

- JNNURM की ओर से बनारस के सिटी एरिया में शुरू होने थी 'सखी बस सर्विस'

- इस women special bus service में ड्राइवर और रनिंग स्टॉफ भी होंगी लेडीज

- सिटी में जबरदस्त ट्रैफिक रश के चलते सखी सर्विस के लिए नहीं मिल पा रही जगह

आपने मेट्रो सिटीज में लेडीज स्पेशल बस सर्विस के बारे में तो सुना ही होगा। क्राइम अगेंस्ट वूमेन की घटनाओं को देखते हुए कुछ साल पहले ही यूपी के उन सिटीज में इस सर्विस को अडॉप्ट करने प्लैन बना। इनमें अपना बनारस भी एक है जहां सखी नाम की ये लेडीज स्पेशल बस सर्विस शुरू कर जानी थी। लेकिन बनारस में हैवी ट्रैफिक कंजेशन ने 'सखी बसेज' के आने के पहले ही इस फाइलों में दफन कर दिया है। जेएनएनयूआएम को बनारस सहित यूपी के सभी बड़े शहरों में सखी बस सर्विस स्टार्ट करने की जिम्मेदारी मिली थी। इसी जेएनएनयूआरएम ने अब बनारस के लिए हाथ खड़े कर दिये हैं।

अंदर वाली भी चल रहीं बाहर

सिटी के ट्रैफिक से तो वक्त बेवक्त आप भी परेशानी फील करते ही होंगे। लेकिन, इस कंजेशन का असर कैन्ट स्थित रोडवेज बस टर्मिनल से संचालित हो रहीं जेएनएनयूआरएम की बसों पर भी पड़ेगा, ये किसी ने सोचा नहीं था। बनारस सिटी की ट्रैफिक और संकरी रोड्स का ही असर है कि जेएनएनयूआरएम जिसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को इम्प्रूव करते हुए बेहतर और सस्ते दर पर बस सर्विस देने की प्लैनिंग थी, वह भी दम तोड़ चुकी है। सिटी में इतनी जगह नहीं है जेएनएनयूआरएम अपने मेन प्रोजेक्ट की सिटी बसेज को पूरी तरह से संचालित कर सके। यही वजह है कि सिटी बसेज आज अंदर चलने की बजाय आउटर रूट पर चलानी पड़ रहीं हैं।

आज भी झेल रही महिलाएं

नाम से ही महिलाओं की फ्रेंड सी फील होने वाली सखी बस सर्विस के स्टार्ट होने से लेडीज में ट्रैवल को लेकर ट्रस्ट इंक्रीज होता। दामिनी रेप कांड के बाद लेडीज शाम या रात में बस, आटोरिक्शा आदि से ट्रैवल करने से बचतीं हैं। अगर सखी सर्विस हो तो ऐसी महिलाओं को एक ट्रस्टेबल पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस मिलती जिससे वो किसी भी वक्त कहीं के लिए कन्फर्ट होकर ट्रैवल कर सकतीं। मगर ऐसा न होने से आज भी बनारस में महिलाओं को बस, आटोरिक्शा में काफी कुछ झेलना पड़ता है।

लेडीज स्टाफ ऑफिस वर्क में

ये तो जाहिर तौर पर सिटी बस एडमिनिस्ट्रेशन की बदनसीबी ही कही जाएगी कि इनकी पूरी टीम में दो लेडी रनिंग स्टाफ भी है। एज कंडक्टर इन्हें काम करना चाहिए मगर सखी सर्विस शुरू न होने के कारण इन्हें ऑफिस वर्क में रखा गया है। रोडवेज के रीजनल मैनेजर पीके तिवारी ने बताया कि लेडीज स्टाफ को जनरल बसेज में सिर्फ इसलिए नहीं भेजा जाता क्योंकि वहां इनकी सेफ्टी की प्रॉब्लम रहती है, साथ ही ज्यादातर बसे लांग रूट पर चलती हैं। इसीलिए इन्हें ऑफिस से अटैच्ड किया गया है।

क्या है सखी बस सर्विस?

यूपी के बड़े आबादी वाले शहरों में जहां वर्किंग या कॉलेज गोइंग वूमेन की संख्या ज्यादा है, वहां लेडीज स्पेशल बस सर्विस चलाई गयी है। सखी बसे सिर्फ महिलाओं के लिए चलाई गयीं हैं जिसमें रनिंग स्टॉफ जैसे कंडक्टर और जहां तक संभव हो, ड्राइवर भी महिलाओं को रखा जाता है। जहां ड्राइवर में लेडीज नहीं है सिर्फ वहां पुरुष ड्राइवर होते हैं। ये सर्विस लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद में सक्सेसफुली रन कर रही है जिससे लेडीज को काफी सुविधा होती है और वो जनरल बस या आटोरिक्शा की जगह सखी बसों में ही सफर करना पसंद करती हैं।

मिनी बस या कैब भी नहीं अवेलेबल

वाराणसी जैसे शहर में जहां तमाम महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जो या तो वर्किंग हैं या फिर देर शाम तक कोचिंग से छूटती हैं। ऐसें में अगर कोई मिनी बस या फिर कैब प्रशासन की ओर से संचालन में होती तो इन लेडीज को सुविधा होती। लेकिन बस अड्डे की जिम्मेदारी कैब चलाना नहीं है। आरएम पी के तिवारी ने बताया कि शहर में ट्रैफिक की समस्या इतनी है कि अगर वे सभी बसों को शहर के अंदर चलवा पाते तो लेडीज के लिए मिनी बस चलवाने में उन्हें कोई प्रॉब्लम न होती।

आप करेंगी डिमांड तो चलेगी बस

भले ही सखी सर्विस के अब तक शुरू न होने से आपका मूड ऑफ हो मगर खास खबर ये भी है कि यदि लेडीज इसके लिए रोडवेज के रीजनल मैनेजर के यहां इन रिटेन डिमांड करें तो रोडवेज प्रशासन इसके लिए विचार करने के लिए बाध्य होगा। इस मामले में महिलाओं के लिए काम करने वाले ऑर्गनाइजेशन को भी आगे आने की जरूरत है।

'वे सारे शहर जहां ये सेवा चल रही है वहां व्हीकल चलाने के लिए रोड स्पेस की कोई दिक्कत नहीं है। पर, यहां स्पेस की कमी के चलते क्0 बसें लंका में चलती हैं और ब् सारनाथ में। आप ही बताएं फिर हम क्या करें?'।

- पी के तिवारी, आरएम

'अगर हमने ये बस सेवा स्टार्ट की तो शहर के कुछ जगहों पर बसों के न जाने के केस में महिलाएं शिकायतें करने लगेंगी। वो भी एक इश्यू होगा'।

-अनिल सिंह, एआरएम

'ऐसी कोई सेवा है भी, पता ही नहीं था। अगर ऐसी कोई सर्विस है तो इसे जरूर स्टार्ट होना चाहिए'।

-रंभा पांडे, वर्किंग गर्ल, नदेसर

'मैं पहले लखनऊ में रहती थी। वहां से सेवा काफी पुरानी है। यहां सखी नहीं चलती जबकि जरूरी है'।

- ज्योति, वर्किंग गर्ल, जगतगंज

'कोचिंग से छूटने हुए आठ बज जाते हैं। अगर सखी बसेज हों तो काफी सुविधा होगी'।

- कीर्ति, स्टूडेंट, विश्वेवरगंज

> Posted By: Inextlive