PATNA : राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के चुनाव के बैलेट पेपर से अब नोटा गायब हो जाएगा। अब मतदाता अपना विकल्प नहीं चुन पाएंगे। बिहार के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने मतपत्र से नोटा ऑप्शन हटाने का निर्देश जारी किया है। चुनाव आयोग का हवाला देते हुए राज्य के उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा है कि यह आदेश द्विवार्षिक और उप निर्वाचन में पूरी तरह से लागू किया जाएगा।

क्या है आदेश

बिहार के उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी बैजूनाथ कुमार सिंह ने बिहार विधानसभा के सचिव के साथ प्रदेश के सभी प्रमंडलीय और सभी जिला निर्वाचन अधिकारी सह जिला पदाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा है कि राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के निर्वाचन में नोटा विकल्प मतपत्र पर अंकित नहीं किया जाएगा। इसके लिए चुनाव आयोग के सचिव एन टी भूटिया के आदेश का हवाला दिया गया है। पत्र में बिहार के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है कि राज्य सभा एवं राज्य विधान परिषद के निर्वाचन में नोटा विकल्प का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

आने वाले चुनाव पर होगा असर

बिहार के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा है कि अफसरों को दिए गए निर्देश में कहा गया है कि इस आदेश की प्रति और दिल्ली से चुनाव आयोग के लेटर की प्रति सहायक निर्वाची पदाधिकारी एवं अन्य संबंधित पदाधिकारियों को उपल?ध कराया जाए जिससे चुनाव आयोग के आदेश का अनुपालन प्रदेश में कराना सुनिश्चित किया जा सके।

जब नोटा नहीं था तब चुनाव में अगर किसी को लगता था कि कोई भी उम्मीदवार योग्य नहीं है, तो वह वोट नहीं करता था। ऐसे में मतदान के अधिकार से लोग वंचित हो जाते थे। यही वजह है कि नोटा के विकल्प पर ध्यान दिया गया ताकि चुनाव प्रक्रिया और राजनीति में शुचिता कायम हो सके।

आप भी जाने, क्या है नोटा

नन ऑफ द एबव (नोटा) यानि इनमें से कोई नहीं का एक विकल्प है। अगर कोई भी कैंडिडेट समझ में नहीं आ रहा है तो मतदाता इस विकल्प को चुनते हैं। वर्ष 2015 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ। वर्ष 2018 में नोटा को पहली बार उम्मीदवारों के समकक्ष का दर्जा मिला। हरियाणा में दिसंबर, 2018 में पांच जिलों में होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए हरियाणा निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया था कि नोटा के विजयी रहने की स्थिति में सभी प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे तथा चुनाव पुन: कराया जाएगा।

नोटा मतदाताओं की नाराजगी का माध्यम

नोटा को लेकर जागरुकता पर काम करने वाले डॉ। रत्नेश चौधरी का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा एससी, एसटी एक्ट में संशोधन कर फिर से उसके मूल स्वरूप में किये जाने पर सवर्ण समुदाय के लोगों में नाराजगी रही है। एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवणरें के बीच नाराजगी ऐसी है कि नोटा को विकल्प बनाने की बात सामने आई। ऐसे में अब नोटा को ही विकल्प से हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। उनका कहना है कि एसएसी-एसटी एक्ट को लेकर मोदी सरकार का रवैया भी कांग्रेस की तरह है, इसलिए उनके पास सिर्फ नोटा का ही विकल्प बचता है।

Posted By: Inextlive