- शहर में कितनी ढेर सारी इमारतें हैं जो खंडहर में तब्दील हो गई

- कई बार शिकायत करने के बाद भी किराएदार मकान खाली कराने के लिए तैयार नहीं

- यदि यहां कोई हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा

LUCKNOW: बाराबंकी के कुर्सी इलाके में एक निर्माणाधीन फैक्ट्री की स्लैब ढह जाने से करीब फ्भ् मजदूर मलबे के नीचे दब गए थे। यह तो वह इमारत थी जो अभी बन ही रही थी लेकिन क्या कभी आपने गौर किया है कि अपने ही शहर में कितनी ढेर सारी इमारतें हैं जो खंडहर में तब्दील हो गई हैं। बारिश आने के बाद इनका क्या हाल हो सकता है यह चिंता की बात है। लेकिन नगर निगम को इस बात की फिक्र नहीं है कि इन खंडहरों का क्या किया जाए। ऐसी ही कुछ खतरनाक इमारतों का जायजा लिया आईनेक्स्ट ने।

कभी भी गिर सकता है मकान

चौक में सरकटा नाला के पास डा.स्वामी राम अवस्थी का मकान है। करीब क्00 साल पुराना यह मकान बिल्कुल जर्जर हो चुका है। सभी किराएदार खाली करके यहां से जा चुके हैं। लेकिन एक किराएदार अभी भी यहां काबिज है। परेशानी यह है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी किराएदार मकान खाली कराने के लिए तैयार नहीं है और यह मकान कभी भी गिर सकता है। अब परेशानी यह है कि यदि यहां कोई हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

जर्जर मकानों की बड़ी परेशानी

जर्जर मकानों की परेशानी के लिए यही मामले नहीं हैं बल्कि पुराने लखनऊ के कई ऐसे मकान हैं जो जर्जर तो हैं लेकिन किन्हीं वजहों से उसे गिराने के आदेश नहीं जारी किए जाते हैं। इस मौसम में ऐसे मकानों को ढहाने के संबंध में कई शिकायती पत्र नगर निगम प्रशासन के पास पहुंच चुके है।

कौन होगा जिम्मेदार

शास्त्रीनगर निवासी विजय कुमार अग्रवाल इन दिनों काफी परेशान हैं। अमीनाबाद में उनका मकान है। करीब क्880 में बना यह मकान बिल्कुल जर्जर हो चुका है। मकान में रहने वाले कई लोग इसे खाली भी कर चुके हैं। इसी मकान में रेशम कला केन्द्र के नाम से साड़ी की दुकान चलाने वाले निसार अहमद ने बताया कि बारिश में पानी टपकने से साड़ी खराब हो जाती हैं। वह मकान मालिक से कह चुके हैं कि मकान का जर्जर भाग ढहा दिया जाए, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। शास्त्रीनगर में रहने वाले इस भवन के मालिक विजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि बारिश की वजह से मकान का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल जर्जर हो चुका है। इस मकान को ढहाने के लिए वह नगर निगम के कई चक्कर काट चुके हैं। यदि कोई हादसा हो गया तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा?

नगर निगम प्वाइंट आउट करे

दुकानदारों के अलावा राहगीरों को भी जान का खतरा हो सकता है। अपर नगर आयुक्त से इस संबंध में शिकायत भी दर्ज कराई थी। इसके अलावा सिटी मजिस्ट्रेट के पास भी शिकायत कर चुके हैं लेकिन अब तक न तो कोई जांच के लिए पहुंचा है और ही न ही कोई कार्रवाई हुई है। अमीनाबाद के व्यापारी मुकेश केसरवानी ने बताया कि अमीनाबाद चौराहे के पास बनी दुकानों का ऊपरी हिस्सा कभी भी ढह सकता है। नीचे पटरी दुकानदार खड़े रहते हैं। इसके अलावा यहीं से हजारों लोगों का रोज गुजरना होता है। नगर निगम को अपने स्तर से ऐसी बिल्डिंग चिह्नित करनी चाहिए और उसे ढहाना चाहिए।

कल ही ढही थी छत

खेतगली में रहने वाली ऋतु ने बताया कि उनके घर के सामने पतली गली है। यहीं पर क्00 साल से ज्यादा पुराना मकान है। कल ही यहां छत भी गिरी थी। सामने का मकान खंडहर बन चुका है। हर समय यही दहशत रहती है कि न जाने कब यह दीवार ढह जाए। इसी डर की वजह से बच्चों ने गली में खेलना ही छोड़ दिया है। मकान मालिक से भी कई बार कह चुके हैं कि जब इस मकान में कोई रहता नहीं है तो इसे ढहा दिया जाए। यदि इस बारिश में यह मकान गिरा तो कई लोगों को जान का खतरा हो सकता है।

लगा दिया ताला

चौपटिया में रहने वाले आशीष अग्रवाल के मन में भी हमेशा ही डर सताता रहता है। उनके दादा ने यहां किराए पर मकान उठाया था। अब वह किराएदार अपना मकान भी बनवा चुके हैं। इसके बावजूद मकान खाली नहीं किया है। अभी भी मकान पर उन्हीं का ही कब्जा है। आशीष ने बताया कि कई बार नगर निगम से मकान ढहाए जाने की कम्प्लेन भी की। लेकिन कोई सर्वे करने आया ही नहीं। अब ऐसे में यदि मकान गिर जाता है और किसी का नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार तो मुझे ही समझा जाएगा। लेकिन नगर निगम प्रशासन की ढिलाई के चलते कोई नतीजा नहीं निकला है।

यदि कोई व्यक्ति इस संबंध में शिकायत दर्ज कराता है कि भवन जर्जर स्थिति में है और उसे गिराना जरूरी है। यदि वह नहीं गिराया तो लोगों के जान-माल का खतरा है तो इस आधार पर वह जांच करा सकते हैं और धारा क्फ्फ् के अधीन उसे गिराने का आदेश दिया जा सकता है।

एचपी शाही

एडीएम सिटी

जर्जर मकानों के संबंध में जल्द ही फैसला लिया जाएगा। मीटिंग बुलाकर चीफ इंजीनियर से जर्जर मकानों की लिस्ट तलब करूंगा। पिछले कार्यकाल के दौरान उन्होंने चीफ इंजीनियर को जर्जर मकानों को ढहाने के संबंध में निर्देश दिए थे। सभी अधिकारियों के साथ मीटिंग करके और थानों में फोर्स की व्यवस्था कराके जल्द ही जर्जर मकानों को ढहाने का काम शुरू किया जाएगा।

डॉ। दिनेश शर्मा

महापौर

अभी तक केवल दो-चार लोगों ने ही मकान ढहाए जाने के लिए एप्लीकेशन दी है। अब हर इलाके में इंजीनियर से सर्वे कराकर जर्जर मकानों की लिस्ट तैयार कराई जाएगी। अभी तक करीब क्ब्क् मकान जर्जर के रूप में चिह्नित किए गए थे। इसमें से कई मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं। इंजीनियर की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर धारा फ्फ्क् के तहत निर्देश दिए जाते हैं या तो जर्जर मकान का मेंटीनेंस करा लें या फिर उसे ढहा दें। इसके लिए मकान मालिक को नोटिस दी जाती है। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट और संबंधित थानाध्यक्ष को सूचना दी जाती है कि कानून व्यवस्था न बिगड़े।

एसके अम्बेडकर

चीफ इंजीनियर

Posted By: Inextlive