- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने जारी कीं नई गाइडलाइंस

- नॉमिनेशन फॉर्म में देनी होगी अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स व ईमेल्स की डिटेल

- परमीशन के बाद ही वेबसाइट और सोशल मीडिया में कर सकते हैं चुनावी प्रचार

- स्क्रूटनी में जानकारी गलत निकलने या छुपाने वाले कैंडीडेट्स का कैंसिल हो सकता है नामांकन

abhishek.mishra@inext.co.in

KANPUR : नेताओं की चल-अचल सम्पत्ति या स्विस बैंक एकाउंट्स में जमा अरबों-खरबों की ब्लैक मनी के बारे में आपने जरूर सुना या पढ़ा होगा। मगर, क्या कभी किसी नेता के 'ई-खजाने' के बारे में आपको जानकारी मिली है.? लेकिन अब नामांकन से पहले सभी उम्मीदवारों को अपने ' ई-खजाने' की जानकारी चुनाव आयोग को अनिवार्य रूप से मुहैया करानी है। आयोग की नजरों में यह खजाना कहीं से भी नेताओं की चल-अचल सम्पत्ति से कम नहीं है। इसलिए नॉमिनेशन के वक्त सभी उम्मीदवारों को इसका खुलासा करना ही होगा। वहीं स्क्रूटनी प्रॉसेस के दौरान शपथ पत्र में झूठी, गलत या गुमराह करने वाली सूचना देने वाले उम्मीदवारों का नामांकन सीधे खारिज कर दिया जाएगा।

धड़ल्ले से प्रचार

एंड्रॉइड और स्मार्ट फोन के बूते हर हाथ में इंटरनेट कनेक्टिविटी है। वहीं ऑलमोस्ट हर वोटर को हर तरह की सूचनाओं की एक्सेस भी है। ऐसे में नेताओं के प्रचार-प्रसार का तरीका भी बदल चुका है। डोर-टू-डोर कैम्पेनिंग से ज्यादा अब नेताओं ने पर्सनल प्रोफाइल कैम्पेनिंग भी शुरू कर दी है। इसी का नतीजा है कि पार्टियां अपनी ऑफिशियल वेबसाइट्स पर एप्स और टेक्स्ट के माध्यम से, तो कैंडीडेट्स फेसबुक, टिवट्र, वॉट्स एप, ऑरकुट, चैट ऑन वगैरह से लेकर ब्लॉग्स तक पर पब्लिक से डायरेक्ट वन टू वन कनेक्ट कर रहे हैं। नेता और उनके जबर्दस्त तरीके से एक्टिव हैं। यही नहीं पार्टियां, उनके नेता और समर्थक तरह-तरह के विज्ञापन की मदद से न सिर्फ जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। बल्कि, वोटर्स से अपने पक्ष में वोट देने की अपील भी कर रहे हैं। इसलिए चुनाव आयोग इसे भी अचार संहिता के दायरे में ले आया है। नतीजतन कि अब नामांकन के दौरान प्रत्याशियों को अपनी चल-अचल सम्पत्ति के साथ ही अपने ई-खजाने यानि सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स और एक्टिविटी की जानकारी भी एफिडेविट में मुहैया करानी होगी।

नोट :- (बाहर के सेंटर्स यहां पर अपनी-अपनी लोक सभा सीटों के नाम लिख लें)

फॉर्म-ख्म् किया इंट्रोड्यूस

अकबरपुर लोकसभा सीट के लिए नामांकन प्रक्रिया ख्9 मार्च से भ् अप्रैल तक जबकि कानपुर नगर सीट के लिए ख् अप्रैल से 9 अप्रैल तक चलेगी। चुनाव आयोग की नई व्यवस्था के तहत उम्मीदवार सोशल मीडिया एकाउंट्स से संबंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी नामांकन प्रपत्र (एफिडेविट) में मुहैया करानी होगी। इसके लिए फॉर्म नंबर ख्म् इंट्रोड्यूस किया गया है। यह एक तरह का एफिडेविट है, जिसमें प्रत्याशी की ईमेल आईडी के अलावा सभी तरह के सोशल मीडिया एकाउंट्स फिलअप करनी है।

पांच कैटेगरीज में डिवाइड किया

इलेक्शन कमीशन ने सोशल मीडिया एकाउंट्स को पांच डिफरेंट कैटेगरीज में डिवाइड किया है। इनमें कोलेबोरेटिव प्रोजेक्ट्स के अलावा ब्लॉग्स-माइक्रो ब्लॉग्स, कन्टेंट कम्युनिटीज, सोशल नेटवर्किग साइट्स, वर्चुअल गेम्स-वल्‌र्ड्स शामिल हैं। इन सभी कैटेगरीज में क्लियर-कट बताया गया है कि इनके अन्तर्गत कौन-कौन से एकाउंट्स आते हैं। नामांकन के दौरान प्रत्याशी को निर्धारित कैटेगरी के सामने एकाउंट की डिटेल फिलअप करनी होगी।

और यहां भी अचार संहिता

सोशल मीडिया में प्रचार-प्रसार भी आचार संहिता के दायरे में रखा गया है। डिप्टी इलेक्शन ऑफिसर शत्रुघन सिंह के मुताबिक अगर किसी वेबसाइट या सोशल मीडिया पर किसी नेता या पॉलिटिकल पार्टी द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाता है तो वह भी आचार संहिता के अन्तर्गत किया जाएगा। नेशनल व स्टेट लेवल रजिस्टर्ड पार्टीज को पॉलिटिकल विज्ञापन के लिए चुनाव आयोग के पास प्री-सर्टिफिकेशनके लिए एप्लाई करना होगा। परमीशन के बाद ही पॉलिटिकल विज्ञापन ऑनलाइन चल सकेंगे।

बिना परमीशन प्रचार पर खैर नहीं

- इंटरनेट कम्पनियों व वेबसाइट्स को दिये जाने वाले पेमेंट मोड की जानकारी।

- विज्ञापन की भाषाशैली का क्रिएटिव डेवलपमेंट, सोशल मीडिया एकाउंट्स को मेंटेन करने वाले वर्कर्स को दी जाने वाली सैलरी या पेमेंट की डिटेल।

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सोशल मीडिया एकाउंट्स व उनकी कैटेगरी पर एक नजर -

कैटेगरीज एकाउंट

कोलेबोरेटिव प्रोजेक्ट्स विकीपीडिया

ब्लॉग्स व माइक्रो ब्लॉग्स ट्विटर

कन्टेंट कम्युनिटीज यू-ट्यूब

सोशल नेटवर्किग साइट्स फेसबुक-ऑरकुट

वर्चुअल गेम्स-वल्‌र्ड्स मोबाइल एप्स

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कुछ ऐसा होगा फॉर्म नंबर-ख्म् का

नॉमिनेशन के दौरान जिस फॉर्म-ख्म् में प्रत्याशियों को अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स की डिटेल अपडेट करनी है। उसमें कुछ इस तरह की जानकारियां मांगी गई हैं

माई कॉन्टैक्ट टेलीफोन नंबर

माई ईमेल आईडी

सोशल मीडिया एकाउंट

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समर्थकों को भी लेनी होगी साइबर प्रचार की परमीशन

अगर आप भी किसी नेता या पार्टी विशेष का समर्थन सोशल मीडिया पर कर रहे हैं तो अलर्ट हो जाइए। डिप्टी इलेक्शन ऑफिसर शत्रुघन सिंह के अनुसार ऑनलाइन प्रमोशन के लिए यूजर को परमीशन लेनी होगी। अगर कोई व्यक्ति बिना परमीशन के किसी नेता या पार्टी का प्रचार करते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाएगी।

आईपी और मैक एड्रेस से ट्रेस होंगे

राजनीति में समर्थक और विरोधी दोनों ही होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों का दुष्प्रचार करने वालों पर भी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है। इलेक्शन ऑफिसर्स के अनुसार इस संबंध में किसी प्रत्याशी की शिकायत मिलती है तो यूजर के खिलाफ नियमानुसार एक्शन लिया जाएगा। अगर यूजर ने फेक आईडी बनाई है तो आयोग की मीडिया मॉनिटरिंग टीम 'आईपी एड्रेस' ट्रेसआउट करके रियल कल्परिट को पकड़ेगी।

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वर्जन-वर्जन

अगर लोकसभा उम्मीदवार सोशल मीडिया में एक्टिव हैं तो उन्हें अपनी ईमेल आईडी के साथ ही अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स की डिटेल नॉमिनेशन फॉर्म में भरनी होगी। आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि अगर कोई प्रत्याशी झूठी सूचना दे या सच छिपाने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन के तहत एक्शन लिया जाए।

- शत्रुघन सिंह, डिप्टी इलेक्शन ऑफिसर

कोई भी पॉलिटिकल कैंपेनिंग या विज्ञापन इंटरनेट पर तभी चलाए जा सकेंगे जबकि उसके लिए पहले से परमीशन न ली गई हो। आदेशों का उल्लंघन न हो सके, इस बाबत मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी का गठन भी किया गया है। इसमें साइबर एक्सपटर््स से लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी हैं। अंडर सेक्रेटरी राहुल शर्मा की तरफ से सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों समेत सभी नेशनल-स्टेट पार्टियों के जनरल सेक्रेटरीज को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिये गए हैं। झूठी जानकारी देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के अलावा नॉमिनेशन तक खारिज करने का प्रावधान है।

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साइबर प्रचार पर खर्च का ब्योरा दो

एक तरफ जहां नॉमिनेशन प्रॉसेस में प्रत्याशियों को अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स की डिटेल बतानी है। वहीं ऑनलाइन प्रचारित किये जाने वाले विज्ञापनों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा भी देना होगा। पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ द पीपुल एक्ट-क्9भ्क् के सेक्शन (77) व सब-सेक्शन (क्) में इसका जिक्र भी है। नेताओं व पॉलिटिकल पार्टियों के लिए ऑनलाइन खर्चो से संबंधित दिशा-निर्देश कुछ इस प्रकार से हैं

- ऑनलाइन प्रचार के खर्च का एकाउंट अलग से मेनटेन करना है।

Posted By: Inextlive