आदिवासी जमीन का अब कंपनसेशन नहीं!
-सीएम ने एसएआर कोर्ट खत्म करने का दिया आदेश
-रांची की आधी आबादी बसी है आदिवासी जमीन पर RANCHI: शिड्यूल एरिया रेगुलेशन(एसएआर) कोर्ट खत्म करने के बुधवार को सीएम रघुवर दास के आदेश के बाद आदिवासी भूखंड के हस्तांतरण व कंपनसेशन से जुड़े हजारों मामले लटक जाएंगे। सीएनटी एक्ट के जानकारों के अनुसार, चूंकि यह एक्ट केंद्र सरकार का कानून है। इसलिए इसमें कोई भी संशोधन तभी मान्य होगा, जब इस पर केंद्र सरकार संसदीय प्रक्रिया के तहत अंतिम मुहर लगाए। वैसे एसएआर कोर्ट खत्म करने के पहले राज्य सरकार ने विधि विभाग से परामर्श लिया है। विधि विभाग भी सहमतराज्य सरकार के विधि विभाग ने एसएआर कोर्ट खत्म करने के लिए पहले ही सहमति दे दी है। कहा गया है कि ऐसा करना कानून सम्मत है, प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की अनुमति लेकर विधानसभा से इसे पारित कराया जा सकता है। इसके बाद भू-राजस्व विभाग ने संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी भी कर ली है।
मंत्री की भी सहमतिआदिवासी जमीन के कंपनसेशन का प्रावधान समाप्त करने लिए सीएनटी एक्ट की धारा 7क् ए की उपधारा-ख् और उपधारा-फ् को पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव विधि विभाग के पास भेजा गया था। इसमें बताया गया है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पूरी तरह बंद हो जाएगी। इससे आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगी। इस पर विभागीय मंत्री पहले ही सहमति प्रदान कर चुके हैं।
क्9म्9 से पहले खरीदी जमीन पर ही मुआवजा सीएनटी एक्ट में मुआवजा के प्रावधान के मुताबिक क्9म्9 से पहले आदिवासी से जो जमीन खरीदी गई है, उसी को विभिन्न शर्तो के साथ हस्तांतरण किया जा सकता था। आधा शहर आदिवासी जमीन पर रांची का आधा शहर आदिवासी जमीन पर बसा है। कोकर, लालपुर, बरियातू, कांटा टोली, अरगोड़ा, हिनू, हरमू जैसे बड़ी संख्या में ऐसे मोहल्ले हैं, जो आदिवासी जमीन पर बसे हुए हैं। अधिकतर लोगों ने एसएआर कोर्ट में कंपनसेशन के लिए अप्लाई भी किया हैं। लेकिन, जब कंपनसेशन ही नहीं होगा, तो इनकी जमीन व घर का क्या होगा, यह सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी करने के बाद ही पता चलेगा। विवादों में रहा है एसएआर कोर्टसरकार द्वारा कई स्तर पर इस मामले की जांच के क्रम में पाया गया है कि गैर आदिवासियों द्वारा आदिवासियों की जमीन पर कोई संरचना तैयार कर ली जाती है। इसके बाद संबंधित आदिवासी भूमि मालिक द्वारा सीएनटी एक्ट की धारा 7क् ए के तहत जमीन वापसी का मुकदमा एसएआर कोर्ट में दायर किया जाता है। इस दौरान गलत तरीके से गैर आदिवासियों द्वारा यह साबित कर लिया जाता है कि वह शिड्यूल एरिया रेगुलेशन क्9म्9 के लागू होने के पहले से ही उस जमीन पर रह रहे हैं, गलत तथ्यों और गवाही के आधार पर इस बात को साबित करने के बाद एसएआर पदाधिकारियों द्वारा आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों के नाम हस्तांतरित करने का आदेश पारित कर दिया जाता है, आदिवासी जमीन के गलत हस्तांतरण मामले में राज्य सरकार तीन एसएआर अफसरों को दंडित भी कर चुकी है।