- ईवीएम में दबा सकेंगे 'नन ऑफ द अबव' का बटन

- 2012 के असेंबली इलेक्शन में आठ गोरखपुराइट्स ने किया था इलेक्शन का बायकाट

GORAKHPUR : ख्0क्ब् के लोक सभा चुनाव में अगर आपको कोई भी कैंडिडेट पसंद न आए तो परेशान न हों। इलेक्शन कमीशन ने इस बार के जनरल इलेक्शन में वोटर्स को 'नन ऑफ द अबव' ऑप्शन की फैसिलिटी प्रोवाइड करने की तैयारी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन पर पिछले साल शुरू हुआ ये ऑप्शन लोक सभा चुनावों में भी मौजूद रहेगा। इससे पहले वोटिंग का बायकाट करने के लिए वोटर्स के पास फॉर्म ब्9 ओ का ऑप्शन था, लेकिन उसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी। पब्लिक के बीच बढ़ती वोटिंग अवेयरनेस और सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर अब वोटर्स 'नोटा' का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए ईवीएम में सबसे लास्ट में नोटा का बटन रखा जाएगा, जिन वोटर्स को किसी भी कैंडिडेट को वोट न देना हो, वे इस ऑप्शन का यूज कर अपनी नाराजगी दिखा सकते हैं।

ख्0क्ख् में 8 ने किया था इलेक्शन का बायकाट

अभी तक इलेक्शन में ऐसा इंतजाम था कि यदि वोटर को कोई प्रत्याशी पंसद नहीं है तो पीठासीन अधिकारी से फार्म ब्9 ओ लेकर भरना होता था। इस फॉर्म को भरने से ये पता चलता था कि आपने वोट तो डाला है, लेकिन कोई कैंडिडेट पसंद न आने के कारण इलेक्शन का बायकाट कर दिया। ख्0क्ख् के विधान सभा चुनावों में गोरखपुर जिले से आठ लोगों ने इलेक्शन का बायकाट किया था। इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों में बताया गया है कि गोरखपुर जिले में आठ लोगों ने फार्म ब्9 ओ भरकर जमा किया था।

बरेली में सबसे ज्यादा वोटर्स ने किया था यूज

इलेक्शन कमीशन से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि फॉर्म नंबर ब्9 ओ को लेकर पहले पब्लिक में जागरूकता नहीं थी, लेकिन ईवीएम में नोटा का ऑप्शन आने के बाद लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है। अपने प्रत्याशी का चुनाव करने में जहां लोग रुचि दिखा रहे हैं, वहीं लोगों के बीच वोट देकर किसी को भी पंसद न करने की जागरूकता बढ़ी है। ख्0क्ख् के विधान सभा चुनाव में पूरे यूपी में भ्फ्म्ब् लोगों ने फॉर्म नंबर ब्9 ओ का इस्तेमाल किया था। बरेली में सबसे ज्यादा ख्क्0फ् वोटर्स ने ब्9 ओ फॉर्म भरा था। इसके अलावा इलाहाबाद में म्77, गाजियाबाद में फ्ख्ब्, आगरा में ख्म्भ्, सीतापुर में ख्म्8, जालौन में क्म्0, वाराणसी में क्8म् और बुलंदशहर में क्ब्फ् ने फॉर्म नंबर ब्9 ओ भर कर चुनाव का बायकाट किया था।

ईवीएम में कैसे आया 'नोटा'

इंडिया में होने वाले ज्यादातर इलेक्शन में वोटिंग परसेंटेज काफी लो होता है, ऐसे में टोटल पड़े वोट्स का फ्0-ब्0 परसेंट वोट पाने वाला कैंडिडेट?भी इलेक्शन जीत जाता है। इसे देखते हुए ख्7 सितंबर ख्0क्फ् को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए इलेक्शन कमीशन को ईवीएम में 'नन ऑफ द अबव' यानि नोटा का ऑप्शन देने की डायरेक्शन दी थी। इसी के बाद इलेक्शन कमीशन ने ईवीएम में सबसे लास्ट में 'नन ऑफ द अबव' का ऑप्शन देना शुरू किया था। इस साल हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में इसका प्रयोग सफल रहा है, जिसे लोक सभा चुनावों में भी जारी रखा जाएगा।

प्रत्याशियों का बटन खत्म होने के बाद लास्ट बटन नोटा का होगा। इसके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ती जा रही है। नेताओं से खफा लोग नोटा का यूज कर सकते हैं।

गौरव वर्मा, एडीएम एडमिनिस्ट्रेशन

Posted By: Inextlive