RANCHI: रिम्स में मरीजों की जान बचाने के लिए खून तो डोनर्स देते हैं। लेकिन बदले में उन्हें दिया जाने वाला सप्लीमेंट गायब कर दिया गया है। इस चक्कर में ब्लड डोनेट करने वालों को चक्कर आ रहे हैं। वहीं कई डोनर्स तो सप्लीमेंट नहीं मिलने के कारण परेशान हो जा रहे हैं। स्थिति यह है कि लोग खुद से ही अपने लिए सप्लीमेंट खरीदकर ला रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डोनर्स के हिस्से का सप्लीमेंट कहां जा रहा है?

पहले मिलता था जूस

हॉस्पिटल का ब्लड बैंक स्टेट का मॉडल ब्लड बैंक है। जहां ब्लड डोनेट करने पर डोनर्स को पहले जूस दिया जाता था। धीरे-धीरे यह सिस्टम चौपट हो गया। इसके बाद डोनर्स के लिए ब्लड बैंक की ओर से बिस्किट और ग्लूकोज दिया जाने लगा। इससे डोनर्स को काफी राहत थी। समय बीतने के साथ ही यह व्यवस्था भी खत्म हो गई। अब बैंक में पिछले कई दिनों से डोनर्स को पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। कभी-कभी दिखावे के लिए दिन में डोनर्स को पानी में नाम का ग्लूकोज डालकर पीने को दे दिया जाता है।

कैंप में भी कोई व्यवस्था नहीं

ब्लड बैंक के लिए खून उपलब्ध कराने को लेकर ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाते हैं। अब कैंप में भी डोनर्स को न तो सप्लीमेंट मिल रहा है और न ही ग्लूकोज। इस वजह से भी लोग डोनेशन के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को रिम्स के पेइंग वार्ड में लगाए गए ब्लड डोनेशन कैंप में देखने को मिला, जहां सिक्योरिटी में तैनात 50 गा‌र्ड्स ने ब्लड बैंक के लिए 50 यूनिट ब्लड डोनेट किया। लेकिन सप्लीमेंट के नाम पर उन्हें एक ग्लास पानी भी नहीं दिया गया।

क्या कहते हैं ब्लड डोनर्स

ब्लड डोनेट करने के बाद हमारे भाई को कुछ नहीं मिला। कुछ देर बाद जब वह उठा तो उसे कमजोरी लग रही थी। फिर हमलोगों ने उसे छेना खिलाया तो राहत मिली।

सूरज कुमार

खून देने के बाद थोड़ी कमजोरी लग रही थी। ऐसे में स्टाफ्स ने कुछ देर लेटे रहने को कहा। थोड़ी देर लेटे रहने के बाद वहां से निकल कर जूस पिया तो जान में जान आई।

राजू महतो

Posted By: Inextlive