500 नक्सलियों की गोलीबारी से बचकर उनके सामने से निकलना आसान नही है लेकिन दंतेवाड़ा की अंजली सिंह गौतम ने यही किया। उसने 6 साल पहले 14 साल की उम्र में खुद को व अपने भाई को नक्‍सलियों से बचाकर अपनी वीरता का परिचय दिया था। इसीलिए उसकी बहादुरी की ये दास्‍तां अब किताबों में लिख दी गई है। हाल ही में सीबीएसई ने 5 वीं के सिलेबस में उसे शामिल भी कर लिया है। आइए जानें अब तक कई ब्रेवरी अवॉर्ड प्राप्‍त कर चुकी अंजली के बारे में...


नक्सली हमला हुआ:

14 साल की अंजली जिस इलाके में रहती थी वह नक्सलियों के आतंक वाला एरिया था। यहां पर उनका ताडंव अक्सर ही रहता था। वहीं उसके पिता अवधेश सिंह गौतम एक राजनेता होने की वजह से अक्सर ही नक्सलियों के निशाने पर रहते थे। ऐसे में अचानक से 7 जुलाई 2010 की आधी रात को उसके इलाके में करीब 500 नक्सलियों ने धावा बोल दिया।

भाई को पीठ पर लादा:
अब यही वह मौका था जब अंजली ने अपनी वीरता का परिचय दिया। उसने डरने की बजाय हिम्मत से काम लिया। इस बहादुर बच्ची ने अपने घायल भाई को पीठ पर उठा लिया और भागने का प्रयास किया। उसका मकसद सिर्फ अपने भाई को बचाना था। नक्सलियों ने उसे रोकने के लिए आवाज दी और पीछा भी किया लेकिन वह नहीं रुकी।


मिल चुके कई अवॉर्ड:
ऐसे में उसकी बहादुरी के लिए उसे 2012 में जोनल फिजिकल ब्रेवरी अवॉर्ड दिया गया। अंजली को प्रेसिडेंट ब्रेवरी अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा उसे और भी कई अवॉर्ड अब तक मिले चुके हैं। पूरे दंतेवाड़ा में आज लोग अपने बच्चों को अंजली के नाम की मिसाल देते हैं। अब तो पूरे देश में बच्चे इस बहादुर बच्ची के जज्बे को पढ़कर सलाम करेंगे।

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Posted By: Shweta Mishra