Allahabad: ईस्ट ऑफ आक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद युनिवर्सिटी एयू के लिए 14 जुलाई 2005 एक हिस्टोरिकल डे था. क्योंकि इस दिन एयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का स्टेटस मिला था. उस समय एयू के टीचर्स ने शीर्ष स्तर पर भरोसा दिलाया था कि वे एयू को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. लेकिन आठ साल बाद आज एयू की स्थिति ने उनके सारे वादों को झुठला कर रख दिया. न्यू एकेडमिक सेशन 2013-14 के लिए हो रहे एडमिशन ने सारी सच्चाई सामने ला दी है. हाल यह है कि एयू और उसके कान्स्टीट्यूएंट कालेजेस जीरो से नीचे माइनस नम्बर पर एडमिशन के लिए भी तरस रहे हैं और उसके लिए सीटों को भर पाना डिफिकल्ट हो चला है.

लालच भी नहीं आया काम

उल्लेखनीय है कि एयू ने अंडर ग्रेजुएट में एडमिशन के लिए 450 नम्बर का इंट्रेंस कराया था। लेकिन करेंट में हाल यह है कि एयू और उसके सभी कान्सटीट्यूएंट कालेजेस कट आफ मेरिट के बेस पर एडमिशन के मामले में मुंह के बल गिर पड़े। स्टूडेंट्स के कम रुझान के चलते एयू सहित कालेजेस ने माइनस नम्बर तक एडमिशन का लालच दिया। बावजूद इसके कोई फर्क नहीं पड़ा। इसे केवल इस बात से समझा जा सकता है कि अधिकतर जगहों पर ओबीसी, एससी और एसटी की सीटों के न भर पाने के चलते उन्हें जनरल में कन्वर्ट कर देना पड़ा. 

ऐसा पहली बार हुआ है

एयू और कालेजेज में दनादन गिर रही कट आफ मेरिट ने बुद्धिजिवियों को वैसे ही स्तब्ध किया है। जैसे सेंसेक्स के धड़ाम होने और रुपए की कीमत में गिरावट से लोग स्तब्ध होते हैं। जानकारों का कहना है कि शायद ऐसा पहली बार हो रहा है। जब जनरल और ओबीसी की कट ऑफ मेरिट में इतनी भारी भरकम गिरावट दर्ज की गई है. 

थर्ड डिविजन की भरमार

एयू में एडमिशन का बजट करोड़ों में होता है। जाहिर है कि करोड़ों रुपए इसलिए फूंके जाते हैं। जिससे मेरिटोरियस स्टूडेंट्स एयू का पार्ट बने। लेकिन जिस स्थिति में एडमिशन पहुंच चुका है। वहां तो मेरिटोरियस और फेलियर का डिफरेंस ही नहीं बचा। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि धड़ल्ले से थर्ड डिविजनर एडमिशन ले रहे हैं। जबकि इन्ट्रेंस की टॉप मेरिट में आए ज्यादातर ने दूसरी जगहों पर एडमिशन लेना बेहतर समझा. 

करोड़ों फूंकने पर उठने लगे सवाल

जब माइनस में थर्ड डिविजनर को ही भरना है तो क्या जरूरत है इंटे्रस करवानी की। यह सवाल आज हर किसी की जुबां पर है। बता दें कि एयू में प्रत्येक वर्ष एडमिशन प्रासेस का बजट करोड़ों में होता है। इसमें बड़ी धनराशि इंटे्रंस पर ही खर्च हो जाती है। एयू के ही एक टीचर नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि इससे तो अच्छा है कि हाईस्कूल और इंटर की मेरिट बनाकर एडमिशन दिया जाए। जिससे पैसे की बर्बादी न हो।

बन्द करना होगा एडमिश

पिछले कुछ सेशन से यह देखने में आ रहा है कि लास्ट स्टेज पर एडमिशन के रेंग रेंग कर आगे बढऩे पर उसे बन्द करना पड़ता है। अबकी बार तो अगस्त का लास्ट चल रहा है। क्लासेस भी स्टार्ट करनी है। ऐसे में एयू और कॉलेजेज को भारी भरकम वैकेंट सीट और कॉम्बिनेशन के साथ एडमिशन क्लोज करना होगा. 

Private institute जैसी होगी हालत

एडमिशन की दुर्गति ने साफ संकेत दे दिए हैं कि अगर बात अभी नहीं संभली तो वह दिन दूर नहीं जब एयू का हाल स्टेट के इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों में एडमिशन जैसा होगा। उल्लेखनीय है कि स्टेट के इन्स्टीट्यूटस में न्यू सेशन के लिए एडमिशन की हालत यह रही है कि यहां 70 परसेंट से ज्यादा सीटें खाली रह गईं। एजुकेशन स्पेशलिस्ट इसके लिए पुअर मैनेजमेंट और रिसोर्सेज को रिस्पांसिबल बता रहे हैं। वैसे भी आईएएस और पीसीएस के रिजल्ट में एयू की खराब हालत किसी से छुपी नहीं है. 

क्यों नहीं लेना चाहते एडमिशन

-एकेडमिक एक्सीलेंस पर ध्यान न देना

-रिसोर्सेस का सही यूज न होना

-सरकारी धन का बेजा इस्तेमाल

-एडमिनिस्ट्रेशन का फेल हो जाना

-जवाबदेही का तय न होना

-काम्पटेटिव एप्रोच का आभाव

-180 दिन क्लासेस का न चलना

-टीसर्च की क्राईसेस

-रिसर्च को सिरियसली न लेना

-एडमिशन के मामले में दूसरी यूनिवर्सिटी से पिछड़ जाना

-लड़ाई झगड़े के चलते व्यवधान आदि

यहां हुए जीरो से नीचे एडमिशन

इलाहाबाद युनिवर्सिटी

इलाहाबाद डिग्री कॉलेज

सीएमपी डिग्री कॉलेज

ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज

जगत तारन गल्र्स डिग्री कॉलेज

श्यामा प्रसाद मुखर्जी डिग्री कॉलेज

राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज

एसएस खन्ना डिग्री कॉलेज

 

Posted By: Inextlive