- जेपी की पुण्यतिथि आज, हमदर्द बनने की होड़ और गांव की दास्तां

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ष्ट॥न्क्कक्त्रन्/क्कन्ञ्जहृन्: सिताबदियारा में दिखाए गए सपने हवा में ही रह गए। आज जेपी की पुण्यतिथि है। जेपी के गांव सिताबदियारा में तीन दिवसीय जेपी जयंती 11 अक्टूबर से मनाने की तैयारियां चल रही है। लेकिन जेपी की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को यहां कोई आयोजन नहीं होता। हर साल 11 अक्टूबर को जयंती समारोह मनाने की प्रथा रही है। इसी तैयारियों के बीच जब जेपी के पैतृक गांव सिताबदियारा का मुआयना किया गया तो पता चला कि यहां तो कुछ है ही नहीं। लेकिन यहां आकर सपनों का महल बनाने वालों की कोई कमी नहीं है।

बदहाल है आदर्श गांव

आदर्श ग्राम घोषित सिताबदियारा को लेकर बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते रहे हैं। लेकिन यहां हर किसी के चेहरे पर ¨चता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। लगभग 18 हजार की अबादी वाला यह गांव घाघरा कटान के मुहाने पर है। कटान रोकने के नाम पर करोड़ों की धन राशि के बंदरबांट की कहानी लोग अपने हिसाब से बताते हैं। यह स्थल जल संसाधन विभाग के लिए धनकुबेर का खजाना है। जबकि सिताबदियारा के लोग इस विभाग के चलते अपने ही जमीन को गंवा कर कंगाल हो गए।

90 परसेंट घर है झोपड़ीनुमा

सिताबदियारा में दलित बस्ती लाला टोला, रामेश्वर टोला और मुस्लिम बस्ती में अब भी सुविधाओं का अभाव है। बिजली के साथ ही पानी के लिए नल भी नहीं पहुंचा है.करीब 90 परसेंट लोगों के घर झोपड़ीनुमा है। गांव के बीचोबीच पक्की सीमेंटेड सड़क तो है ¨कतु लाल बालू के कारोबारियों ने इसका जनाजा निकाल दिया है। मुख्य समस्याएं जस की जस है।

राग अलापने वाले नहीं समझते दर्द

ग्रामीण पूपून मियां, संजीत यादव आदि बताते हैं कि जेपी की राग अलापने वाले कभी हमारी बस्ती के दर्द को महसूस भी नहीं करते। वे भाषण देते हैं और अपनी राजनीतिक रोटी सेककर वापस चले जाते हैं। लाला टोला में जेपी के नाम पर बड़ी इमारत भले ही खड़ी कर दी गई है लेकिन गरीबों का घर आज भी नहीं संवर सका है।

यूपी की बिजली से चला रहे काम

जेपी के गांव में बिजली खुद की नहीं है। यह सेवा बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के समय वर्ष 2011 में यूपी से बिजली की खरीदारी कर बहाल की गई है। सीएम नीतीश कुमार ने इसका उदघाटन किया था। स्थिति यह है कि यह बिजली यूपी के रोस्टर पर ही संचालित होती है।

पुरुषों के इलाज की भी व्यवस्था नहीं

जेपी के गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूर है लेकिन यहां पुरुषों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। वजह यहां के अस्पताल में दो महिला डॉक्टर ही हैं। जेपी जयंती पर दो या तीन दिनों के लिए कुछ सुविधाएं ठीक कर दी जाती है। लेकिन बाद में फिर स्थिति जस की तस हो जाती है।

Posted By: Inextlive