- सांसदों-विधायकों द्वारा जिलों में सुनवाई न होने की शिकायत पर चीफ सेक्रेटरी ने जारी किया शासनादेश

- जिला प्रशासन में एसडीएम व पुलिस में डिप्टी एसपी को बनाया जाएगा नोडल ऑफिसर

- निस्तारण के बाद शिकायतकर्ता सांसद-विधायक को देनी होगी जानकारी

LUCKNOW : सांसदों-विधायकों द्वारा जिलों में सुनवाई न होने की तमाम शिकायतों पर शासन ने गंभीर रुख अपनाया है। चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार ने शासनादेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी डीएम व पुलिस कप्तानों को निर्देश दिया है कि अब सभी जिलों में जिला प्रशासन स्तर पर एसडीएम व पुलिस स्तर पर डिप्टी एसपी को सांसदों-विधायकों की शिकायतों के निस्तारण की मॉनीटरिंग के लिये नोडल आफिसर तैनात किया जाए। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि इन शिकायतों पर न सिर्फ तुरंत कार्यवाही कराएं बल्कि, इसके बारे में उन्हें अवगत भी कराएं।

पिछले शासनादेशों का नहीं हो रहा पालन

चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया कि पूर्व में जारी शासनादेशों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि शासन स्तर पर प्रत्येक शाखा में कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के, विभागाध्यक्ष स्तर पर कम से कम संयुक्त निदेशक स्तर के, जिला स्तर पर कम से कम एसडीएम स्तर के और जिला पुलिस में डिप्टी एसपी स्तर के एक-एक अधिकारी को नोडल ऑफिसर नामित किया जाए। यह ऑफिसर सांसदों व विधायकों द्वारा भेजे गए पत्रों पर कार्यवाही की लगातार मॉनीटरिंग अपने स्तर पर करते रहेंगे और उसके बारे में अपने शीर्षस्थ अधिकारी को अवगत कराते रहेंगे। इसके अलावा प्रत्येक सरकारी कार्यालय में 'जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर' बनाये जाने के भी निर्देश दिये गए थे। लेकिन, शासन को जो शिकायतें मिली हैं उनके मुताबिक, न तो सांसदों व विधायकों को पत्र की रिसीविंग ही भेजी जा रही और न ही कार्यवाही से ही अवगत कराया जा रहा।

प्राथमिकता से करानी होगी कार्यवाही

शासनादेश में जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पूर्व में जारी शासनादेशों के अनुसार जिला प्रशासन स्तर पर एसडीएम, पुलिस स्तर पर डिप्टी एसपी को नोडल ऑफिसर के रूप में तैनात किया जाए। साथ ही सांसदों व विधायकों से प्राप्त पत्रों को 'जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर' में इंट्री करते हुए प्राथमिक्ता के आधार पर कार्यवाही कराई जाए और इस बारे में सांसद-विधायक को अवगत भी कराया जाए। जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे अपने जिलों के सभी अधीनस्थ कार्यालयों में यह व्यवस्था लागू करवायें और खुद सुनिश्चित करें कि आदेश के मुताबिक, व्यवस्था शुरू हो गई है या नहीं।

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अधिकारियों की वजह से सरकार को करना पड़ा मुश्किलों का सामना

अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से प्रदेश सरकार को बीते एक साल में कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बीते दिनों गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मंत्री राजभर ने जिलाधिकारी का तबादला न होने पर धरना देने की धमकी भी दी थी। इसी तरह बाराबंकी की सांसद प्रियंका सिंह रावत के भी ट्रेनी आईएएस से वाद-विवाद की खबरें सुर्खियां बनी थीं। इसी तरह बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी और दो विधायक भी बीजेपी कार्यकर्ताओं की सुनवाई न होने पर धरने पर बैठ गए थे। वहीं, भदोही की औराई विधानसभा से विधायक दीनानाथ भास्कर भी औराई तहसील के सामने धरने पर बैठ गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते और तहसील में चारों ओर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। इसके अलावा भी आधा दर्जन से अधिक विधायक सुनवाई न होने पर धरने पर बैठ चुके हैं।

Posted By: Inextlive