-इंस्टीट्यूट की फैकल्टी और स्टूडेंट्स विजिट का प्रपोजल दिया

-ईरानी डेलीगेशन ने दो दिन नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट का जायजा लिया

KANPUR : घाटे में चल रही ईरान की शुगर इंडस्ट्री ने अब कानपुर के नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट से मदद की गुहार लगाई है। ईरानी डेलीगेशन ने कल्याणपुर स्थित नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में ख् दिन रहकर यह समझने की कोशिश की, कि कैसे वो अपनी इंडस्ट्री को बचा सकते हैं। बुधवार की दोपहर यह डेलीगेशन अपने मुल्क वापस चला गया। वह इंडियन इंस्टीट्यूट से अपने यहां के शुगर इंस्टीट्यूट्स के लिए सिलेबस भी बनवाना चाहता है ताकि शुगर इंडस्ट्री को घाटे से बचाया जा सके। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो ईरानी स्टूडेंट्स नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में और यहां के स्टूडेंट्स ईरान में जाकर पढ़ाई कर सकेंगे। फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम भी शुरू करने पर विचार विमर्श किया गया।

बैंक चला रही शुगर इंडस्ट्री

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर नरेन्द्र मोहन ने बताया कि ईरान में 80 परसेंट शुगर इंडस्ट्री को बैंकें और ख्0 परसेंट इंडस्ट्री गवर्नमेंट चला रही है। लेकिन यह इंडस्ट्री पूरी तरह से घाटे में चल रही हैं। प्रोडक्शन उतना नहीं हो रहा जितना होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते में हुए ईरान से एक फ् मेंबर्स का डेलीगेशन दो दिन के प्रवास पर संस्थान मंगलवार को पहुंच गया था।

घाटे में जाने की वजह

मिडिल ईस्ट में स्टेबिलटी न होने की वजह से ईरान की शुगर इंडस्ट्री कभी अच्छी तरह से नहीं चल पाई। जबकि ईरान का क्लाईमेट ऐसा है कि वहां पर गन्ने की खेती करना बहुत आसान है। वहां पर गन्ने का खेती बड़े पैमाने पर शुरू कर दी गई है।

ईरान में एथनॉल का यूज नहीं

डेलीगेशन में वलीउल्ला तागीपुर इंडस्ट्रियल रिसर्च डिप्टी मैनेजर तेहरान (अहवाज), कौसगताहिर खानी इंजीनियर, मेहंदी मसूची शुगर टेक्नोलाजिस्ट नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट आए। संस्थान में उन्हें पहले पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया गया जिसके माध्यम से शुगर इंडस्ट्री की न्यू टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया। ईरान में स्टीम केन की खपत म्0 प्रतिशत है। जो कि दूसरे देशों से ख्0 प्रतिशत ज्यादा है। इसके अलावा एथनॉल का कोई यूज नहीं किया जा रहा है।

कैरीकुलम बनाने में मदद मांगी

डेलीगेशन शुगर की प्रोडक्टिविटी और एफीसेंसी पर ज्यादा फोकस कर रहा है। डेलीगेशन की ख्वाहिश है कि इंस्टीट्यूट ईरान के गवर्नमेंट ऑफ शुगर केन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का कैरीकुलम बनाने में मदद करे। इसके अलावा ट्रेनिंग प्रोग्राम में इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर शिरकत करें। डेलीगेशन की बात समझकर संस्थान प्रशासन ने कहा कि वह अपनी गवर्नमेंट से बात करें और हम अपने यहां से बात करके इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे।

पूरा डेलीगेशन स्टूडेंट बन गया

डेलीगेशन ने संस्थान की शुगर फैक्ट्री की विजिट की वहां पर प्रोडक्शन की गई शुगर की क्वालिटी चेक की। इसके अलावा इस छोटे प्लांट की सारी बारीकियों को एक्सपर्ट की टीम से समझने का प्रयास किया। संस्थान की लाइब्रेरी में जाकर स्टूडेंट्स से इंट्रैक्शन किया। क्लासरूम में जाकर स्टूडेंट्स की तरह बैठ गए।

वर्जन

ईरानी डेलीगेशन ने इंस्टीट्यूट में दो दिन प्रवास किया। शुगर इंडस्ट्री से रिलेटेड सभी जानकारी हासिल की। ट्रेनिंग प्रोग्राम के साथ साथ फैकल्टी एक्सचेंज और कैरी कुलम बनाने में मदद मांगी है। वहां की शुगर इंडस्ट्री लास में चल रही है। उनके प्रपोजल पर गवर्नमेंट लेवल पर बात की जाएगी इसके बाद ही कोई डिसीजन लिया जाएगा।

-नरेन्द्र मोहन, डायरेक्टर एनएसआई

Posted By: Inextlive