ट्रेनिंग स्कूलों के डीएल की बाध्यता पर मुख्यालय ने लगाई रोक

Meerut । ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के साथ डीएल के नाम पर अवैध वसूली का खेल अब रोका जाएगा। इसके तहत ट्रेनिंग स्कूलों की ओर से जारी होने वाले ड्राइविंग लाइसेंस पर मुख्यालय स्तर पर रोक लगा दी गई है। हालत यह है कि कई ट्रेनिंग स्कूल तो आवेदकों को जबरन लाइसेंस बनाने के लिए बाध्य करते हैं। यहीं नहीं इसके लिए बकायदा दो गुनी से तीन गुनी तक फीस वसूल की जाती है।

सिर्फ सर्टिफिकेट होगा मान्य

आरटीओ विभाग द्वारा हैवी व्हीकल और कॉमर्शियल वाहन के लिए ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है। इसके लिए वाहन चालकों को विभाग द्वारा अनुबंधित ट्रेनिंग स्कूलों से ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के लिए ट्रेनिंग लेनी होती है करीब तीन माह की ट्रेनिंग के बाद यह सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, लेकिन इस सर्टिफिकेट के साथ ही स्कूलों द्वारा चालक को बाध्यता बताकर डीएल भी स्कूल द्वारा ही बनाकर दिया जाता है। यदि चालक डीएल के लिए मना करता है तो उसको सर्टिफिकेट भी नही दिया जाता। ऐसे में विभाग ने अब इस ब्लैकमेलिंग को रोकने के लिए ट्रेनिंग स्कूलों के डीएल की एप्लीकेशन को अमान्य कर दिया है।

वसूले जा रहे 8 हजार

विभाग की नियमावली के अनुसार हैवी लाइसेंस के लिए 1150 रुपए फीस निर्धारित की गई है, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी के चलते चालक से 8 हजार रुपए तक वसूलते हैं। इसमें सर्टिफिकेट के साथ डीएल लाइसेंस की तिगुनी फीस शामिल रहती है। चालक के लिए बाध्यता होती है कि लाइसेंस नही लिया तो सर्टिफिकेट भी नही मिलेगा। इसलिए चालक भी मजबूरी में मनमानी फीस देते हैं।

सर्टिफिकेट की भी होगी जांच

गत सप्ताह मुख्यालय में हुई बैठक में परिवहन आयुक्त ने लाइसेंस की बाध्यता पर सख्ती से आदेश जारी करते हुए स्कूलों की मान्यता और सर्टिफिकेट की जांच के आदेश जारी किए है। ट्रेनिंग स्कूलों द्वारा जारी सर्टिफिकेट की जांच के बाद ही मान्यता दी जाएगी।

कुछ शिकायतें इस प्रकार आती हैं कि लाइसेंस के लिए भी जबरन दो गुनी फीस ली जाती है, जबकि केवल सर्टिफिकेट ही जारी करने का आदेश है। विभाग द्वारा भी ऐसी कोई बाध्यता नही है।

चंपा लाल निगम, आरआई

Posted By: Inextlive