110 नगर निगम के वार्ड

8 जोन में बंटा नगर निगम

10 लाख तक की वित्तीय शक्तियां थी नगर आयुक्त के पास

17 करोड़ की वित्तीय शक्तियां मिलीं मेयर को

- जनरल हेड समाप्त होने से नगर आयुक्त नहीं करा सकेंगे सीधे कार्य

- सड़क धंसने से लेकर छोटे-छोटे विकासकार्य होते थे इस हेड से

abhishekmishra@inext.co.in

LUCKNOW : कभी नगर निगम में जनरल हेड से वार्डो में छोटे-छोटे विकास कार्य कराये जाते थे, लेकिन अब इस हेड को समाप्त कर दिया गया है। जिससे साफ है कि अगर वार्ड विकास निधि या मेयर निधि से वार्डो में छोटे-छोटे विकास कार्य नहीं कराए गए तो जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि वार्ड विकास निधि में की गई बढ़ोत्तरी और मेयर निधि सामने आने के बाद जनरल हेड की कमी का असर कुछ हद तक कम हो सकता है। आने वाले दिनों में इसकी सही तस्वीर सामने आ सकेगी।

नगर आयुक्त के पास वित्तीय पावर नहीं

जनरल हेड के समाप्त होने से अब नगर आयुक्त के पास वित्तीय पावर नहीं है। पहले जहां नगर आयुक्त सीधे जनरल हेड के माध्यम से वार्डो में दस लाख तक के विकास कार्य करा सकते थे, वहीं अब यह व्यवस्था मेयर के पास पहुंच गई है। मतलब अब अगर जनता वार्ड में व्याप्त कोई भी समस्या लेकर नगर आयुक्त के पास पहुंचती तो नगर आयुक्त उस शिकायत को मेयर के पास भेजेंगे, जहां से उसका निस्तारण कराया जाएगा। हालांकि इस व्यवस्था से जनता को समस्या दूर होने में इंतजार करना पड़ सकता है। जबकि नगर आयुक्त पहले खुद ही वित्तीय शक्ति यूज कर समस्या दूर करा सकते थे।

यह था जनरल हेड

नगर निगम के वरिष्ठ पार्षदों की माने तो करीब 25 साल से यह हेड अस्तित्व में था। इससे वार्डो में छोटे विकास कार्य कराये जाते थे, जैसे धंसी सड़क ठीक कराना, मैनहोल का मेंटीनेंस, सबमर्सिबल मेंटीनेंस आदि। इस हेड को लगभग समाप्त कर दिया गया है। अब कोई भी पार्षद जनरल हेड के माध्यम से फाइल बनाकर निगम में जमा नहीं करा सकेगा। अब पार्षदों को विकास कार्य कराने के लिए वार्ड विकास निधि का ही यूज करना होगा या फिर मेयर को समस्या के निस्तारण के लिए लिखना होगा।

मेयर को पॉवर

पहले नगर आयुक्त के पास दस लाख तक के विकास कार्य कराने की पॉवर थी। अगर वार्ड विकास से जुड़ी कोई समस्या नगर आयुक्त के पास आती थी, तो वह मौके पर टीम भेजकर उसकी जांच कराते थे। रिपोर्ट आने के बाद अपनी वित्तीय पॉवर से उस समस्या को दूर कराते थे। इस हेड के समाप्त होने के बाद नगर आयुक्त की वित्तीय पॉवर भी खत्म हो गई है। जबकि मेयर को वित्तीय शक्तियां मिल गई हैं। अब मेयर अपनी निधि से शहर में 17 करोड़ के विकास कार्य करा सकती हैं। इन विकास कार्यो में वार्डो में होने वाले इमरजेंसी कार्य भी शामिल हैं।

जाना होगा पार्षद-मेयर के पास

जनरल हेड समाप्त होने के बाद अब वार्ड में अगर छोटा विकास कार्य होना है तो व्यक्ति को पार्षद या मेयर के पास जाना होगा। अगर उस व्यक्ति की पार्षद से नहीं बनती है तो आशंका है कि उसकी समस्या दूर होने में काफी समय लग सकता है। वहीं मेयर के पास भी भारी संख्या में समस्याएं आएंगी, ऐसे में एक-एक समस्या के निस्तारण में भी समय लग सकता है।

बाक्स

वार्ड विकास निधि से संभव नहीं

पार्षदों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वार्ड विकास निधि से वार्डो में बड़े-बड़े विकासकार्य कराए जा सकते हैं। अगर इस निधि का उपयोग छोटे विकासकार्यो में करेंगे तो बड़े विकासकार्य प्रभावित होंगे। ऐसे में जनरल हेड से ही धनराशि दी जानी चाहिए।

वर्जन

जनरल हेड समाप्त होने से वार्डो में होने वाले छोटे-छोटे विकास कार्य प्रभावित होंगे। जिससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।

गिरीश मिश्रा, पार्षद

जनता की आम जरूरतों को पूरा करने में जनरल हेड अहम भूमिका निभाता था। इसकेखत्म होने से वार्डो का विकास प्रभावित होगा साथ ही पार्षद निगम जाना बंद कर देंगे।

शिवपाल सांवरिया, पार्षद

अच्छी बात है कि जनरल हेड को लगभग समाप्त कर दिया गया है। अब पार्षद इस हेड से फाइलें नहीं बनवा सकेंगे। जबकि कई बार इस हेड का दुरुपयोग किए जाने के मामले भी सामने आते थे।

ममता चौधरी, पार्षद

बोले जिम्मेदार

वार्ड विकास निधि और मेयर निधि से वार्डो में सभी प्रकार के विकास कार्य कराए जाएंगे। जनता को बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।

संयुक्ता भाटिया, मेयर

Posted By: Inextlive