- फीस लेने के बाद भी इलाज के नाम पर एलयू नहीं दे रहा कोई सुविधा

- एलयू कैंपस की डिस्पेंसरी में कोई महिला डॉक्टर मौजूद नहीं है

- पिछले दिनों एक छात्रा की तबियत खराब हाने से हो गई थी मौत

LUCKNOW :

एलयू कैंपस में डिस्पेंसरी तो है लेकिन ग‌र्ल्स के लिए किसी महिला डॉक्टर की सुविधा नहीं है। जिससे बीमार होने पर ग‌र्ल्स को प्राथमिक यहां प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाता है। जबकि एलयू एडमिशन लेने वाले सभी स्टूडेंट्स से मेडिकल के नाम पर शुल्क वसूलता है, लेकिन इलाज के नाम पर ग‌र्ल्स को सुविधा नहीं देता है।

2 डॉक्टर, 23 हजार स्टूडेंट

एलयू के पुराने कैंपस के पीछे आवासीय भवन की ओर डिस्पेंसरी बनाई गई है और इसमें डॉ। वीबी मिश्रा तैनात हैं। इनके साथ ही यहां एक कंपाउंडर और दो चपरासी तैनात हैं। इसी तरह दूसरे कैंपस में मात्र एक डॉक्टर मुकुल श्रीवास्तव तैनात हैं। एलयू में डॉक्टरों की कमी के कारण भी स्टूडेंट्स को अच्छा ट्रीटमेंट नहीं मिलता है।

फैल रही बीमारियां

इन दिनों एलयू में स्टूडेंट्स के बीमार होने की संख्या बढ़ रही है। हबीबुल्ला हॉस्टल में ही एक दर्जन से अधिक स्टूडेंट बुखार जैसी बीमारी से पीडि़त हैं। कुछ ऐसा ही हाल महमूदाबाद, सुभाष, लॉ हास्टल का भी है। ये स्टूडेंट जब इलाज के लिए डिस्पेंसरी जाते हैं तो यहां दवाएं तो दूर उनकी ठीक से जांच तक नहीं होती है।

पहले सबका होता था इलाज

एलयू की इन डिस्पेंसरी में पहले छात्रों के साथ टीचर और कर्मचारियों का भी इलाज किया जाता था। लेकिन अब यहां कुछ स्टूडेंट को छोड़कर कोई नहीं आता है। ग‌र्ल्स तो यहां दिखाई ही नहीं देती हैं। जबकि डिस्पेंसरी रोज अपने निर्धारित समय सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुलती है। बताया गया कि 90 के दशक में यहां जाने माने होम्योपैथिक डॉक्टर दिनेश चंद्र त्रिपाठी बैठते थे। तब यहां शिक्षक और कर्मचारी भी काफी संख्या में आते थे।

जो हैं, वे भी नहीं आते

स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि डिस्पेंसरी में जो डॉक्टर हैं, वे भी हमेशा नहीं मिलते हैं। ऐसे में अगर कोई छात्र अचानक बीमार हो जाता है तो उसे विवेकानंद हॉस्पिटल ले जाया जाता है। पिछले दिनों सेकंड कैंपस में इंजीनियरिंग की एक छात्रा की तबियत खराब हुई तो उसे यूनिवर्सिटी से कोई मदद नहीं मिली। उसे विवेकानंद हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान दूसरे दिन उसकी मौत हो गई थी।

डिस्पेंसरी में डाक्टर की कमी है। साथ ही यहां दवाइयां भी नहीं हैं। जिससे इलाज की व्यवस्था चरमरा गई है।

- राकेश यादव, अध्यक्ष, एलयू कर्मचारी संघ

एलयू के सभी हॉस्टलों में कोई न कोई बीमारी से परेशान है। एलयू की डिस्पेंसरी में इलाज न मिलने से स्टूडेंट्स को विवेकानंद हॉस्पिटल जाना पड़ता है।

- विवेक सिंह मोनू, छात्र नेता

एलयू हर साल स्टूडेंट्स के मेडिकल फीस वसूल कर रहा है। इस पैसे से डिस्पेंसरी चलाने की बात कहता है। एलयू में एम्बुलेंस खड़ी है कई बार जरूरत पड़ने पर उसमें डीजल तक नहीं होता है।

- अनिल यादव, छात्र नेता

Posted By: Inextlive